देश के अधिकतर किसान सर्दियों में गाजर की खेती (Carrot farming) करते हैं, लेकिन उमस भरी गर्मी में भी गाजर की खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है. अब सवाल उठता है कि आखिर गर्मी में गाजर की किस किस्म की बुवाई की जाए. बता दें कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा (Indian Agricultural Research Institute, Pusa) ने गाजर की एक ऐसी किस्म विकसित कर रखी है, जो कि अधिक गर्मी और उमस सहने में सक्षम मानी जाती है. इस किस्म को पूसा वृष्टि के नाम से जाना जाता है. खास बात है कि इस किस्म में कैरोटीनॉयड, लाइकोपीन और बीटा कौरोटीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है.
वैज्ञानिक के मुताबिक...
यह गाजर की पहली किस्म है, जो गर्मी और उमस सहन करने की क्षमता रखती है. अक्सर खरीफ सीजन में किसान की फसल कभी बाढ़ तो कभी सूखा पड़नी की वजह से चौपट हो जाती है. ऐसे में किसानों के लिए यह किस्म उपलब्ध कराई गई है. वैज्ञानिकों का मनाना है कि यह किस्म पौष्टिकता से भरपूर है, साथ ही अधिक उपज देती है. खास बात है कि इस किस्म को ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में कम जमीन वाले किसान भी लगा सकते हैं. इससे काफी अच्छी कमाई हो सकती है.
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पूसा वृष्टि की बुवाई
गाजर की इस किस्म की बुवाई जुलाई के आखिरी सप्ताह तक की जा सकती है. यह किस्म नवंबर के पहले सप्ताह तक तैयार हो जाती है. बता दें कि गाजर की सामान्य किस्मों की खेती अगस्त के आखिरी सप्ताह में शुरू होती है, जिनसे दिसंबर तक उपज मिलती है. मगर गाजर की पूसा वृष्टि किस्म1 महीने पहले तैयार हो जाती है. इससे किसानों को फसल का अच्छा बाव मिल जाता है.
प्रति हेक्टेयर मिलेगा अच्छा उत्पादन
इस किस्म की बुवाई से प्रति हेक्टेयर 15 से 18 टन यानी 150 से 180 क्विंटल उत्पादन प्राप्त हो सकता है. इस तरह किसान गर्मी में भी गाजर की खेती करके 1 से 2 लाख रुपए तक का मुनाफ़ा कमा सकते हैं.
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