Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 16 January, 2021 3:42 PM IST
Low Tunnel Plastic Technology

देशभर के इलाकों में ठंड बढ़ती जा रही है और लगातार तापमान में गिरावट के चलते आलू समेत अन्य कई फसलों में पाले का प्रकोप दिखाई दे रहा है. इस वजह से किसानों की फसलों को काफी नुकसान होने की संभावना भी जताई जा रही है.

ऐसे में किसानों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है. इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (Birsa Agricultural University) के कृषि अभियांत्रिकी विभाग के वैज्ञानिक डॉ प्रमोद राय ने एक तकनीक के बारे में बताया है. इस तकनीक की मदद से फसलों को पाले से बचाया जा सकता है. आइए आपको इस तकनीक के बारे में जानकारी देते हैं.

क्या है लो टनल प्लास्टिक तकनीक

लो टनल प्लास्टिक तकनीक (Low Tunnel Plastic Technology) की मदद से कम तापमान और पाला पड़ने से होने वाले नुकसान से फसल को बचाना आसान होता है. वैज्ञानिक ने बताया कि यह तकनीक फसलों को तापमान में गिरावट के दौरान नुकसान से बचाएगी. बता दें कि पौधे के विकास के लिए 10 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान जरूरी होता है. अक्सर सर्दियों के मौसम में मिट्टी व हवा का तापमान रात में काफी कम हो जाता है, इसलिए सब्जियों के पौधों की देखभाल करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने लो टनल प्लास्टिक तकनीक (Low Tunnel Plastic Technology) को विकसित किया है.

लो टनल प्लास्टिक तकनीक कैसे काम करेगी

लो टनल प्लास्टिक तकनीकी छोटा गुफा नुमा घर होता है, जिसके अंदर ग्रीन हाउस का प्रभाव दिखता है. सर्दियों में इस घर का तापमान बाहर की तुलना में ज्यादा होता है.

कैसे बनती है लो टनल प्लास्टिक

इस कम ऊंचाई वाले गुफा नुमा घर को विभिन्न आवरण में 50 माइक्रोन की प्लास्टिक फिल्म 40 वर्ष वाली क्रीडा रहित जाली और 30 से 50% शेडनेट से बनाया जाता है. इस घर को सरिया वास एलडी पाइप आदि से बनाया जाता है. इसकी चौड़ाई 80 सेंटीमीटर होती है, तो वहीं मध्य की ऊंचाई 40 सेंटीमीटर होती है. इसके साथ ही दोनों सिरों को मिट्टी में 5 सेंटीमीटर गहराई तक डालते हैं. बता दें कि इस गुफा नुमा घर को 50 माइक्रोमीटर यूवी युक्त प्लास्टिक से ढका जाता है, जिससे कम तापमान से होने वाले छती से बचा जा सके.  

लो टनल प्लास्टिक तकनीक की विशेषताएं

  • इस तकनीकी में हवा की आद्रता को नियंत्रित किया जाता है.

  • पानी व खाद की बचत के साथ ही खरपतवार व मिट्टी के तापमान को नियंत्रित किया जाता है.

  • इस तकनीक को कम लागत में अपनाया जा सकता है.

  • इससे सर्दियों में कम तापमान व पाला पड़ने की स्थिति में फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है.

English Summary: Save crops from frost with low tunnel plastic technology
Published on: 16 January 2021, 03:47 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now