भारत में गेहूं चावल के बाद सबसे ज्यादा खाए जाने वाला अनाज है. इसकी खेती रबी के सीजन में होती है. किसानों की आमदानी को बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने बड़ी सौगात दी है. हाल ही में करनाल के भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र और हिसार के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय ने मिलकर गेहूं की 10 नई और उन्नत किस्में और जौ की एक नई किस्म विकसित करने में कामयाबी हासिल की.
यहां के कृषि वैज्ञानिकों ने देश के अलग-अलग क्षेत्रों के हिसाब से यह किस्म ईजाद की है ताकि किसान वहां कि मिट्टी और जलवायु के मुताबिक अच्छी पैदावार ले सकें. बता दें कि देश के अन्यदाताओं को आर्थिक रुप से मजबूत करने में हमारे वैज्ञानिकों का बहुत बड़ा हाथ होता है. उनके लगातार परिश्रम और नए शोधों से ही किसान मजबूत और दृढ बन पाएंगे. तो आइये जानते हैं गेहूं और जौ की इन नई और उन्नत किस्मों के बारे में -
अधिक पैदावार और रोग प्रतिरोधक
गेहूं और जौ की यह नई किस्म काफी उन्नत, अधिक पैदावार देने वाली और रोग प्रतिरोधक है. संस्थान के निदेशक डॉ जीपी सिंह के मुताबिक, ''हम सालों से प्रयासरत थे कि हमारे किसानों को उन्नत और अधिक उत्पादन देने वाली किस्में मिलती रहे. इन नई किस्मों को ग्लोबल व्हीट इम्प्रूमेंट समिट (Global Wheat Improvement Summit) में 24-25 अगस्त को स्वीकृति मिली है.
देश के विभिन्न क्षेत्रों के लिहाज विकसित की गई ये सारी किस्में अधिक उत्पादन देने वाली है. डॉ सिंह आगे बताते हैं कि ये सारी किस्में विभिन्न तरह के रोगों से लड़ने में सक्षम है. वहीं गेहूं की नई किस्मों से प्रति हेक्टेयर से 75 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. इसमें से एक किस्म हिसार के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और बाकी की किस्में करनाल के भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान ने विकसित की है.
जौ की सबसे उन्नत किस्म
डॉ जीपी सिंह जौ की विकसित की गई किस्म के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि इससे पहले भारत में जौ की जो भी किस्में किसान खेती करते थे उससे बियर नहीं बनती थी. लेकिन हमने जो किस्म विकसित की है इससे बियर बनाई जा सकती है. यह बियर बनाने के एक बेहतरीन और उन्नत किस्म है. इसका सबसे ज्यादा फायदा किसानों को होगा. उन्हें उनके उत्पादन का अधिक दाम मिलेगा.
भारत में गेहूं का रकबा
भारत में किसानों और वैज्ञानिकों के अथक प्रयास का ही नतीजा है कि गेहूं का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है. देश में 29.8 मिलियन हेक्टयेर में इसकी खेती की जाती है. साल 2006-07 में लगभग 75.81 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ था जो 2011-12 में बढ़कर 94.88 मिलियन मीट्रिक टन हो गया. गेहूं उत्पादन में देश के अग्रणी राज्य हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश है.
उत्तरी पश्चिमी क्षेत्रों की किस्म
उत्तरी पश्चिमी क्षेत्रों के लिए चार किस्म विकसित की गई है. पहली किस्म है एचडी-3298, जो कि सिंचित क्षेत्र और देरी से बोई जाने किस्म है. दूसरी किस्में इस प्रकार है-डब्ल्यूएच 1270, डी डब्ल्यू 187 और डीडब्ल्यू 3030. यह तीनों किस्म सिंचित क्षेत्र में जल्दी से बोई जाने वाली है. गेहूं की नई किस्मों को उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र के राज्य पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान(उदयपुर और कोटा मंडल छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू -कश्मीर राज्य के जम्मू और कठुआ जिले, हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले और उत्तराखंड के तराई क्षेत्र के लिए विकसित किया गया है.
विशेष आर्थिक क्षेत्रों के लिए
यहां के लिए गेहूं की एचडी 3293 किस्म उत्तम है. जहां इसे सिंचित क्षेत्र में बोया जाता है. ये क्षेत्र है उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल. यहां के किसान इस किस्म को उगाकर अच्छा उत्पादन ले सकते हैं.
मध्य क्षेत्रों के लिए
देश के मध्य क्षेत्रों के लिए सीजी-1029 और एचआई-1634 किस्म उत्तम है, जिसे यहां के सिंचित क्षेत्र में देर से बोया जाता है. मध्य क्षेत्रों के ये राज्य है मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़. इसके अलावा इसे राजस्थान के कोटा और उदयपुर डिविजन और यूपी के झांसी मंडल में भी उगाया जा सकता है और अच्छी पैदावार ली जा सकती है.
प्रायद्वीपीय क्षेत्रों के लिए
यहां के लिए डीडीडब्ल्यू 48 (सिंचित और समय पर बोई जाने वाली) एचआई 1633 (सिंचित और देर से बोई जाने वाली), एनआईडीडब्ल्यू 1149 (सिंचित और समय पर बोई जाने वाली) किस्में विकसित की गई. इन क्षेत्रों के राज्य हैं कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, गोवा और तमिलनाडु.