पश्चिम बंगाल चावल उत्पादन में आत्मनिर्भर है. धान की खेती में पश्चिम बंगाल देश में शीर्ष स्थान पर आता है. बंगाल सरकार अब राज्य में प्रोटीन से परिपूर्ण धान की खेती शुरू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है. एकमात्र बंगाल में ही धान की तीन तरह की खेती होती है. रबी और खरीफ दोनों मौसम में बंगाल में आउस, बोरो और अमन धान की खेती होती है.
प्रोटीन युक्त धान की खेती (Protein rich rice cultivation)
अब अधिक प्रोटीन युक्त धान की पैदावार शुरू होने पर राज्य में चार तरह की धान की खेती होने लगेगी. हालांकि अधिक प्रोटीन युक्त इस नई धान की प्रजाति का अविष्कार राष्ट्रीय धान शोध संस्थान ने किया है.सीआर- 310 नाम से अधिक प्रोटीन युक्त धान की खेती अन्य कई राज्यों में भी शुरू होने वाली है. राष्ट्रीय धान सोध संस्थान द्वारा अविष्कार किए गए इस नई प्रजाति के धान की खेती करने की अनुमति उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओड़िशा की सरकारों ने दी है. चूंकि पश्चिम बंगाल की जलवायु और मिट्टी धान की खेती के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है, इसलिए यहां भी अधिक प्रोटीन युक्त नई प्रजाति के धान का बड़े पैमाने पर उत्पादन की संभावना है. कृषि विभाग अधिक प्रोटीन युक्त धान की खेती शुरू करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है.
इस खेती को शुरू करने को लेकर सरकार गंभीर (Government serious about starting this farming)
राज्य के कृषि मंत्री आशीष बनर्जी ने कहा है कि कोई भी अच्छी चीज को बंगाल जल्द अपनाता है. चावल पश्चिम बंगाल का प्रमुख खाद्य है. इसलिए अधिक प्रोटीन युक्त धान की खेती शुरू करने को लेकर सरकार गंभीर है. लेकिन उसके विभिन्न पक्षों की गहन जांच पड़ताल की जाएगी. राज्य में तैयार होने वाले धान से नई प्रजाति के धान का तुलनात्मक परीक्षण किया जाएगा. अगर नई प्रजाति के अधिक प्रोटीन युक्त धान में और पोषक तत्व भी समान मात्रा में होंगे तो उसकी खेती राज्य में शुरू की जाएगी.
राष्ट्रीय धान शोध संस्थान के वैज्ञानिकों का दावा है कि इस नई प्रजाति के धान से देश में प्रोटीन की कमी और कुपोषण दूर करना संभव होगा. मीड डे मिल में बच्चों के लिए इस धान से उत्पन्न चावल उनके सेहत के लिए पोषणयुक्त साबित होगा। पिछड़े क्षेत्र की महिलाओं और बच्चों को इस धान से उत्पन्न चावल देने से उनमें कुपोषण की शिकायत नहीं रहेगी.
साधारण धान में प्रोटीन की मात्रा 6-8 प्रतिशत रहती है. लेकिन सीआर-31 नई प्रजाति के इस धान में प्रोटीन की मात्रा 11 प्रतिशत है.‘नवीन’ नामक धान के साथ असम के एनआरसी- 115 नस्ल के बीज का मिश्रण कर शंकर पद्धति से नई प्रजाति तैयार की गई है. ऱाष्ट्रीय धान शोध संस्थान के खलिहान में 214 में अधिक प्रोटीन युक्त धान सीआर-31 का सफल परीक्षण किया गया. उत्पादन के बाद इस प्रजाति के धान में प्रोटीन की मात्रा 11 प्रतिशत पाई गई. कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि देश में संतुलित खाद्य की कमी पूरा करने में यह धान काफी मददगार साबित होगा.