युवाओं की समझ और सूझबुझ को देखते हुए ये अब लगने लगा है कि भारत का भविष्य एक सुरक्षित हाथ में है. कहते हैं कि जिस देश में युवाओं की संख्या अधिक हो, उस देश को प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है. भारत की अगर बात करें, तो यहां युवाओं की संख्या सबसे अधिक है. शायद इसलिए आज के समय में भारत एक से बढ़कर एक नई ऊंचाइयां छूता जा रहा है.
नई सोच के साथ युवा तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे उनकी कमाई भी बढ़ रही है और किसानों के लिए रोल मॉडल बन रहे हैं. उससे बड़ी बात यह है कि युवा खेती में नए प्रयोग को कर रहे हैं इसमें वो सफल भी हो रहे हैं. मध्यप्रदेश के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के छात्र ने भी एक ऐसी ही सफलता की कहानी हम सबके सामने पेश की है.
दरअसल, मध्यप्रदेश के एक युवा ने किसानों के समस्याओं की नब्ज पकड़ी और फिर उस दिशा में काम करना शुरू किया. आधुनिक खेती के दौर में किसानों के पास कई प्रकार की समस्याएं होती है. किसानों को इन कार्यों के लिए परेशान होना पड़ता किसानों की सबसे बड़ी समस्या मिट्टी की जांच, फसल में रोग और उपज की बिक्री का सही मूल्य ना मिलना रहता है. इसके कारण किसानों को समय पर खेती करने में परेशानी होती है.
किसानों की समस्या
देश के किसानों की समस्या सबसे बड़ी समस्या कृषि में आने वाली लागत है, क्योंकि इन सब कार्यों में रासायनिक खाद का इस्तेमाल, बाजार से बीज खरीदना लागत आती है. इसके साथ ही किसानों को सही समय पर सटीक कृषि सलाह नहीं मिल पाती है. इसके कारण अच्छे से खेती नहीं कर पाते हैं. कई बार फसल में रोग लगने पर उसकी सही पहचान किसान नहीं कर पाते हैं. इस कारण समय रहते उसका सही उपचार नहीं हो पाता है और फसलों को नुकसान पहुंचता है.
आधुनिक खेती में मिट्टी की जांच करना बेहद जरूरी माना जाता है, लेकिन कई किसान समय और दूरी के कारण मिट्टी की जांच नहीं करा पाते हैं. इसके कारण उनकी पैदावार प्रभावित होती है. जब वह बाजार में अपने उत्पाद लेकर जाते हैं, तो उन्हें अच्छे दाम नहीं मिल पाते हैं. इस तरह से किसानों को कई प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ता है.
छात्र ने दिया यह सुझाव
इन सभी समस्याओं को देखते हुए कृषि विश्वविद्यालय के छात्र ने मोबाइल लैब बनाया है. बता दें कि युवाओं ने लैब टू लैंड के कन्सेप्ट पर काम किया है. इस लैब में किसान के मृदा (खेत) के परीक्षण, फसल में लगने वाले रोग की पहचान करने की सुविधा उपलब्ध है. इस डिजाइन को तैयार करने वाले छात्र ने बताया कि लैब अब चलकर किसानों के खेत तक पहुंचेगी और मिट्टी की जांच करेगी. इससे किसान जान पाएंगे कि उनके खेत में किस पोषक तत्व की कमी है? फसल में क्या रोग व कीट है?
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ऐसे शुरू हुआ ये प्रोजेक्ट
किसानों की समस्याओं को जड़ से समझने के लिए सबसे पहले उस छात्र ने खुद का एनजीओ बनाया और किसानों के बीच जाकर उनकी समस्याओं को समझा. इसके बाद साल 2018 में लैब बनाने के काम की शुरुआत की. अब यह लैब किसानों की मदद करने के लिए तैयार है.
मिनी स्वाइल लैब किट से किसान के खेत की 10 तरह की जांच हो सकती है. खेत का पीएच लेवल, उसमें मौजूद खनिज जैसे नाइट्रोजन, जिंक, सल्फर, फोस्फोरस आदि तत्वों की जानकारी प्राप्त हो सकती है. इसका फायदा ये होगा कि किसान को पता चल जाएगा कि उसके खेत में किस पोषक वाली खाद की जरूरत है.
जिस तरह से इन छात्रों ने इस काम को अंजाम दिया वो वाकई तारीफ़ के काबिल है. पहले उन्होंने किसानों की समस्या को समझा और फिर उस पर काम किया. जिस वजह से परिणाम इतना सकारात्मक रहा.