किसान आजकल परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं. किसान खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए और अपनी आमदनी को दोगुना करने के लिए नई-नई तकनीकों को अपना रहे है. ऐसा ही कारनामा किया है मध्य प्रदेश के किसान सुरेश रांडवा ने. इन्होंने 18.5 एकड़ खेत में उद्यानिकी विभाग के माध्यम से बागवानी की शुरूआत की है.
संतरा और मौसमी की खुशबू से इनका खेत महक उठा है. इस खेत में 18.5 एकड़ में संतरे के 2800 पौधे और मौसमी के 450 पौधे लगाए हुए है. संतरे और मौसमी के बगीचे की उंचाई करीब 6 से 8 फुट तक हो गई है. किसान सुरेश ने बताया कि संतरे और मौसमी के पौधे के बीच में 18.5 एकड़ की जमीन पर पहले और दूसरे साल प्याज, सोयाबीन, चना सहित अन्य फसलों की भी बुआई की है ताकि दोनों में से एक फसल का नुकसान हो तो दूसरी फसल की भरपाई की जा सके. यहां के किसान अब बागवानी से जुड़ते जा रहे हैं.
चार बगीचे में लगे हैं 3250 पौधे (There are 3250 plants in four gardens)
किसान सुरेश ने बताया कि मेरे यहां 4 बगीचों में संतरा और मौसमी के करीब 3250 पौधे लगाए हुए हैं. जिसमें पहले बगीचे को लगे 3.5 साल हो गए है. इसमें 5 एकड़ में 1000 पौधे लगे हुए है. दूसरा बगीचा 4 एकड़ में फैला हुआ है. 2.5 साल के अंदर 1000 पौधों को धीरे-धीरे तैयार किया जा रहा है.
मौसमी के 450 से अधिक पौधे लगे हुए हैं. इन पौधों को लगे हुए 2.5 साल हो गए है. पौधों में ड्रिप तकनीक के सहारे पानी दिया जाता है. जिसमें कम पानी में अधिक उत्पादकता हो और पानी की भी बचत की जा सके.
जैविक खेती को बढ़ावा (Promotion of organic farming)
किसान सुरेश का कहना है कि वह पूरे खेत में बागवानी से लेकर बोई गई फसलों तक जैविक खाद का प्रयोग कर रहे हैं. ड्रिप मशीन के तहत पानी दे रहे हैं. वर्मी कंपोस्ट भी केंचुएं से ही बनाया जा सकता है.
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इस विधि में मटके में गोबर मिलाकर उसमें केंचुए डालकर उसको ऊपर टांग दिया जाता है. ये केंचुए का हार्मोन बनकर धीरे-धीरे बाहर आ जाता है और बाद में यह छिड़काव के काम आता है. इस तरह से किसान जैविक खेती की ओर ध्यान दे रहे है.