आलू को सब्जियों को राजा कहा जाता है. इसकी खेती देश के एक-दो राज्यों को छोड़कर लगभग सभी में की जाती है. मुख्यतः आलू रबी सीजन की फसल है. लेकिन कुछ राज्यों में इसे रबी और खरीफ दोनों में लगाया जाता है. आलू में कार्बोहाइड्रेट, मैग्नीशियम, विटामिन-सी, विटामिन-बी6 कैल्शियम, पोटेशियम समेत अनेक मिनरल्स पाए जाते है.
इसके अलावा इसमें हार्मोन, एमिनो एसिड और फैटि एसिड जैसे कई तत्व होते हैं. किसानों के लिए इसकी खेती करना काफी फायदेमंद होता है. तो आइए जानते हैं आलू की खेती का करने का सबसे सही तरीका क्या है और इसका बीज कहां से प्राप्त कर सकते हैं -
आलू के खेती तैयारी (Potato cultivation preparation)
आलू की फसल के लिए खेत तैयार करने से पहले मृदा उपचार करना बेहद आवश्यक होता है. मृदा उपचार करने से मृदा कीट, रोगाणु और भूमि जनित बिमारियों से रोकथाम करने में मदद मिलती है. इसके लिए 40 से 50 किलो गोबर की पकी खाद लेकर उसमें 2 किलो मेट्राजियम ऐनआइसोफिलि मिला लें और इसे प्रति एकड़ भूमि में मिला दें. इसके बाद खेत की जुताई करें.
आलू की बुवाई का सही समय (Potato sowing time)
हमने जैसा कि पहले ही बताया कि कुछ राज्यों को छोड़कर आलू मुख्यतः रबी की फसल होती है. इसलिए इसकी बुवाई अक्टूबर से मध्य जनवरी तक की जाती है जो अच्छी पैदावार के उत्तम समय होता है.
आलू की निराई गुड़ाई (Potato weeding)
अन्य फसलों की तरह आलू की फसल की भी समय-समय पर निराई गुड़ाई करना चाहिए. इसमें किसी भी तरह को खरपतवार नहीं होना चाहिए ताकि आपकी उपज प्रभावित न हो.
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आलू की खुदाई (Potato Digging)
फसल जब पूरी तरह से पक जाए और कंद के छिलके ठोस पड़ जाए तभी आलू की खुदाई करना चाहिए. आलू की अच्छी किस्मों की बुवाई करने पर प्रति हेक्टेयर आलू की उपज 300 से 350 क्विंटल की होती है.
बीज कहां से लें-उत्तर प्रदेश के किसानों को उद्यान विभाग कुफरी और कुफरी सिंदुरी जैसी उन्नत किस्मों का बीज मुहैया करा रहा है.
पता : उद्यान भवन, 2-सप्रू मार्ग, लखनऊ- 226001
दूरभाष - 0522-4044414, 2623277