किसान कम अवधि में तैयार होने वाली मटर की किस्मों की बुवाई सितंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर अक्टूबर के मध्य तक कर सकते हैं. इसकी खेती से किसान अपनी आमदनी को दोगुना कर सकते हैं. इसमें काशी नंदिनी, काशी मुक्ति, काशी उदय और काशी अगेती प्रमुख हैं. इनकी खास बात है कि यह 50 से 60 दिन में तैयार हो जाती हैं. इससे खेत जल्दी खाली हो जाता है. इसके बाद किसान आसीन से दूसरी फसलों की बुवाई कर सकते हैं. इन किस्मों के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ें यह खबर.
किसान कम अवधि में तैयार होने वाली मटर की किस्मों की बुवाई सितंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर अक्टूबर के मध्य तक कर दी जाती है. मटर की अगेती किस्मों की विशेषताओं की जाकारी विस्तार से.
काशी उदय- इस किस्म को साल 2005 में विकसित किया गया था. इसकी विशेषता है कि इसकी फली की लंबाई 9 से 10 सेंटीमीटर होती है. इसकी खेती की उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में की जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर 105 क्विंटल तक का उत्पादन मिल सकता है.कते हैं. इसकी खेती से किसान अपनी आमदनी को दोगुना कर सकते हैं. इसमें काशी नंदिनी, काशी मुक्ति, काशी उदय और काशी अगेती प्रमुख हैं. इनकी खास बात है कि यह 50 से 60 दिन में तैयार हो जाती हैं. इससे खेत जल्दी खाली हो जाता है. इसके बाद किसान आसीन से दूसरी फसलों की बुवाई कर सकते हैं.
काशी नंदिनी- इस किस्म को साल 2005 में विकसित किया गया था. इसकी खेती उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में की जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर औसतन 110 से 120 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है.
काशी मुक्ति- यह किस्म उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और झारखंड के लिए उपयुक्त मानी जाती है. इससे प्रति हेक्टेयर 115 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त हो सकता है. इसकी फलिया और दाने काफी बड़े होते हैं. खास बात है कि इसकी विदेशों में भी मांग रहती है.
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काशी अगेती- यह किस्म 50 दिन में तैयार हो जाती है. इसकी फलियां सीधी और गहरी होती हैं. इसके पौधों की लंबाई 58 से 61 सेंटीमीटर होती है. इसके 1 पौधे में 9 से 10 फलियां लग सकती हैं. इससे प्रति हेक्टेयर 95 से 100 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त हो सकता है.