Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 6 August, 2023 9:56 AM IST
litchi crop

लीची की फसल में अनेक प्रकार के रोगों का प्रकोप होता है। जिससे लीची की पैदावार एवं गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती है। लीची की फसल में लगने वाले रोगों की जानकारी होना बहुत आवश्यक हो जाता है ताकि समय रहते प्रभावी रोगों का प्रबन्धन किया जा सके। लीची के प्रमुख रोग जैसे-फल विगलन, पर्णचित्ती रोग, श्यामवर्ण रोग, फल झुलसा रोग, फल का चटकना आदि है।

लीची में लगने वाले प्रमुख रोग

फल विगलन

यह एक कवक जनित रोग है। फल विगलन का प्रकोप उस समय ज्यादा होता है जब फल पकने की अवस्था में होता है। इस रोग का प्रमुख लक्षण यह है कि लीची का छिलका मुलायम हो जाता है, और फल सड़ने लगता है। स्टोरेज (भंडारण) एवं यातायात के समय इस रोग के प्रकोप की संभावना अत्यधिक होती है। 

रोकथाम

लीची तुड़ाई के 20 दिन पूर्व पौधों पर प्रोपिकोनाज़ोल (टिल्ट) 25 प्रतिशत ई0सी0 की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।

तुड़ाई के समय फल को चोट से बचाऐं।

पर्ण चित्ती रोग (लीफ स्पाट)

यह एक कवक जनित रोग है। यह रोग अक्सर अंतिम जून से जुलाई महीने में दिखने शुरू होते हैं। इस रोग में पुरानी पत्तियों पर भूरे या चाकलेट रंग की चित्ती (धब्बा) दिखाई देती है।

रोकथाम

  • लक्षण दिखाई देने पर डाईथेन एम-45 या कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

  • रोग से ग्रसित भाग की नियमित कटाई-छटाई करें तथा नीचे जमीन पर गिरी हुई पत्तियों को एकत्रित करके जला दें।

श्यामवर्ण रोग (एनथ्रैक्नोज)

यह रोग कोलेटोट्राइकम नामक कवक से होता है। इस रोग के लक्षण पत्ती एवं फल दोनों पर दिखाई देते हैं। मुख्यतः इस रोग से फलों को ज्यादा हानि होती है। फलों पर शुरूआती लक्षण फल पकने के लगभग 20 दिन पहले होती है। इस रोग में लीची के छिलकों पर छोटे-छोटे भूरे या गहरे भूरे रंग के स्पाट (धब्बे) दिखाई देते हैं।

रोकथाम

  • लक्षण दिखाई देने पर डाईथेन एम-45 या कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

  • रोग से ग्रसित भाग की नियमित कटाई-छटाई करें तथा नीचे जमीन पर गिरी हुई पत्तियों को एकत्रित करके जला दें।

पत्ती, मंजर एवं फल झुलसा रोग

यह कवक जनित रोग है जो कि अल्टरनेरिया अल्टरनाटा से होता है। यह रोग लीची के नर्सरी में अधिक लगता है। यह रोग लीची मंजर (पेनिकल) एवं फलों को झुलसा देता है।

रोकथाम

  • रोग जनित पत्तियों को इकटठा करके जला दें।

  • पत्ती झुलसा से बचाव के लिए कापर आक्सीक्लोराइट (ब्लाइटाक्स 50) की 2 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

  • पुष्प (मंजर) एवं फलों के झुलसा से बचाव के लिए टेबुकोनाजोल 25 प्रतिशत की 2 मिली दवा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

फलों का चटकना-

यह एक विकार है जो कि लीची में बड़े पैमाने पर देखने को मिलता है। लीची में फलों के चटकने का प्रमुख कारण मिटटी में बोरान तत्व की कमी एवं अनियंत्रित अन्तराल पर लीची के बगानों में पानी देना है।

प्रबन्धन

दो से तीन छिड़काव 1 प्रतिशत बोरेक्स का 15 दिन के अन्तराल पर करें।

लीची के बाग को नियंत्रित अंतराल पर पानी दें।

लेखक 

1विश्व विजय रघुवंशी, 2प्रदीप कुमार, 1श्याम नारायण पटेल,

1शोध छात्र, पादप रोग विज्ञान, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज,  अयोध्या

2सहायक प्राध्यापक, पादप रोग विज्ञान, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या

English Summary: Major diseases of litchi and their management
Published on: 06 August 2023, 10:05 AM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now