तटीय कर्नाटक में मंगलोर की मुख्य फसल धान है, लेकिन यह एक बाढ़ प्रभावित इलाका है. जहां अक्सर हजारों एकड़ धान की फसल बाढ़ आ जाने पर पानी में डूब जाती है. इससे धान की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान होता है.
बता दें कि मौजूदा वक्त यहां लगभग 300 हेक्टेयर जमीन पूरी तरह से पानी में डूबी हुई है. इस जमीन पर अधिकतर धान की खेती की गई है. यहां की खेती के लिए अत्यधिक पानी बड़ी रुकावट है. यहां किसान धान की फसल लगा देते हैं, लेकिन बाढ़ की वजह से पैदावार कम रह जाती है. इस समस्या का निवारण करने के लिए धान की एक ऐसी अनोखी किस्म विकसित की गई है, जो कि पानी में पूरी तरह डूबने के बाद भी बंपर पैदावार देने की क्षमता रखती है.
सभी जानते हैं कि धान या कोई भी पौधा ज्यादा पानी बर्दाश्त नहीं कर पाता है. अधिक पानी से फसल के सड़ने का खतरा रहता है. मगर धान की खेती में पानी की जरूरत होती है, लेकिन पौधा ज्यादा डूबना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे फसल को काफी नुकसान होता है. इसके साथ ही उत्पादन कम प्राप्त होता है, इसलिए धान की एक नई किस्म तैयार हुई है, जो बाढ़ से लड़कर फसल का अच्छा उत्पादन देगी.
धान की नई सह्याद्रि पंचमुखी किस्म (New Sahyadri Panchmukhi variety of paddy)
कई परीक्षणों से साफ हो गया है कि धान की सह्याद्रि पंचमुखी किस्म की फसल मंगलोर के तालुका में एमओ4 की तुलना में ज्यादा कारगर साबित होगी. ऐसे में वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को सह्याद्रि पंचमुखी किस्म लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. बता दें कि इस किस्म को आंचलिक कृषि एवं बागवानी अनुसंधान स्टेशन ने साल 2020 के दौरान तैयार किया था.
सह्याद्रि पंचमुखी किस्म है बाढ़ प्रतिरोधी (Sahyadri Panchmukhi variety is flood resistant)
इस इलाके में एमओ4 जैसी किस्मों की बुवाई करने का चलन काफी है, लेकिन उससे अधिक पैदावार नहीं मिलती है. मगर सह्याद्रि पंचमुखी किस्म पानी से कम प्रभावित होती है और उत्पादन के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. अब इस किस्म की मांग होती रहती है.
8-10 दिन पानी में डूबा रह सकता है पौधा (The plant can remain submerged in water for 8-10 days)
यह लाल धान की सह्याद्रि पंचमुखी किस्म है. इसकी खासियत यह है कि अगर बाढ़ का असर 8 से 10 दिन भी रहता है, तो इस किस्म के पौधे गलेंगे नहीं, यानी सह्याद्रि पंचमुखी की फसल बाढ़ के पानी से सुरक्षित रहेगी.
कितने दिन में तैयार होगी फसल (In how many days will the crop be ready)
धान की सह्याद्रि पंचमुखी किस्म से फसल 110 से 130 दिनों में तैयार हो जाएगी. इस धान से पैदा हुआ चावल का स्वाद बहुत स्वादिष्ट होगा. इसके साथ ही चालव की खुशबू लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगी. वैज्ञानिक का कहना है कि इस चावल की खुशबू की वजह से सह्याद्री पंचमुखी किस्म की मांग लगातर बढ़ती जा रही है.
सह्याद्रि पंचमुखी किस्म से उत्पादन (Production from Sahyadri Panchmukhi variety)
रिसर्च की मानें, तो धान की सह्याद्रि पंचमुखी किस्म का उत्पादन 26 प्रतिशत तक अधिक प्राप्त होता है. इस पर पानी का भी कोई खास असर नहीं पड़ता है. इसके बीज का उत्पादन मंगलोर स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र में शुरू कर दिया गया है, ताकि अधिक से अधिक किसानों को बीज उपलब्ध हो सके.
बीज उत्पादन का काम तेज (Speed up seed production)
जानकारी मिली है कि साल 2019 के खरीफ सीजन के दौरान लगभग 500 एकड़ जमीन पर धान की सह्याद्रि पंचमुखी किस्म बोने का लक्ष्य रखा गया था. इसके लिए 4 किसानों को सह्याद्रि पंचमुखी के लगभग 180 क्विंटल बीज बांटे गए थे. इसी तरह साल 2020 में खरीफ सीजन के दौरान धान रोपाई का लक्ष्य बढ़ाकर 1 हजार एकड़ कर दिया गया था.
इसके लिए मंगलोर के 11 किसानों को लगभग 250 क्विंटल बीज बांटे गए थे. ऐसे में अब बीज उत्पादन का काम काफी तेजी से बढ़ रहा है. बता दें कि एक किसान ने सह्याद्रि पंचमुखी के लगभग 100 क्विंटल बीज तैयार किए हैं.