फसलों की अच्छी गुणवत्ता और उत्पादन में सिंचाई का अपना एक अलग महत्व होता है. आजकल सिंचाई की कई नई तकनीक विकसित हो चुकी हैं, जिसके द्वारा किसान फसलों की सिंचाई आसानी से कर सकते हैं. इसमें 1 या 1.5 एचपी से कम की क्षमता रखने वाले छोटे सिंचाई पंप भी शामिल है. इन दिनों छोटे सिंचाई पंप काफी प्रभावी साबित हो रहे हैं. इन छोटे पंप के कई फायदे हैं, जो किसानों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं.
छोटे सिंचाई पंप से फायदा
इन पंप से निकलने वाले पानी की धार बहुत तेज़ नहीं होती है, जिससे सतही मिट्टी का अपरदन नहीं होता है. यह पंप कम विद्युत क्षमता वाले होते हैं, जिन्हें उन क्षेत्रों में भी आसानी से चलाया जा सकता है, जहां बिजली की अधिक समस्या रहती है. इन पंपों को सौर ऊर्जा द्वारा संचालिक किया जाता है, इसलिए जहां बिजली नहीं आती है, वहां भी किसान इनकी मदद से सिंचाई का काम कर सकते हैं. ये पंप सिंगल फेज़ वाले क्षेत्रों में भी चलाए जाते हैं, जबकि बड़े सिंचाई पंपों के लिए कम से कम 3 फेज़ वाले हाईटेंशन कनेक्शन की ज़रूरत पड़ती है.
छोटे सिंचाई पंप की कीमत
इनकी कीमत मात्र 5 से 15 हजार रुपए के बीच होती है, जो कि बाज़ार में मिलने वाले 5 से 8 एचपी वाले पंपों की तुलना में आधे से भी कम है. सब्ज़ियों और फूलों की खेती में इसका अधिक उपयोग किया जाता है. इसके द्वारा लागत कम और आमदनी ज्यादा होती है.
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छोटे सिंचाइ पंप के फायदे
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इनका वजन बहुत कम होता है, इसलिए इन्हें पीठ पर या साइकिल पर रखकर कहीं भी ले जाना बहुत आसान है.
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यह पंप सौर ऊर्जा द्वारा संचालित किए जाते हैं.
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ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम कर सकते हैं.
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किसान सस्ती कीमत में छोटे सिंचाई पंप खरीद सकते हैं.
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सब्ज़ियों और फूलों की खेती में उपयोग कर सकते हैं.
बिजली की समस्या वाले क्षेत्रों के लिए लाभकारी
आज भी देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां बिजली की अधिक समस्या होती है. ऐसे में छोटे सिंचाई पंप कम लागत में ज़्यादा मुनाफा देने के लिए लाभकारी माने जाते हैं. कहा जाता है कि ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में अधिकांश आदिवासी क्षेत्रों में भूजल का उपयोग बहुत कम है. ये सभी क्षेत्र ऐसे हैं, जहां बिजली की समस्या अधिक रहती है. इसके साथ ही सड़क और ट्रांसपोर्टेशन जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं होती है. इस कारण शहरों से डीज़ल खरीद कर लाना भी नामुमकिन होता है. ऐसे में किसान छोटे सिंचाई पंप की मदद से फसलों की सिंचाई कर सकते हैं. इसमें लागत भी कम लगती है और फसल का उत्पादन भी अच्छा प्राप्त होता है.
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