Success Story: टिकाऊ खेती से सोनिया जैन बनीं सफल महिला किसान, सालाना आमदनी 1 करोड़ रुपये से अधिक! Success Story: कैसे 'ड्रैगन फ्रूट लेडी' रीवा सूद ने बंजर ज़मीन को 90 लाख के एग्रो-एम्पायर में बदला और 300+ महिलाओं को सशक्त किया खरीफ 2025 के लिए बिहार सरकार ने तेज किया बीज वितरण अभियान, 20 जून तक किसानों को मिलेंगे उन्नत बीज किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 17 June, 2025 5:35 PM IST
इन सब्जियों की खेती में अपनाएं मचान विधि, कम जमीन पर भी होगी बंपर कमाई (Pic Credit - Dreams Time)

Scaffolding Farming: देशभर में परंपरागत खेती के साथ-साथ अब किसान आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों को भी अपना रहे हैं. ऐसी ही एक तकनीक है मचान विधि, जो खास तौर पर बेल वाली सब्जियों की खेती के लिए अपनाई जाती है. इस विधि के ज़रिए किसान कम जमीन में ज़्यादा और बेहतर फसल का उत्पादन कर सकते हैं, जिससे उनकी आमदनी में बड़ा इजाफा होता है.

क्या है मचान विधि?

मचान विधि एक उन्नत खेती तकनीक है जिसमें बांस, लकड़ी या लोहे के पाइप और तार की मदद से खेत में एक जाल या ढांचा बनाया जाता है. इस जाल पर बेल वाली फसलों को चढ़ाया जाता है ताकि वे जमीन पर फैलने की बजाय ऊपर बढ़ें. इससे फसलें ज़मीन से कम संपर्क में रहती हैं और खराब होने की संभावना भी कम हो जाती है.

किन फसलों के लिए सबसे उपयुक्त है यह विधि?

इस तकनीक से मुख्य रूप से बेल वाली सब्जियां जैसे –

  • लौकी
  • खीरा
  • करेला
  • तोरई
  • टिंडा

सहित कुछ फलों जैसे अंगूर, तरबूज आदि की खेती की जाती है. इन फसलों को मचान पर चढ़ाकर उगाने से उनका विकास तेजी से होता है और पैदावार भी बेहतर होती है.

मचान विधि से होते हैं ये फायदे

  • फसल कम खराब होती है – बेलें जमीन से ऊपर होने के कारण सड़ने या गलने की संभावना बहुत कम हो जाती है.
  • रोग और कीट से बचाव – कीटनाशक या फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव आसानी से किया जा सकता है, जिससे फसल स्वस्थ रहती है.
  • अच्छा उत्पादन – खुले और हवादार माहौल में फसलें अधिक विकसित होती हैं और ज़्यादा फल देती हैं.
  • किसानों को बंपर मुनाफा – कम लागत में उच्च गुणवत्ता और मात्रा वाली फसल मिलने से किसानों को अच्छा लाभ होता है.

कैसे तैयार करें मचान?

मचान तैयार करने के लिए खेत में मजबूत बांस या लोहे के पाइप को एक निश्चित दूरी पर गाड़ा जाता है. फिर इनके ऊपर तार या रस्सियों का जाल बुन दिया जाता है. फसल के पौधे जब थोड़े बड़े हो जाते हैं तो उनकी बेलों को इस जाल पर चढ़ा दिया जाता है.

उत्पादन क्षमता

अगर मचान विधि से खेती की जाए, तो एक हेक्टेयर क्षेत्र में निम्नलिखित फसलें प्राप्त की जा सकती हैं:

  • टिंडा – 100 से 150 क्विंटल
  • लौकी – 450 से 500 क्विंटल
  • तरबूज – 300 से 400 क्विंटल
  • खीरा, करेला, तोरई – 250 से 300 क्विंटल

कौन-कौन से क्षेत्र अपना रहे हैं यह तकनीक?

पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कई किसान इस विधि को अपना चुके हैं. खासतौर पर वे किसान जो सीमित भूमि में खेती करते हैं, उन्हें यह तरीका बेहद लाभदायक साबित हो रहा है.

सरकार से मिल सकता है सहयोग

कुछ राज्यों में बागवानी विभाग या कृषि विभाग द्वारा मचान विधि के लिए अनुदान (सब्सिडी) भी दी जाती है. किसान अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी से संपर्क करके इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.

English Summary: scaffolding farming benefits technique vegetable cultivation low land high yield
Published on: 17 June 2025, 05:47 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now