सर्दियों के मौसम में पाले का असर दिखाई देने लगा है. जिससे आलू की खेती करने वालो किसानों को चिंता सताने लगी है कि कहीं उनकी फसल पाले की वजह से बर्बाद न होने लगे. आलू किसानों की कमर प्रकृति के प्रतिकूल होने से टूटने लगती है. मौजूदा वक्त में बेमौसम बरसात और कोहरे से आलू की फसल बर्बाद हो रही है.
तापमान में गिरावट से किसानों को आलू की फसल पर पाला के प्रकोप की चिंता सताने लगी है. बदलते मौसम से सबसे अधिक आलू की फसल को ज्यादा नुकसान होता है, जबकि चना, सरसों, अरहर, और सब्जी की खेती को कम नुकसान पहुंचता है. इससे आलू की खेती करने वाले किसान काफी परेशान हो रहे हैं. सर्दियों में आलू की फसल पर पाला पड़ने से फसल को पाला झुलसा रोग होता है. इसमें आलू की पत्तियां पीली पड़ने लगती है और सड़ने लगती हैं.
तो वहीं पौधा गल जाता है. ऐसे कई समस्याएं है जिससे आलू की फसल को नुकसान पहुंच सकता है. माना जाता है कि जब वायुमंडल का तापमान चार से कम होता है, तो पाला पड़ने की संभावना रहती है. ऐसा मौसम दिसंबर से जनवरी के बीच रहता है. हवा न चल रही हो या फिर आसमान साफ हो, तब भी पाला पड़ने की संभावना होती है. ऐसे में पाला पत्तियों पर जम जाता है. इसकी वजह से पत्तियों के नस फट जाती हैं. इसलिए किसान को अपनी फसल बचाने के लिए पहले से तैयार रहना चाहिए.
पाला दो तरह का होता है (There are two types of frost)
एडवेक्टिव (Advective)
यह पाला तब पड़ता है, जब ठंडी हवाएं चलती है. ऐसी हवा की परत एक-डेढ़ किलोमीटर तक हो सकती है. यह पाला आसमान खुला हो या बादल हों, दोनों परिस्थितियों में गिर सकता है.
रेडिएटिव (Radiative)
जब आसमान बिलकुल साफ हो और हवा न चल रही हो, तब यह पाला गिरता है. जब ये पाला पड़ने की आंशका होती है. तब बादल पृथ्वी के लिए कम्बल की तरह काम करते हैं. हवा न चलने से एक इनवर्शन परत बन जाती है. यह एक ऐसी वायुमंडलीय दशा है, जो सामान्य दिनों की तुलना में उल्टी होती है.
आलू की फसलों को पाले से बचाएं (Protect potato crops from frost)
आलू को पाला झुलसा रोग से बचाए रखने के लिए हर संभव सिंचाई पर ध्यान देना चाहिए. पौधों को पाला से बचाने के लिए किसान खेतों में नमी बनाए रखें. इसके अलावा सिंचाई के बाद पौधों के उपर छप्पर या फिर पाली हाउस बना दें. इससे काफी हद तक फसल को पाले से राहत मिलती है. तो वहीं आलू की फसल में करीब 10 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई कर देना चाहिए. ऐसा करने से आलू की फसल को पाला और झुलसा रोग के प्रकोप से बचाया जा सकता है.
इसके अलावा पाले से पौधों को बचाने के लिए परंपरागत एवं रासायनिक तरीकों का भी प्रयोग किया जा सकता है. इसके लिए नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढक दें. ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2 से 3 डिग्री सैल्शियस बढ़ जाता है और पौधे पाले से बच जाते हैं, ध्यान रहे कि पौधों का दक्षिणी एवं पूर्वी भाग खुला होना चाहिए.
इससे पौधों को सुबह और दोपहर में धूप मिलती रहती है. साथ ही आलू की फसल को पाले से बचाने के लिए करीब 20 से 25 दिन तक का सड़ा हुआ मठ्ठा 4 लीटर, 100 लीटर छाछ के पानी में घोल लें और फसल में दो से तीन बार छिड़क दें. इससे फसल को पाले से बचा सकते है.