अमरूद एक ऐसा फल है जो बाजार में कम दाम में आसानी से मिल जाता है. यह सर्दी के मौसम का फल है जिसे जामफल के नाम से भी जाना जाता है. इस फल को भारतीय नमक- मिर्ची लगा कर खाने का लुत्फ़ उठाते हैं. अमरूद अपनी कठोर प्रकृति और व्यापक अनुकूलन क्षमता के कारण भारत के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय भागों में उगाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण फल है. इसे गरीबों का सेब भी कहा जाता है.
अन्य फलों की तुलना में अमरूद की खेती की विशेषता यह है कि इसे हर प्रकार की भूमि एवं जलवायु में उगाया जा सकता है. इस फल की कम समय में उत्पत्ति होती है. यह अपने आकर्षक रंग और स्वाद की वजह से लोकप्रिय है. बाजार में अन्य फलों के मुताबिक इसका भाव कम रहता है. अमरूद का उपयोग कई उत्पादों जैसे- जैली, आईसक्रीम, टॉफी और चीज बनाने में भी किया जाता है. भारत में, अमरूद लगभग सभी राज्यों में उत्पादित किया जाता है. मुख्य रूप से महाराष्ट्र, बिहार, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु में इसका उत्पादन होता है. इस लेख में पढ़िए अमरूद की खेती के द्वारा आप कैसे कर सकते हैं लाखों की कमाई-
अमरूद की खेती के लिए मिट्टी
अमरूद के पेड़ बहुत कठोर होते हैं और सभी प्रकार की मिट्टी में पनप सकते हैं. इसकी खेती के लिए भुरभुरी और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी जरूरी होती है. इसके लिए मिट्टी का पीएच 6.5 से 8.5 के मध्य होना जरूरी है. किसान भाई अपनी फसल की अच्छी उपज पाने के लिए मिट्टी की जांच करवाकर मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर फसल की बुवाई करते हैं तो अधिक लाभ मिलता है.
अमरूद की खेती के लिए जलवायु
अमरूद उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में उगाया जाता है. इसकी खेती के लिए सामान्य तापमान 23-28 डिग्री के बीच होना चाहिए. इसकी खेती अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में नहीं होती है. इसके गुणवत्ता युक्त फलोत्पादन के लिए शुष्क मौसम आवश्यक होता है.
अमरूद की उन्नत किस्में (Improved varieties of Guava))
1) लखनऊ -49 (Lucknow-49)
इसको सरदार फल भी कहते है . इस किस्म में पेड़ की ऊँचाई तो मध्यम होती है लेकिन यह चौड़ाई में फैलने वाला वृक्ष है जिसमें अधिक शाखायें होती है. इसका फल गोलाकार होता है.
2) इलाहाबाद सफेदा (Allahabad Safeda)
इस किस्म के फल के पेड़ की ऊँचाई मध्यम वर्ग की होती है. इसकी शाखाओं का आकार लंबा और घना होता है. इसका फल गोलाकार होता है. जिसका औसतन वजन 180 ग्राम होता है. इसके फल की बात करें तो इसका छिलका पीले रंग का होता है. इस अमरुद का गूदा मुलायम होता है.
3) ललित (Lalit)
ललित अमरूद की किस्म है. इसका औसत वजन 120 ग्राम होता है. इसके फल का गूदा नर्म और गुलाबी रंग का होता है. फल मध्यम आकार और आकर्षक केशरनुमा पीले रंग के होते है .
4) चित्तीदार (Chittidar Guava)
इस किस्म में फल की सतह पर लाल रंग के धव्वे पाये जाते है. यह आकार में छोटा होता है एवं इसके बीज छोटे और मुलायम होते है.
अमरूद की फसल के लिए खाद एवं उर्वरक-
अमरूद के अच्छे उत्पादन के लिए इसमें खाद एवं उर्वरक की मात्रा पर्याप्त होनी चाहिए. अमरूद में दी जाने वाली खाद में नाइट्रोजन और पोटाश की मात्रा अधिक होना चाहिए एवं जस्ता की मात्रा की कम होनी चाहिए. अमरूद की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक की मात्रा पौध की उम्र के अनुसार दी जाती है. उर्वरक क्षमता के अनुसार 7-10 वर्ष तक भी पेड़ों को 30-40 किलोग्राम गोबर खाद, 1000-1250 ग्राम यूरिया और 1500-2000 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 1200-1500 ग्राम पोटाश दे सकते हैं.
अमरूद की फसल के लिए सिंचाई-
फलों के मौसम के दौरान, पेड़ों की नियमित रूप से सिंचाई की जाती है. पानी की अधिकता फलों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. ड्रिप सिंचाई और निषेचन नवीनतम तकनीकें हैं, जो पानी और उर्वरकों के उपयोग को कम करती हैं.
अमरूद की फसल बेचने के लिए करें संपर्क
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