Paddy Cultivation: भारत में इन दिनों खरीफ सीजन की फसल धान की रोपाई की जा रही है. यदि किसान धान की रोपाई करने से पहले इसकी खेत की मिट्टी का उपचार करें, तो इससे जड़ों में लगने वाले कीट और दीमक से होने वाले नुकसान से फसल को बचाया जा सकता है. बता दें, धान की खेती (Dhan Ki Kheti) देश की मुख्य फसलों में से एक है, इसकी खेती मुख्य रूप से मानसून में की जाती है. वैज्ञानिकों द्वारा धान की रोपाई से पहले खेतों की मिट्टी में फफूंदी जनित जैविक उत्पाद का उपयोग करने के लिए कहा जाता है.
रोपाई से पहले मिट्टी का उपचार
यदि किसान धान की रोपाई पर खास ध्यान देते है, तो काफी अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. ऐसे में अच्छी उपज के लिए किसानों को बुवाई शुरू करने से पहले कुछ जरूरी बातों को जानना होता है. बता दें, धान की फसल को लगातार सिंचाई की आवश्यकता होता है, इस दौरान खेत की मिट्टी में मौजूद कीट जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए किसानों के लिए जरूरी है कि धान की रोपाई करने से पहले खेत की मिट्टी का उपचार किया जाए, इससे फसल की गुणवक्ता और उपज को सुरक्षित रखा जा सकता है.
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मिट्टी में करें इस दवा का उपयोग
धान की रोपाई से पहले किसानों को इसकी फसल में भूमिगत कीटों की रोकथाम के लिए अंतिम जुताई के दौरान प्रति हेक्टेयर 5 किलोग्राम ब्यूवेरिया बेसियाना और मेटाराइजियम एनिसोप्ली को गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर डालना चाहिए. अब आपको खेत की अच्छी से जुताई करनी चाहिए और पाटा लगाकर समतल कर देना चाहिए. इसके बाद, खेत में पानी को भर कर रोपाई के लिए तैयार करना चाहिए. आपकी जानकारी के लिए बता दें, ब्यूवेरिया बेसियाना और मेटाराइजियम एनिसोप्ली के एक किलो की कीमत लगभग 168 रुपये है.
धान की खेती
धान की खेती के लिए समतल और उपजाऊ भूमि को उपयुक्त माना जाता है. इसकी खेती के लिए जल की उपलब्धता विशेष होती है. धान की रोपाई से पहले इसके बीजों को नर्सरी में बोया जाता है, इसके 20 से 30 दिनों बाद पौधे को रोपा जाता है. इसकी फसल में नियमित सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण और संतुलित उर्वरक का उपयोग काफी जरूरी होता है. किसान इसकी फसल को कीट और रोग से बचाने के लिए जैविक और रासायनिक विधियों का इस्तेमाल कर सकते हैं. बता दें, रोपाई के 100 से 140 दिनों में इसकी फसल की कटाई की जाती है और मड़ाई द्वारा दानों को अलग करके सुखाया जाता है. इसके बाद, किसानों को इसके भंडारण के लिए किसी सूखे और साफ स्थान का चयन करना होता है, जिससे नमी और कीटों से बचाव किया जा सकें.