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Updated on: 1 April, 2024 6:11 PM IST
मूली की फसल में लगने वाले रोग और उनका समाधान

Radish Farming: मूली में कई प्रकार के गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को लाभ पहुंचाने का काम करते हैं. यह उन फसलों में से एक है, जिन्हें किसान आसानी से लगा सकते हैं. मूली की फसल के लिए आपको किसी खास तरह की खास मिट्टी की ज़रूरत नहीं होती है. आप इसकी खेती अन्य फसलें जैसे कि जौ, गेहूं, सरसों आदि के साथ भी कर सकते हैं. भारत में मूली की खेती (Muli Ki Kheti) हरियाणा, पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात, असम, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से की जाती है. वैसे, तो मूली की फसल में कीट और बिमारियां का आक्रमण कम होता है लेकिन कई बार इनसे प्रभावित होने के बाद इसकी फसल में उपज की कमी आ जाती है. ऐसे में किसान के लिए मूली की फसल को विभिन्न रोग और कीटों से बचाना बेहद जरूरी हो जाता है.

कृषि जागरण की इस पोस्ट में आज हम आपको मूली की फसल में लगने वाले खतरनाक रोग की और उनके समाधान की जानकारी देने जा रहे हैं.

माहू (Aphids)

मूली की फसल में लगने वाले माहू हरे और सफेद रंग के छोटे कीट होते हैं, जो इसकी पत्तियों का रस चूसते हैं. मूली की फसल में माहू कीट के लगने से पत्तिया पीली पड़ने लग जाती है और फसल का उत्पादन में कमी आती है. मूली में इस कीट के लगने के बाद फसल का विपणन (Marketing) करना मुश्किल हो जाती है.

माहू का समाधान (Aphid Solution)

माहू कीट से मूली की फसल बचाने के लिए आपको समय समय पर दवा का छिड़काव करना चाहिए. इस कीट से फसल को बचाने के लिए आप मैलाथियान दवा को पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं. इसके अलावा, आप नीम गिरी के घोल में चिपकों या सेण्ड़ोविट जैसे चिपकने वाला पदार्थ को मिलाकर छिड़काव भी कर सकते हैं.

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रोयेंदार सुंडी (Hairy Caterpillar)

मूली की फसल में लगने वाले रोयेंदार सुंडी कीड़े पीले भूरे रंग के रोयेंदार होते हैं. ये एक साथ ज्यादा संख्या में एक ही जगह पत्तियों को खाते रहते हैं| ये कीड़े फसलों में लगने के बाद पत्तियां को खाकर इन्हें कागज की तरह सफेद जालीदार बना देते हैं. इससे पत्तियां भोजन बनाने की क्षमता खो देती है और खराब होने लगती है.

रोयेंदार सुंडी का समाधान (Hairy Caterpillar Solution)

मूली की फसल में रोयेंदार सुंडी को नियंत्रण में रखने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को पानी में घोलकर 15 से 20 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा आप इसकी रोकथाम के लिए, एंथ्राज़ीन नाम का कीटनाशक भी उपयोग कर सकते हैं.

अल्टरनेरिया झुलसा (Alternaria Raphani)

अल्टरनेरिया झुलसा रोग अधिकतर जनवरी से मार्च के दौरान बीज वाली फसलों पर लगते हैं. इस रोग में मूली की पत्तियों पर छोटे घेरेदार वाले गहरे काले धब्बे बनने लगते हैं. धीरे- धीरे इस रोग से मूली की पूरी फसल इसकी चपेट में आ जाती है. अल्टरनेरिया झुलसा रोग के फसल पर लगने के बाद उत्पादन में कमी आ जाती है.

अल्टरनेरिया झुलसा का समाधान (Alternaria Raphani Solution)

मूली की फसल में अल्टरनेरिया झुलसा रोग को नियंत्रण में रखने के लिए आप कैप्टान दवा का उपयोग कर सकते हैं, इस दवा को आप 250 ग्राम प्रति किलोग्राम के हिसाब से बीजोपचार के लिए इस्तेमाल करें. आपको मूली की फसल को इस रोग से बचाए रखने के लिए इसकी प्रभावित पत्तियों को तोड़कर जला देना है, और अब मैन्कोजेब नामक दवा को 250 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना है.

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मोयला या चेपा (Moyla or Chepa)

मूली की फसल में मोयला कीट पत्तियों का रस चूस जाते हैं, जिससे पौधा बढ़ने से रुक जाता है और इसमें पीलापन आने लग जाता है. इस कीट का प्रकोट मूली की फसल में अधिकतर जनवरी से फरवरी में देखने को मिलता है.

मोयला या चेपा का समाधान (Moyla or Chepa Solution)

मूली की फसल में इस आक्रमण के शूरु होने पर सबसे पहले आपको इसके ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट करना चाहिए. फसल पर नीम गिरी या अजाडिरेक्टिन और चिपकाने वाले किसी पदार्थ को घोलकर छिड़काव करना चाहिए. फसल में अधिक प्रकोप होने पर आप मिथाइल डिमेटान 25 EC/ डाईमेथोएट 30 EC / एसिटामिप्रिड 20% को पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं.

अल्टरनेरिया पर्ण चित्ती रोग (Alternaria Leaf Spot Disease)

मूली की फसल में अल्टरनेरिया पर्ण चित्ती रोग लगने पर पौधे के तनों पर छोटे काले रंग की चित्तीयां बन जाती है, जो धीरे धीरे बढ़कर पौध को गलाने, जड़ों को सड़ाने और पत्तों को मुरझाने का काम करती है. इस रोग के बाद प्रभावित पौधो का विकास रूक जाता है और ग्रसित भाग पर काले भूरे रंग के धब्बे बनने लग जाते हैं.

अल्टरनेरिया पर्ण चित्ती रोग समाधान (Alternaria Leaf Spot Disease Solution)

मूली की फसल को अल्टरनेरिया पर्ण चित्ती रोग से बचाने के लिए खेत को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए. इससे बचाव के लिए आपको बीज की बुवाई उपचारित तरीके से ही करनी चाहिए. फसल में इस रोग को बढ़ने से रोकने के लिए आप जिनेब / मैंकोजेब / रिडोमिल एम जेड-72 / कॉपर आक्सीक्लोराइड को पानी में घोलकर पसल पर छिड़काव कर सकते हैं.

English Summary: muli ki fasal main lagne wale rog aur solution to diseases in radish cultivation
Published on: 01 April 2024, 06:17 PM IST

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