Maize Farming: रबी सीजन में इन विधियों के साथ करें मक्का की खेती, मिलेगी 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार! पौधों की बीमारियों को प्राकृतिक रूप से प्रबंधित करने के लिए अपनाएं ये विधि, पढ़ें पूरी डिटेल अगले 48 घंटों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 26 June, 2021 3:45 PM IST
Paddy Cultivation

चावल की खेती वैश्विक स्तर पर की जाती है. यह दुनिया की आधी आबादी का भोजन माना जाता है. भारत में भी बड़े पैमाने पर धान की खेती होती है. जहां दुनियाभर में लगभग 148 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है. वहीं धान की 90 फीसदी खेती एशियाई देशों में होती है. भारत के हरियाणा, पंजाब, छतीसगढ़ समेत कई राज्यों में धान की खेती की जाती है. धान की खेती करने वाले किसानों को सबसे ज्यादा समस्या इसमें लगने वाले कीटों तथा रोगों की वजह से आती है.

दरअसल, धान की फसल पर तरह के कीटों व रोगों का प्रकोप रहता है. जो धान के अधिक उत्पादन में बाधा डालते हैं, जिससे धान की खेती करने वाले किसानों को आर्थिक रूप से बेहद नुकसान उठाना पड़ता है. यदि धान की फसल में कीटों और रोगों का सही प्रबंधन किया जाए तो इसकी अधिक पैदावार ली जा सकती है. तो आइये जानते हैं कि फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों व रोगों के बारे में और उनका प्रबंधन कैसे जाए- 

धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट तथा उनका प्रबंधन (Major pests of paddy crop and their management)

भूरा पर्ण दाग- चावल में लगने वाला यह प्रमुख फफूंदजनक रोग है. जिसके कारण पौधे की पत्तियों पर भूरे गोल या अंडाकार धब्बे बन जाते हैं. वहीं इन धब्बों के चारो और पीले रंग का घेरा बनने लगता है. इस रोग का प्रभाव पौधे पर फसल के दाने बनने तक होता है जो फसल को नुकसान पहुंचाता है. जिसकी वजह से किसानों को उत्पादन कम मिल पाता है.

प्रबंधन- इस रोग के प्रबंधन के लिए कोरोमंडल के फफूंदनाशक लान्सिया का प्रयोग करें. प्रति हेक्टेयर लगभग 1250 ग्राम लान्सिया को 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें. लान्सिया का प्रयोग कैसे करें इसकी अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक https://bit.ly/3djeU0W  पर क्लिक करें.

पत्ती ब्लास्ट- धान की फसल को तरह के झुलसा रोग प्रभावित करते हैं. इनमें पत्ती ब्लास्ट रोग प्रमुख है. इस बीमारी के प्रकोप से पौधे की पत्तियों पर नुकीले हरे से लेकर पीले धब्बे पड़ जाते हैं. धीरे-धीरे इस रोग के प्रकोप के कारण पत्तियां गिर जाती है जिसके कारण पौधा मर जाता है. इस रोग की अधिकता के कारण चावल की फसल का उत्पादन प्रभावित होता है. इसी तरह कॉलर ब्लास्ट, गर्दन ब्लास्ट आदि रोग भी राइस की फसल को प्रभावित करते हैं.

प्रबंधन- इस रोग की रोकथाम के लिए भी कोरोमंडल के फफूंदनाशक लान्सिया का छिड़काव करें. यह सभी ब्लास्ट रोगों के लिए कारगर उपाय है. लान्सिया के बारे में अधिक जानकारी के लिए https://bit.ly/3djeU0W लिंक पर क्लिक करें.

सफेदा रोग - यह फसल में लौह तत्व की कमी कारण होता है. इस रोग के लक्षण की बात करें तो इसके प्रकोप से नई पत्तियां कागज जैसी सफेद निकलती है. बता दें कि धान में यह रोग नर्सरी तैयार करते वक्त अधिक लगता है.

प्रबंधन-इस रोग के निदान के लिए 20 किलोग्राम यूरिया एक हजार लीटर पानी घोल बनाकर छिड़काव करें. इसके अलावा आप ढाई किलोग्राम बुझे हुए चूने का घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं. 

English Summary: major diseases and management of paddy crop
Published on: 26 June 2021, 03:44 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now