नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद करेंगे कृषि जागरण के 'मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स' के दूसरे संस्करण की जूरी की अध्यक्षता Millets Varieties: बाजरे की इन टॉप 3 किस्मों से मिलती है अच्छी पैदावार, जानें नाम और अन्य विशेषताएं Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान! आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Organic Fertilizer: खुद से ही तैयार करें गोबर से बनी जैविक खाद, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन
Updated on: 7 December, 2018 10:19 AM IST
Tomato Crop

टमाटर का वैज्ञानिक/वानस्पतिक नाम लाइकोपर्सिकन एस्कुलेनटम है और यह सोलेनेसी कुल का एक सदस्य है. टमाटर फल और सब्जी दोनों ही श्रेणियों में आता है. टमाटर की शरदकालीन फसल के लिए जुलाई से सितम्बर, बसंत या ग्रीष्मकालीन फसल के लिए नवम्बर से दिसम्बर तथा पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च से अप्रैल महीनों में बीज की बुआई फायदेमंद होती है. टमाटर स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होता है.

टमाटर के सफल उत्पादन के लिए ज़रूरी है कि मिट्टी की जाँच से लेकर उसमें लगने वाली बीमारियों और कीटों के बारे में सही जानकारी हो, ताकि उनका सही तरीक़े से उपचार करके टमाटर का उत्पादन बढ़ाया जा सके. टमाटर की फ़सल में बहुतायत रूप से कीड़े और रोग पाए जाते हैं जो फ़सल को काफी नुकसान पहुचाते हैं. किसान भाइयों को चाहिए कि किसी पादप रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें और कीड़ों और बिमारियों के लक्षणों की पह्चान करवाकर उनका उचित उपचार करें.

टमाटर की प्रमुख बीमारियाँ

1. अगेती झुलसा

पत्तियों पर मटमैले भूरे रंग के धब्बे हो जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिये जिनेव का 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 15 दिन के अंतर से छिड़काव करें.

2. बेक्टीरियल बिल्ट

इस रोग के प्रभाव से पौधे मुरझाकर सूख जाते हैं. इसका आक्रमण कम करने के लिये रोग-ग्रस्त पौधों को उखाड़कर फेंक दे और स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 1 ग्राम दवा प्रति 3 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.

3. उकठा रोग

संक्रमित पौधों की पत्तियाँ तथा शाखाएं पीली पड़ जाती हैं. कभी-कभी एक शाखा या पौधे के एक तरफ का भाग प्रभावित हो जाता है और संक्रमित पौधे सूख जाते हैं. इसके लक्षण अक्सर पहली फलत के दौरान दिखते हैं. बीज को उपचारित करके ही बोना चाहिए

4. वायरस

वायरस के असर से पौधों की पत्तियां छोटी हो जाती है तथा सिकुड़ जाती हैं. इससे फसल को बचाने के लिये रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर फेंक दें.

5. आर्द्र विगलन

यह टमाटर का भयंकर रोग है जो पिथियम स्पेसीज या राइजोकटोनिया स्पेसीज या फाईटॉपथोरा स्पेसीज के कारण होता है. रोगी पौधे के तने सड़ जाते हैं जिसके कारण पौधे मर जाते हैं.

6.रोकथाम

इसकी रोकथाम के लिए नीम का काढ़ा या गोमूत्र को साथ मिलाकर अच्छी तरह से मिश्रण तैयार कर 250 मि.ली. प्रति पम्प के द्वारा फसल में तर-बतर कर छिडकाव करें.

7. पर्ण कुंचन

यह रोग विषाणु द्वारा फैलता है जिसे सफेद मक्खी फैलाती है. इसके कारण पत्तियां मुड़ जाती हैं और पौधा छोटा रह जाता है. उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. पत्तियों का खुरदरा और मोटा होना इस रोग का मुख्य लक्षण है.

8. रोकथाम

इसकी रोकथाम के लिए नीम का काढ़ा या गोमूत्र को साथ मिलाकर अच्छी तरह से मिश्रण तैयार कर 250 मि.ली. प्रति पम्प के द्वारा फसल में तर-बतर कर छिडकाव करें.

टमाटर के प्रमुख कीट

माहू (एफिड) और फुदका (जेसिड)

इस कीट के बच्चे और वयस्क पत्तियों का रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं. इसकी रोकथाम के लिये एमिडाक्लोरोपिड 150 मि.ली. प्रति हेक्टेयर की दर से या डायमेथियेट 30 ई.सी. -0.03 प्रतिशत या मिथाइल डेमिटान 25 ई.सी. 0.05 प्रतिशत का छिड़काव करें.

फल खाने वाला कीड़ा

चने की इल्ली फलों के भीतर घुसकर खाती हैं. इससे फसल को बचाने के लिये कारबोरिल 50 डब्ल्यू पी. 1500 ग्राम या फोसेलान 35 ई.सी. का 1000 मि.ली. प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें.

तम्बाकू की सुंडी

यह कीट पत्तियों और तनों को खाती है जिससे उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

रोकथाम- इसकी रोकथाम के लिए नीम का काढ़ा या गोमूत्र को माइक्रोजाइम के साथ मिलाकर अच्छी तरह से मिश्रण तैयार कर 250 मि.ली. प्रति पम्प के द्वारा फसल में तर-बतर कर छिडकाव करें.

इपीलैचना बीटल

यह कीट पत्तियों को खाता है. इसकी रोकथाम के लिए नीम का काढ़ा या गोमूत्र को साथ मिलाकर अच्छी तरह से मिश्रण तैयार कर 250 मि.ली. प्रति पम्प के द्वारा फसल में तर-बतर कर छिडकाव करें.

कटुआ कीट

मटमैले रंग की गिडार रात को निकलकर पौधों को जमीन की सतह से काटकर गिरा देती है और दिन में भूमि की दरारों और मिटटी के ढेलों के नीचे छिप जाती है.

रोकथाम- इसकी रोकथाम के लिए नीम का काढ़ा या गोमूत्र को साथ मिलाकर अच्छी तरह से मिश्रण तैयार कर 250 मि.ली. प्रति पम्प के द्वारा फसल में तर-बतर कर छिडकाव करें.

एकीकृत कीट एवं रोग नियंत्रण

1. गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें.

2. पौधशाला की क्यारियॉ भूमि धरातल से ऊंची रखे एवं फोर्मेल्डिहाइड द्वारा स्टरलाइजेशन कर लें.

3. क्यारियों को मार्च अप्रैल माह मे पॉलीथीन शीट से ढकें. भू-तपन के लिए मृदा में पर्याप्त नमी होनी चाहिए.

4. गोबर की खाद मे ट्राइकोडर्मा मिलाकर क्यारी में मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए.

5. पौधशाला की मिट्टी को कॉपर ऑक्सीक्लोराइड के घोल से बुवाई के 2-3 सप्ताह बाद छिड़काव करें.

6. पौध रोपण के समय पौध की जड़ों को कार्बेन्डाजिम या ट्राइकोडर्मा के घोल मे 10 मिनट तक डुबो कर रखें.

7. पौध रोपण के 15-20 दिन के अंतराल पर चेपा, सफेद मक्खी एवं थ्रिप्स के लिए 2 से 3 छिड़काव इमीडाक्लोप्रिड या एसीफेट के करें. माइट की उपस्थिति होने पर ओमाइट का छिड़काव करें.

8. फल भेदक इल्ली एवं तम्बाकू की इल्ली के लिए इन्डोक्साकार्ब या प्रोफेनोफॉस का छिड़काव ब्याधि के उपचार के लिए बीजोपचार, कार्बेन्डाजिम या मेन्कोजेब से करना चाहिए.

9. खड़ी फसल में रोग के लक्षण पाये जाने पर मेटालेक्सिल या मैन्कोजेब या ब्लाईटॉक्स का घोल बनाकर छिड़काव करें. चूर्णी फंफूद होने सल्फर धोल का छिड़काव करें.

कृषि जागरण के लिए -

अरुण कुमार महावर (पी.एच.डी. स्कॉलर)

दीपिका शर्मा (पी.एच.डी. स्कॉलर )

डॉ. ए.के. सोनी (आचार्य) एवं

डॉ. एस.पी. सिंह (सह-आचार्य)

उद्यान विज्ञान विभाग, श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि महाविद्यालय, जोबनेर, जयपुर (राजस्थान)

मोबाइल न. 9694204746

English Summary: Major pests and diseases of tomatoes
Published on: 07 December 2018, 10:27 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now