मिट्टी की उर्वरा शक्ति के प्रबंधन के लिए उपलब्ध पोषक तत्वों के प्रकार व मात्रा की जानकारी होनी चाहिए. फसल विशेष के लिए उपलब्ध तत्वों की आवश्यक मात्रा का प्रबंध इस तरह से होना चाहिए कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी न आये, साथ ही साथ पौधों को संतुलित पोषण प्राप्त हो और उर्वरकों के संतुलित प्रयोग से मिट्टी, पौधों एवं पर्यावरण पर होने वाले दुस्प्रभावोँ को कम किया जा सके. मिट्टी परीक्षण से मिट्टी में उपस्थित तत्वों का सही सही पता लगाया जा सकता है। इनकी जानकारी के बाद इसकी मदद से मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्व की मात्रा को संतुलित मात्रा में उर्वरक देकर खेती के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है तथा इससे फसल की पैदावार बढ़ाई जा सकती है.
मिट्टी परीक्षण, आखिर क्यों है जरूरी
सघन खेती में अधिक उपज देने वाली संकर किस्मों के लिए अधिक सिंचाई व अधिक उर्वरकों की आवश्यकता होती है जिसके कारण मिट्टी में उपलब्ध तत्वों की कमी हो जाती है. इसलिए मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों का पता लगाकर लम्बे समय के परिणामों को ध्यान में रखते हुए मिट्टी के स्वास्थ्य तथा गुणों में सुधार करना आज के समय की प्रमुख आवश्यकता हो गई है.
देश में पाई जाने वाली लगभग सभी मिट्टियों में जैविक कार्बन की मात्रा बहुत कम पायी जाती है. जब तक हमें मिट्टी की समस्याओं एवं उनसे उपलब्ध जैविक कार्बन और पोषक तत्वों के बारे में उचित जानकारी पता नहीं हो तब तक उचित प्रबंधन नहीं किया जा सकता है.
पौधों की बढ़वार के लिए प्रमुख रूप से 17 विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिनमें से तीन पोषक तत्व कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की पूर्ति पौधें वायुमण्डल और जल से कर लेते है. शेष 14 पोषक तत्व भूमि से प्राप्त किये जाते है. इनमें से किसी भी तत्व की कमी या अधिकता होने पर फसल की वृद्धि और उत्पादकता पर असर पड़ता है. एक तत्व की कमी और अधिकता दूसरे तत्व के अवशोषण पर भी प्रभाव डालता है. इसी तरह अम्लीय भूमि में सल्फर, बोरोन, मॉलीब्लेडिनम की उपलब्धता कम हो जाती है, जब की आयरन, मैंगनीज, एल्युमिनियम की उपलब्धता विषैले स्तर तक पहुँच जाती है.
अतः मिट्टी परीक्षण से मिट्टी पीएच, विद्युत चालकता, जैविक कार्बन के साथ साथ मुख्य पोषक तत्वों और सूक्ष्म पोषक तत्वों का पता लगाया जा सकता है, जो उपज बढ़ाने के लिए बेहद जरुरी है.
मिट्टी परीक्षण से होने वाले लाभ
मिट्टी परीक्षण से मिट्टी में उपस्थित तत्वों का पता लगाकर उसी के अनुसार खाद व उर्वरक की मात्रा सिफारिश की जाती है. यानी मिट्टी परीक्षण जाँच के बाद संतुलित मात्रा में उर्वरक देकर खेती में अधिक लाभ लिया जा सकता है और उर्वरक लागत को कम किया जा सकता है.
मिट्टी परीक्षण से मिट्टी पीएच, विघुत चालकता, जैविक कार्बन के साथ साथ मुख्य पोषक तत्वों और सूक्ष्म पोषक तत्वों का पता लगाया जा सकता है.
मिट्टी पी.एच.मान से मिट्टी की सामान्य, अम्लीय या क्षारीय प्रकृति का पता लगाया जा सकता है. मिट्टी पी.एच. घटने या बढ़ने से पादपों की वृद्धि पर बुरा असर पड़ता है.
मिट्टी परीक्षण से जैविक कार्बन जाँच कर मिट्टी की उर्वरता का पता चलता है. मिट्टी के भौतिक गुण जैसे मृदा संरचना, जल ग्रहण शक्ति, सूक्ष्मजीवों की वृद्धि आदि जैविक कार्बन से बढ़ते हैं.
मिट्टी परीक्षण के आधार पर कृषि उत्पादन एवं अन्य उपयोगी योजनाओं को लागू करने में सहायता मिलती है. अतः मिट्टी परिक्षण कराने के बाद ये सभी फायदे लिए जा सकते हैं.