हमारे किसान भाई आलू की खेती कर अधिक-अधिक से रुपये कमा रहे हैं. हालांकि कुछ किसान भाइयों के लिए आलू की खेती घाटे का सौदा साबित हो रहा है. उन किसान भाइयों को सही से आलू की खेती करने की जरूरत है. आलू एक सब्जी है और इसके अंदर विटामिन और मिनरल्स पाई जाती हैं. आलू वह सब्जी है जिसे लगभग हर सब्जी के साथ लगाकर बनाया जा सकता है. आलू का आचार और चिप्स भी बहुत फेमस है. आलू की खेती मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब और बिहार जैसे राज्यों में होती है. खेती के लिए अक्टूबर का यह महीना उपयुक्त है. आइए जानते हैं आलू की खेती करने की विधि.
आलू की किस्में
अगर आलू की किस्मों की बात करें तो कुफरी अलंकार, कुफरी चंद्र मुखी, कुफरी शील मान, ई 4486 शामिल हैं. कुफरी अलंकार किस्म की फसल 70 दिनों में तैयार हो जाती है. यह किस्म प्रति हेक्टेयर 200-250 क्विंटल उपज होती है. वहीं, कुफरी चंद्र मुखी 80 से 90 दिनों में तैयार होती है और उपज 200 से 250 क्विंटल है. कुफरी शील मान 100 से 130 दिनों में तैयार होती है, जबकि उपज 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. ई 4486 135 दिन में तैयार होने वाली फसल की इस किस्म में 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज तैयार होती है. यह किस्म हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात और मध्य प्रदेश के लिए अधिक उपयोगी है.
भूमि प्रबंधन
आलू की फसल विभिन्न प्रकार की भूमि, जिसका पी.एच. मान 6 से 8 के मध्य हो, उगाई जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट तथा दोमट उचित जल निकास की भूमि उपयुक्त होती है. 3-4 जुताई डिस्क हैरो या कल्टीवेटर से करें। प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाने से ढेले टूट जाते हैं तथा नमी सुरक्षित रहती है। वर्तमान में रोटावेटर से भी खेत की तैयारी शीघ्र व अच्छी हो जाती है. आलू की अच्छी फसल के लिए बोने से पहले पलेवा करना चाहिए.
खाद एवं उर्वरक
सामान्य तौर पर 180 किग्रा० नत्रजन, 80 किग्रा० फास्फोरस तथा 100 किग्रा० पोटाश की संस्तुति की जाती है. मृदा विश्लेषण के आधार पर यह मात्रा घट-बढ़ सकती है.
बुवाई की प्रकिया
आलू की खेती के लिए 50 से 60 सेमी की दूरी कि नालियों व खलियों में ढलान की विपरीत दिशा में होनी चाहिए. बुवाई के तुंरत बाद ही आसपास मेढ़ भी बना दी जानी चाहिए. आलू के बीज का अंतर खेतों में 15-20 सेमी का होना चाहिए.
जल प्रबंधन
आलू की खेती में भी सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है. अगर आलू की खेती में धीरे-धीरे सिंचाई करते हैं तो यह फायदेमंद साबित होगा. साथ ही सिंचाई के समय नालियों में आधा पानी भरे, जिससे कि मेढों पर पानी का रिसाव हो सके.
फसल की खुदाई
आलू की फसल जब पूरी तरह से तैयार हो जाए तो इसकी खुदाई कर लेनी चाहिए. जब भी आलू की फसल की खुदाई की जाए तो उस समय मिट्टी न तो ज्यादा सूखी हो और न ज्यादा गीला होनी चाहिए. यदि आप पौधों की शाखाओं को रगड़ देंगे तो आलू के छिलके रगड़ने पर न निकलना फसल के पक जाने के संकेत है.