NSC की बड़ी पहल, किसान अब घर बैठे ऑनलाइन आर्डर कर किफायती कीमत पर खरीद सकते हैं बासमती धान के बीज बिना रसायनों के आम को पकाने का घरेलू उपाय, यहां जानें पूरा तरीका भीषण गर्मी और लू से पशुओं में हीट स्ट्रोक की समस्या, पशुपालन विभाग ने जारी की एडवाइजरी भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका
Updated on: 31 August, 2020 2:22 PM IST
Potato Varieties in india

हमारे देश में चावल, गेहूं, गन्ना के बाद क्षेत्रफल में आलू का चौथा स्थान माना जाता है. यह एक ऐसी फसल है, जिससे अन्य फसलों की अपेक्षा अधिक उत्पादन मिलता है. आलू में मुख्य रूप से 80 से 82 प्रतिशत पानी होता है और 14 प्रतिशत स्टार्च, 2 प्रतिशत चीनी, 2 प्रतिशत प्रोटीन और 1 प्रतिशत खनिज लवण पाए जाते हैं.

इसके अलावा वसा 0.1 प्रतिशत और थोड़ी मात्रा में विटामिन्स भी होते हैं. आलू एक समशीतोष्ण जलवायु वाली फसल है. यूपी में इसकी खेती उपोष्णीय जलवायु की दशाओं में रबी के मौसम में की जाती है. इसकी उचित खेती के लिए फसल अवधि के दौरान दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए, तो वहीं रात का तापमान 4 से 15 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए.

फसल में कंद बनते समय करीब 18 से 20 डिग्री सेल्सियस तापकम सर्वोत्तम होता है. देश के किसी-किसी भाग में तो पूरे साल आलू की खेती (Potato cultivation) की जाती है. इसकी खेती में किस्मों का भी विशेष महत्व है, तो आइए आपको बताते हैं कि आलू की खेती के लिए कौन-कौन सी किस्में हैं.

आलू की किस्में (Potato varieties)

केंद्रीय आलू अनुसंधान शिमला द्वारा कई किस्में विकसित की गई हैं, जिनकी जानकारी हम देने जा रहे हैं-

कुफरी अलंकार- यह किस्म फसल को 70 दिनों में तैयार कर देती है. मगर यह किस्म पछेती अंगमारी रोग के लिए कुछ हद तक प्रतिरोधी है. इससे प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल पैदावार मिल जाती है.

कुफरी चंद्र मुखी - इस किस्म में फसल 80 से 90 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल पैदावार प्राप्त हो जाती है.

कुफरी नवताल जी 2524- आलू की यह किस्म फसल को 75 से 85 दिनों में तैयार कर देती है, जिससे प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल पैदावार मिल जाती है.

कुफरी शील मान- यह किस्म 100 से 130 दिनों में फसल तैयार करती है, जिससे प्रति हेक्टेयर 250 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है.

कुफरी ज्योति- फसल 80 से 150 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर 150 से 250 क्विंटल पैदावार मिल सकती है.

कुफरी सिंदूरी- आलू की यह किस्म फसल को 120 से 125 दिनों में तैयार करती है, जो कि प्रति हेक्टेयर 300 से 400 क्विंटल पैदावार देने की क्षमता रखती है.

कुफरी देवा- इस किस्म की बुवाई से फसल 120 से 125 दिनों में तैयार हो जाती है, जो कि प्रति हेक्टेयर 300 से 400 क्विंटल पैदवार देने में सक्षम है.

कुफरी लालिमा- यह किस्म फसल को मात्र 90 से 100 दिन में ही तैयार करती है. यह किस्म अगेती झुलसा के लिए मध्यम अवरोधी भी है.

कुफरी स्वर्ण- आलू की यह किस्म फसल को 110 दिन में तैयार करती है, जिससे प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल पैदावार मिल सकती है.

आलू की संकर किस्में (Potato hybrids)

कुफरी जवाहर जेएच 222– आलू की यह किस्म फसल को 90 से 110 दिन में तैयार कर देती है. यह किस्म अगेता झुलसा और फोम रोग के लिए प्रतिरोधी है. इससे प्रति हेक्टेयर 250 से 300 क्विंटल पैदावार प्राप्त हो सकती है.

ई 4486- यह किस्म 135 दिन में फसल को तैयार करती है. इससे प्रति हेक्टेयर 250 से 300 क्विंटल पैदावार मिल सकती है. इसको यूपी, हरियाणा, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात और मध्य प्रदेश के लिए अधिक उपयोगी माना जाता है.

आलू की नई किस्में (New varieties of potatoes)

इसके अलावा आलू की कुछ नई किस्में भी हैं, जिनमें कुफरी चिप्सोना-2, कुफरी गिरिराज, कुफरी चिप्सोना-1 और कुफरी आनंद का नाम शामिल है.

English Summary: Potato Varieties: Know which are the advanced varieties of potato
Published on: 31 August 2020, 02:30 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now