Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 23 July, 2019 3:31 PM IST

अजीविका में सुधार और सशक्तिकरण कार्यक्रम के तहत कश्मीर घाटी में पिछले दो साल में कोसी, अल्मोड़ा की लघु परियोजना अब कश्मीर घाटी के लिए काफी वरदान साबित हो रही है. कश्मीर की घाटी को फूलों के उत्पादन, कारोबार के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है. यह काफी लंबे समय से देखा जा रहा था कि वहां पर अजीविका के क्षेत्र में उतना विकास नहीं हो पा रहा है जितना की होना चाहिए था. यहां पर राष्ट्रीय हिमालयी संस्थान द्वारा विकसित फूलों की व्यवसायिक खेती की परियोजना को आधार बनाया गया जो कि सफल साबित हुई है.

लिलियम और ट्यूलिप फूलों का उत्पादन

यहां के राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन संस्थान और शेर-ए-कश्मीर, कृषि विज्ञान और तकनीकी विश्वविद्यालय श्रीनगर के संयुक्त प्रयासों से अब फूलों की खेती अब खादी- ए-कश्मीर में वरदान साबित हो रही है. राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत चलाई जा रही इस योजना से वर्तमान में कश्मीर की तीन घाटियों में तीन सौ हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में लिलियम, ट्यूलिप और ग्लेडियोस फूलों का सफल उत्पादन किया जा रहा है. वर्तमान में 180लोगों को इस कार्य का प्रशिक्षण दिया जा चुका है. जबकि नौ स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है.

श्रीनगर, पुलवामा समेत कई चयनित क्षेत्र

इन फूलों की खेती के माध्यम से कश्मीर के युवाओं और महिलाओं की अजीविका विकास के लिए श्रीनगर, पुलवामा, और कुलगाम जिलों को चयनित कर लिया गया है. फूल उत्पादकों के सामने यहां अब तक जो समस्याएं सामने आ रही थी उनमें कम उत्पादन, पुरानी पद्धित, अच्छे बीजों का अभाव, नई तकनीक की जानकारी न होना, कीटनाशकों की जानकारी और निर्यात के लिए एंजेसियों की कमी और बिचौलियों की समस्या मुख्य थी. यहां पर बाजार में भारी मांग वाले इन फूलों के बीज की शुरात में नीदरलैंड्स से मंगाए गए है.

सजावटी फूलों की मांग बढ़ी

परियोजना के प्रमुख ने बताया कि सजावटी और सुंगधित फूलों की मांग दुनिया भर में बढ़ती ही जा रही है. स्थायित्व, आय वृद्धि और समानता के साथ कश्मीरी परिवारों को अजीविका की सुरक्षा मिले.इसके काफी प्रयास किए जा रहे है. यहां के संस्थान ने फूलों की खेती के लिए जलवायु और स्थानीय लोगों की अजीविका संवर्धन को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर को प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है. इसके अलावा उतराखंड में भी इसके अजीविका के माध्यम से सश्कत बनाने का कार्य किया जा रहा है.

सम्बन्धित खबर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

फूलों की खेती से रौशन हो रही कश्मीर की कृषि

English Summary: Making the life of farmers easier than flowers blossoming in the plight of Kashmir
Published on: 23 July 2019, 03:32 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now