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Updated on: 19 April, 2020 5:49 PM IST

कई किसान भाई अपने खेतों में भिंडी की खेती कर रहे हैं. फसल का अच्छा और ज्यादा उत्पादन हो, इसके लिए दिन-रात फसल की देखभाल भी कर रहे हैं. मगर फिर भी कई बार भिंडी की फसल कीट और रोगों की चपेट में आ जाती है. इसका सीधा असर फसल उत्पादन पर पड़ता है औऱ किसान को आर्थिक नुकसान पहुंचता है. भिंडी की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट और रोग हैं, जो फसल को बहुत ज्यादा हानि पहुंचाते हैं. आज हम इस लेख में इन्हीं कीट और रोगों के विषय में विस्तार से बताने जा रहे हैं.  

प्रमुख कीट और उनकी रोकथाम

प्ररोह एवं फल छेदक

यह कीट फसल के फलों में छेद करके घुस जाता है और पूरा फल खा लेता है. इससे फसल को भारी नुकसान पहुंचता है. इस कीट के लगने से फल-फूल मुरझाकर गिरने लगते हैं.

रोकथाम

  • जिन फल, फूल और कोपलों पर कीट लगा हो, उसको इकट्ठा करके नष्ट कर दें.

  • अगर कीट का प्रकोप ज्यादा है, तो आवश्यकतानुसार कार्बोरिल को पानी में घोलकर छिड़क दें.

  • आवश्यकतानुसार नीम ऑयल और लहसुन को पानी में घोलकर छिड़क दें.

  • किसान कपास के खेत मे भिंडी की खेती न करें.

रस चूसक कीट

भिंडी की फसल में मोयला, हरा तेला, सफेद मक्खी आदि कीट का प्रकोप हो सकता है, जो फसल की फूल-पत्तियों का रस चूस लेते हैं. इनके प्रकोप से पौधों का विकास रुक जाता है, साथ ही पत्तियां मुरझाकर पीली पड़ जाती हैं. इसके बाद पत्तियों का गिरना शुरू हो जाता है.

रोकथाम

  • पौधों की बढ़ते समय नीम ऑयल को पानी में मिलाकर छिड़क दें. यह प्रक्रिया हर 10 दिन बाद कर लेनी चाहिए.

  • आवश्यकतानुसार डायमेथोएट, मोनोक्रोटोफोस, ऐसीटामीप्रीड, एसीफेट 2 में से किसी एक को पानी में घोलकर छिड़क दें. इस प्रक्रिया को हर 10 दिन के बार 5 से 6 दोहरा लेना चाहिए.

मूलग्रन्थी सूत्रकृमि

यह कीट फसल के पौधों की जड़ों में गांठें बना देता है, इस कारण पौधा छोटा ही रहता है. इसके साथ ही पत्तियां पीली पड़ जाती हैं.

रोकथाम

  • फसल की बुवाई के लिए खेत को तैयार करते वक्त नीम खली का उपयोग करना चाहिए.

  • फसल की सिंचाई के दौरान नीमेगान को पानी के साथ मिला दें. इससे पौधों में इस कीट के लगने का खतरा कम हो जाता है.

  • इसके साथ ही बुवाई के समय आवश्यकतानुसार कार्बोप्यूरान 3-जी को खेत में मिला देना चाहिए.

लाल मकड़ी

इस कीट को आठ पैरों वाला कहा जाता है. यह देखने में बहुत छोटा लाल कीट होता है. यह पौधों की नीचली सतह पर रहकर सारा रस चूसता लेता है. इसके प्रकोप से पत्तियों पर भूरे सफेद धब्बे पड़ जाते हैं. इसके बाद पत्तियां मुड़कर भूरी पड़कर गिरने लगती हैं.

रोकथाम

  • आवश्यकतानुसार प्रोपेजाइल, एबेमेक्टिन, फेनाजाक्वीन 10 ईसी में से किसी एक को पानी में मिलाकर छिड़क दें. ध्यान दें कि इसमें किसी अन्य रसायन को न मिलाएं.

  • आवश्यकतानुसार घुलनशील गन्धक 80 डब्ल्यू पी या डाइकोफोल 5 ईसी को पानी में घोलकर छिड़क सकते हैं.

प्रमुख रोग        

पीत शीरा मोजेक वाइरस

यह भिंडी फसल में लगने वाला प्रमुख रोग है, जो सफेद मक्खी द्वारा फैलता है. इसके फ्रकोप से पत्तियां और शिराएं और फल भी पीले पड़ जाते हैं. इस वजह से पौधे छोटे रह जाते है.  

रोकथाम

  • फसल की बुवाई प्रतिरोधी किस्मों से ही करनी चाहिए.

  • खेत से ग्रसित भाग को उखाड़कर जला देना चाहिए.

  • मेलाथियान 50 ईसी को पानी में घोलकर छिड़क दें. ध्यान रहे कि यह प्रक्रिया फूल आने से पहले और फूल आने के बाद ही करें.

जड़ गलन

इस रोग के प्रकोप से फसल के पौधे की जड़ें सड़ने लगती है. इसके साथ ही पौधा पीला पड़ने लगता है.

रोकथाम

  • बीज को बाविस्टीन से उपचारित कर लेना चाहिए.

आर्द्रगलन

फसल में इस रोग के लगने से जमीन की सतह पर स्थित तने का भाग काला पड़ जाता है और कमजोर होकर सूखने लगता है.

रोकथाम

  • फसल की ज्यादा सिंचाई न करें.

  • बीजोपचार के बाद ही फसल की बुवाई करें. इसके लिए बीजों का ट्राइकोडर्मा विरडी या थीराम से उपचार कर सकते हैं.

ये खबर भी पढ़ें: खेती में उपयोग होने वाले ये हैं मुख्य कृषि यंत्र

English Summary: Major pests and diseases of okra crops and their prevention
Published on: 19 April 2020, 05:49 PM IST

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