इस वक्त देश का अन्नदाता मौसम की कड़ी मार झेल रहा है. उत्तर प्रदेश समेत कई जगहों पर हुई तेज बारिश, आंधी और ओलावृष्टि ने फसलों को बर्बाद कर दिया है. जब से मौसम ने करवट ली है, तब से किसान अपने खेतों में खड़ी फसल को लेकर परेशान हैं. मौसम के कारण किसानों के हजारों हेक्टेयर में खड़ी फसलें तहस-नहस हो गई हैं. बता दें कि किसान गेहूं, चना, आलू, मटर और मसूर की खेती अधिक करते हैं, उनकी यही फसल लगभग 60 प्रतिशत खेतों में ही बर्बाद हो चुकी है. ऐसे में किसान परेशान हैं कि वे अपनी फसल को किस तरह बचाए.
बारिश से खेतों में जलभराव
तेज बारिश की वजह से किसानों के खेतों में पानी भर गया है. इससे फसलों के उत्पादन पर भारी असर पड़ सकता है. किसानों की इस समस्या को दूर करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी है. उनका मानना है कि अगर खेतों में अधिक समय तक जलभराव रहा, तो फसलों को भारी नुकसान पहुंच सकता है. गेहूं के खेत में तो जलभराव काफी हानिकारक साबित हो सकता है.
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
उनका कहना है कि किसान फसल लगे खेतों से पानी को निकालते रहें, ताकि खेतों में गेहूं, चना, मसूर, मटर, प्याज समेत अन्य सब्जियों की फसल को नुकसान से बचाया जा सके. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर किसान समय रहते खेतों से पानी निकाल देता है, तो फसल को कम नुकसान होने की संभावना होगी.
जानकारी के लिए बता दें कि गेहूं के पौधों की जड़ों में हवा का संचार होना आवश्यक होता है. अगर इसके खेत में 12 घंटे से ज्यादा पानी भरा रहे, तो गेहूं के पौधे सूख जाते हैं, तो वहीं जड़ें खराब हो जाती हैं. इसके अलावा किसान ध्यान दें कि पक चुके मसूर, सरसों आदि की फसल में मौसम के साफ होते ही कटाई कर दें. अगर समय रहते कटाई नहीं हुई, तो बालियों के सूखने पर खेत में ही अनाज झड़ने लगेगा.
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