मानसून से किसानों को खरीफ फसलों की बुवाई करने में काफी मदद मिल जाती है. इसके साथ ही फसलों का रकबा भी बढ़ जाता है. मानसून के दस्तक देने के बाद किसान अपने खेतों को लेकर काफी सक्रिय हो जाते हैं. कई किसान तो खरीफ फसलों की बुवाई की तैयारियां भी करना शुरू कर देते हैं.
आपको बता दें कि मानसून की बारिश धान, मक्का, सोयाबीन, अरहर और उर्द समेत कई सब्जियों की फसलों के लिए लाभकारी मानी जाती है. साफ शब्दों में कहा जाए, तो खरीफ की फसल मानसून पर निर्भर होती है. जून महीने के अंतिम दिनों में मानसून ज्यादा सक्रिय होता है. इसके सक्रिय होने से पहले यानी जून के पहले सप्ताह में प्री मानसून होता है. इससे किसानों को अपने खेत तैयार करने का समय मिल जाता है.
आधुनिक समय में किसान ने हल और बैल की जगह ट्रैक्टर से जुताई करना शुरू कर दिया है. समय के साथ खेती का बैलों का रिश्ता अब कुछ खास नहीं दिखता. पहले के समय में खेती में बैलों का उपयोग करते थे, लेकिन बदलते दौर में बैलों का उपयोग काफी कम हो गया है.
ऐसा प्री मानसून की वजह से मुमकिन हो पाया है. मानसून की बारिश की वजह से किसानों के लिए खेत की जुताई करना आसान हो गया है. जब तक मानसून सक्रिय होता है, तब तक फसलों की बुवाई हो जाती है फिर बारिश होने से फसल की पैदावार अच्छी मिलती है.
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धान, अरहर, सोयाबीन, उर्द की फसल को मिलेगा लाभ (Paddy, Arhar, Soyabean, Urd crops will get benefit)
खरीफ सीजन में कई फसलों को प्रमुख माना जाता है. इसमें धान, अरहर, सोयाबीन, उर्द मूंग आदि शामिल है. इन फसलों की बुवाई जून माह के अंत से लेकर 15 जुलाई तक चलती है. इस बीच मानसून की बारिश के होने से फसलों को अच्छा लाभ मिलता है.