साल 2025 तक देश की आबादी लगभग 1.4 बिलियन हो सकती है. इसके लिए गेहूं की मांग भी लगभग 117 मिलियन टन तक हो सकती है. जाहिर है कि इस स्थिति में गेहूं का उत्पादन (Wheat Production) बढ़ाना बहुत जरूरी है.
ऐसे में गेहूं की नई किस्में (Wheat Variety) काफी मददगार साबित हो सकती हैं, क्योंकि इस तरह गेहूं का अच्छा और अधिक उत्पादन प्राप्त होगा.
इसी क्रम में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology/DST) के एक स्वायत्त संस्थान, आघारकर अनुसंधान संस्थान (Agharkar Research Institute/ARI) ने गेहूं की एक नई किस्म विकसित की. इसे एमएसीएस 6478 (MACS 6478) नाम दिया गया है. बता दें कि वैज्ञानिक काफी समय से गेहूं की ज्यादा उत्पादन वाली किस्म पर कार्य कर रहे हैं.
यह गेहूं की एक ऐसी किस्म है, जो फसल का उत्पादन (Crop Production) दोगुना बढ़ा सकती है. जैसा कि सभी जानते हैं कि ज्यादा उत्पादन मतलब ज्यादा मुनाफा, इसलिए वैज्ञानिक भी गेहूं की एमएसीएस 6478 किस्म (MACS 6478 Variety of Wheat ) को सबसे बेहतरीन किस्म मान रहे हैं.
गेहूं की एमएसीएस 6478 किस्म है रोग प्रतिरोधी (MACS 6478 variety of wheat is disease resistant)
गेहूं की एमएसीएस 6478 किस्म (MACS 6478 Variety of Wheat ) की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें रतुआ रोग नहीं लगता है. इस रोग की वजह से गेहूं की फसल बर्बाद हो जाती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में गेहूं की एमएसीएस 6478 किस्म किसानों को इस समस्या से छुटकारा दिला सकती है.
कितने दिनों में तैयार होती है फसल (In how many days the crop is ready)
रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं (Wheat) को माना गया है, जिसकी बुवाई अक्टूबर से शुरू हो जाती है. गेहूं की एमएसीएस 6478 किस्म (MACS 6478 Variety of Wheat ) से लगभग 110 दिनों में फसल तैयार हो जाती है, जबकि गेहूं की अन्य किस्में 120 से 130 दिनों में पककर तैयार होती हैं. बता दें कि इस किस्म को उच्च उपज देने वाला एस्टिवम भी कहा जाता है.
पौष्टिकता से भरपूर है एमएसीएस 6478 किस्म (MACS 6478 variety is rich in nutrients)
गेहूं की एमएसीएस 6478 किस्म (MACS 6478 Variety of Wheat ) में रोग प्रतिरोधी क्षमता अधिक पाई जाती है. इसके पौधे भी मजबूत होते हैं, साथ ही इसके अनाज मध्यम आकार के होते हैं. इसकी पौष्टकिता भी दूसरी फसलों से अधिक होती है.
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14 प्रतिशत प्रोटीन
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1 पीपीएम जस्ता
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8 पीपीएम आयरन
जानकारी के लिए बता दें कि गेहूं की एमएसीएस 6478 किस्म (MACS 6478 Variety of Wheat ) के बारे में एक शोध पत्र करंट इंटरनेशनल जर्नल ऑफ करंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्लाइड साइंसेज’ भीं प्रकाशित हो चुका है.
गेहूं का दोगुना हुआ उत्पादन (Wheat Production Doubled)
जब गेहूं की एमएसीएस 6478 किस्म प्रमाणित हुई, उसके बाद अघारकर अनुसंधान संस्थान ने महाराष्ट्र के कुछ गांवों में इस नई किस्म का प्रयोग किया. इसका असर बहुत ही सकारात्मक रहा है.
गेहूं की नई किस्म के साथ 45 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज मिल रही है, जबकि पहले औसत उपज 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी. इस तरह गेहूं का सबसे अच्छी किस्म भी कहा जा सकता है.
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक?
गेहूं की अगेती किस्मों को लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research) के वैज्ञानिक का कहना है कि महाराष्ट्र के किसानों के लिए खास तौर पर गेहूं की एमएसीएस 6478 (MACS 6478) विकसित की गई है. इस राज्य के किसानों के लिए ये किस्म बहुत उपयोगी मानी गई है. इसकी बुवाई से किसान फसल का अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.