देश-दुनिया में राजमा की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि राजमा शाकाहारी भोजन में अहम माना गया है. जहां एक तरफ राजमा स्वादिष्ट और स्वास्थवर्धक है, तो वहीं दूसरी तरफ इसकी खेती से किसानों को बहुत अच्छा लाभ मिलता है.ऐसे में राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) को बढ़ावा देने के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा नई-नई तकनीक की जानकारी दी जाती है. इसके साथ ही नई किस्मों को विकसित किया जाता है.
जैसा कि आप जानते होंगे कि रबी सीजन की शुरुआत होने वाली है. ऐसे में किसान भाई राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) करके अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. इसकी बुवाई का समय आने वाला है, तो अगर आप इस साल रबी सीजन में राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) करना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें-
राजमा की बुवाई का समय (Rajma sowing time)
राजमा की बुवाई उत्तरपूर्व भाग में अक्तूबर के आखिरी हफ्ते से नवंबर के पहले हफ्ते तक कर सकते हैं. मगर उत्तर पश्चिमी भागों (उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब) में अक्तूबर के पहले सप्ताह में बुवाई कर दें. ध्यान रहे कि देर से बुवाई करने पर राजमा की उपज में गिरावट हो सकती है.
राजमा के लिए उपयुक्त मिट्टी (Suitable soil for Rajma)
इसकी खेती के लिए दोमट और हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती है. जहां पानी निकासी की अच्छी व्यवस्था हो.
राजमा के खेत की तैयारी (Preparation of Rajma field)
इसकी बुवाई से पहले खेत की जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए. इसके बाद 2 से 3 जुताई देसी हल या कल्टीवेटर से कर देना चाहिए. ध्यान रहे कि बुवाई के समय भूमि में पर्याप्त नमी रहे.
राजमा की उन्नत किस्में (Improved varieties of Rajma)
किसान भाई राजमा की पी.डी.आर.-14 (उदय), मालवीय-15, मालवीय-137, वीएल-63, बी.एल 63, आई.आई.पी.आर 96-4, आई.आई.पी.आर 98-5, एच.पी.आर 35, अम्बर, उत्कर्ष और अरुण और हूर -15 किस्म की बुवाई कर सकते हैं.
राजमा के बीजों की मात्रा (Rajma seeds quantity)
राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) के लिए प्रति हेक्टेयर करीब 120 से 140 किलोग्राम बीज की मात्रा उपयुक्त रहती है. खास बात यह है कि राजमा का अधिक उत्पादन लेने के लिए ढाई से साढ़े 3 लाख पौधे प्रति हेक्टेयर जरूरी होते हैं.
राजमा के बीजों का उपचार (Rajma seeds treatment)
किसान भाई राजमा के बीजों को थीरम से उपचारित कर सकते हैं, ताकि पर्याप्त नमी मिल सकें.
राजमा की बुवाई विधि (Rajma sowing method)
राजमा की बुवाई में एक पंक्ति से पंक्ति की दूरी करीब 30 से 40 सेंटीमीटर की होनी चाहिए. इसके साथ ही बीजों को 8 से 10 सेंटीमीटर गहराई डालना चाहिए.
राजमा में खाद एवं उर्वरक (Manure and Fertilizer in Rajma)
राजमा की अधिक उपज लेने के लिए गोबर की खाद या कम्पोस्ट 10 से 15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की अंतिम जुताई के समय मिला सकते हैं. इसके साथ नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से इस्तेमाल कर सकते हैं.
राजमा की सिंचाई (Irrigation of kidney beans)
राजमा की खेती (Rajma Ki Kheti) में 2 या 3 सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है. किसान भाई बुवाई के 4 सप्ताह बाद पहली सिंचाई कर दें. इसके बाद निराई एवं गुड़ाई करें. ध्यान रहे कि गुड़ाई के समय थोड़ी मिट्टी पौधे पर चढ़ा दें, ताकि फली लगने पर पौधे को सहारा मिल सके.
राजमा में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in rajma)
इसके लिए राजमा की फसल में 1 से 2 निराई-गुड़ाई की आवश्यकता पड़ती है. खरपतवार के रासायनिक नियंत्रण के लिए पेन्डीमेथलीन 3.3 लीटर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 800 से 900 लीटर पानी में घोलकर छिड़क दें.
राजमा की कटाई एवं गहाई (Rajma harvesting and threshing)
राजमा की फसल करीब 120 से 130 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसके बाद 3 से 4 दिन तक फसल को धूप में सुखाएं. ध्यान दें कि जब बीज की नमी 9 से 10 प्रतिशत हो जाए, तो दानों को भूसे से अलग कर दें.
पैदावार (Yield)
उपयुक्त विधि से अगर राजमा की खेती की जाए, तो किसान भाई अनुकूल परिस्थितियों में प्रति हेक्टेयर करीब 20 से 30 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा सिंचित खेती से मैदानी क्षेत्रों में तथा करीब 7 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बारानी में उत्पादन प्राप्त हो सकता है.