धान मुख्यतौर पर खरीफ फसल है. किसानों ने धान की खेती (Paddy Cultivation) की तैयारी भी शुरू कर दी है. इस समय कई किसान धान (Paddy) की पौध (नर्सरी) डाली जा रही है.
इसके लिए बाजार में कई तरह की किस्में आनी शुरू हो गई हैं. इन किस्मों की अपनी-अपनी एक अलग खासियत है, लेकिन मौजूदा समय में एक किस्म अपने नाम की वजह से काफी चर्चा में है.
दरअसल, धान की इस किस्म का नाम हिटलर-711 (Hitlar-711) है, जो कि एक हाइब्रिड किस्म है. इस किस्म को हैदराबाद की एक कंपनी द्वारा तैयार किया गया है. खास बात यह है कि यूपी से लेकर बिहार तक के किसान हिटलर-711 (Hitlar-711) की रोपाई की तैयारी कर रहे हैं. वैसे इसकी पैदावार उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और बिहार आदि में बड़े पैमाने पर होती है. कहा जा रहा है कि हिटलर नाम की वजह से इसका संबंध जर्मनी से होगा.
क्यों रखा गया हिटलर-711 नाम?
इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है, लेकिन इसके एक होलसेलर ने बताया है कि पिछले साल इलाहाबाद के आस-पास के क्षेत्रों में इसकी पैदावार हुई थी. इस साल इसे पूर्वांचल में भी भेजा गया है.
कितने दिन में तैयार होगी फसल?
धान की हिटलर-711 किस्म 125 से 130 दिन में पकने वाली किस्म है.
हिटलर-711 किस्म से पैदावार
इस किस्म से प्रति एकड़ 18 क्विंटल पैदावार का दावा किया जा रहा है. इस किस्म का चावल पतला है, जो कि खाने में काफी स्वादिस्ट होता है. हिटलर-711 हाईब्रिड है, लेकिन इसका स्वाद देसी धान की तरह बताया गया है. इस किस्म का पौधा गिरता नहीं है, क्योंकि यह बौनी प्रजाति है और पौधा 190 सेंटीमीटर का होता है.
जानकारी के लिए बता दें कि दुनियाभर में धान की 1 लाख से अधिक प्रजातियां हैं. इनमें से भारत में लगभग 60 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं. फिलीपीन्स के इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (IRRI) में चावल का सबसे बड़ा जीनबैंक है. हमारा देश चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, लेकिन नंबर वन एक्सपोर्टर है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय की मानें, तो साल 2019-20 में 118.87 मिलियन टन चावल का उत्पादन हुआ था. इसमें रबी सीजन में हुए 16.59 मिलियन टन का प्रोडक्शन भी शामिल है.