Peanut Cultivation: मूंगफली किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फसल है, यह अपने उच्च पोषण के लिए काफी प्रसिद्ध है. भारत में अधिकतर लोग मूंगफली का सेवन करना पसंद करते हैं. मूंगफली में विटामिन ई, प्रोटीन, फोलेट, मैग्नीशियम और फाइबर काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है. मूंगफली का उपयोग विभिन्न खाद्य उत्पादों जैसे कि, तेल, मक्खन, चॉकलेट और विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ को बनाने के लिए किया जाता है. यदि आप भी कम समय में खेती करके ज्यादा कमाई करना चाहते हैं, तो आपके लिए मूंगफली की खेती करना काफी शानदार विकल्प हो सकता है. इसकी खेती से अच्छी कमाई के लिए जरूरी है उन्नत बीज और आधुनिक तकनीक के साथ की जाए.
आइये कृषि जागरण के इस आर्टिकल में जानें, अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए मूंगफली की खेती कैसे की जाती है.
इन राज्यों में होती है मूंगफली की खेती
आपको बता दें, भारत के अलावा मूंगफली का मुख्य उत्पादन चीन और अमेरिका में होता है. इसके इसके अलावा, देश के कई राज्यों में इसकी खेती की जाती है, लेकिन राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मुख्य रुप से इसकी खेती की जाती है. मूंगफली की फसल मिट्टी की उर्वरता बढ़ानें में काफी साहयक होती है, जिससे अन्य फसलों की उपज में भी काफी अच्छी वृद्धि होती है. मूंगफली की खेती से फसल प्राप्त करने में लगभग 4 महीने का समय लगता है.
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अच्छे उत्पादन के लिए मूंगफली की खेती
मूंगफली की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए आपको खेतों की लगभग 3 से 4 जुताई करनी चाहिए. मिट्टी को समतल करने के बाद इसके खेत में आवश्यकता के हिसाब से जैविक खाद, उर्वरक और पोषक तत्वों का उपयोग करना चाहिए, जिससे की आपको अच्छी उपज प्राप्त हो सकें. जब खेत तैयार हो जाएं, तो आपको मूंगफली की बुवाई के लिए इसके बीजों को सही विधि के साथ तैयार करना चाहिए, जिससे फसल में कोई बीमारी या कीड़े न पनप सकें. आपको इसकी बुवाई के लिए उन्नत किस्म का चयन करके ही इसके बीजों को बोना है. इसकी बुवाई के लिए आपको प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 60 से 70 किलोग्राम बीजों का इस्तेमाल करना चाहिए.
मूंगफली की फसल की सिंचाई
बता दें, मूंगफली की फसल बारिश पर निर्भर होती है, इसलिए इसे किसानों के बीच पानी बचाने वाली फसल के नाम से भी पहचाना जाता है. आपको अपने खेतों में अधिक बारिश होने से पहले जल निकासी का प्रबंध करना चाहिए, जिससे पानी फसल में ना भर पाए. यदि इसकी फसल में पानी भरा रहता है, तो इससे कीड़े और बीमारियां लगने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है. आपको कम बारिश होने पर ही इसकी जरूरत के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए.
कीटनाशकों का उपयोग
मूंगफली की फसल में अधिक खरपतवार निवल आती है, जो इसके पौधे की वृद्धि के साथ-साथ उपज की गुणवत्ता को प्रभावित भी काफी ज्यादा प्रभावित करती है. मूंगफली की बुवाई करने के लगभग 20 दिनों बाद और 35 दिनों के बाद अपने खेतों की निराई-गुड़ाई करके खेत उगने वाली खरपतवार को उखाड़कर फैंक देना है. आपको इसकी फसल की रोगों और कीटों से निगरानी करते रहना चाहिए. इसके अलावा हर 15 दिन के अंतराल पर इसकी फसल में जैविक कीटनाशकों का उपोग करना चाहिए.