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Updated on: 18 July, 2022 5:36 PM IST
लाल चंदन (Red Sandalwood)

भारत भर में चंदन की खेती (Sandalwood Farming) को बढ़ावा देने के साथ आजीविका के अवसरों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. साथ ही, कृषि आय के स्तर को बढ़ाने के लिए वर्तमान समस्याओं और भविष्य की संभावनाओं पर किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है. जिसमें लाल चंदन (Red Sandalwood) भी शामिल है, जो एक कीमती नकदी चंदन की प्रजाति है, जिससे भारतीय लंबे समय से वंचित थे. यह जंगली पेड़ करोड़ों रुपये की उपज देता है और इसके विकास के लिए कम से कम मानवीय देखभाल की आवश्यकता होती है.

लाल चंदन के लिए मुख्य बातें (Key Points for Red Sandalwood)

लाल चंदन का पेड़ धीमी गति से बढ़ने वाली चंदन की लकड़ी की प्रजाति है, जो गाढ़े लाल रंग की होती है और कठिन जलवायु परिस्थितियों में भी अपना आकार और टेक्सचर को नहीं खोता है. आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) में लाल चंदन की खेती भारत के किसी भी अन्य राज्य की तुलना में अधिक सफल है क्योंकि यहां वाणिज्यिक चंदन की खेती (Commercial Sandalwood Farming) के लिए उपयुक्त जलवायु है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लाल चंदन का वैज्ञानिक नाम टेरोकार्पस सैंटालिनस (Pterocarpus Santalinus) है. यह चंदन सदियों से उपयोग की जाने वाली सामग्रियों में से एक सदाबहार पेड़ है और इसे किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है, लेकिन कृषि विशेषज्ञों के अनुसार कड़कती ठंड में चंदन के रोपण से बचना चाहिए.

इसके अतिरिक्त, लाल चंदन के पेड़ पूरे भारत में 5 डिग्री सेल्सियस से 47 डिग्री सेल्सियस के बीच आसानी से उग सकते हैं, लेकिन सबसे पहले आपको अपने राज्य में चंदन उगाने की अनुमति की जांच करनी होगी.

लाल चंदन का पेड़ भारत के लिए स्थानिक है और पूर्वी घाट में दक्षिण भारत की पर्वत श्रृंखला में पाया जाता है. परंपरागत रूप से लाल चंदन सुगंधित पौधा नहीं है, लेकिन अक्सर लोग संतालम चंदन को लाल चंदन समझ लेते हैं और भ्रमित हो जाते हैं. संतालम एक अलग चंदन का पौधा है और यह एक सुगंधित चंदन का पेड़ है जो मूल रूप से दक्षिण भारत में उगता है.

लाल चंदन की खेती (Red Sandalwood Cultivation)

  • Laal Chandan Ki Kheti के लिए दोमट और लाल मिट्टी में उपयुक्त मानी जाती है.

  • Red Sandalwood की बुवाई का सबसे अच्छा समय मई से जून का महीना है.

  • अप्रैल-मार्च में इसको नर्सरी बेड में बोया जाता है जिसके बाद इसको मई-जून में ट्रांसप्लांट किया जाता है.

  • यह शुष्क गर्म जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ पाता है.

  • इसको 10 x 10 फीट की दूरी में लगाया जाना चाहिए.

  • इसको पहले दो वर्षों में खरपतवार मुक्त वातावरण में उगाना चाहिए.

  • इसकी खेती में भूमि की बार-बार जुताई की जाती है और इसमें 45 सेमी x 45 सेमी x 45 सेमी आकार के साथ 4 मीटर x 4 मीटर की दूरी पर गड्ढे खोदे जाते हैं.

  • लाल चंदन के पौधों को रोपाई के तुरंत बाद सिंचित कर दिया जाता है. फिर मौसम की स्थिति के आधार पर 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जाती है.

  • इसकी तीन पत्तों वाली त्रिकोणीय पत्तियां होती हैं.

  • इसके पेड़ों में मई के महीने में पत्ती खाने वाली इल्ली लगती है जिसको नियंत्रित करने के लिए साप्ताहिक अंतराल पर दो बार 0.2% मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव करना चाहिए.

  • यह 150 सेमी से 200 सेमी की परिधि के साथ 15 से 17 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकता है.

  • लाल चंदन को भारत में कहीं भी उगाया जा सकता है.

  • ध्यान रहे कि जानवर इसकी गंध के कारण पेड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए आपको आवारा जानवरों से पेड़ों को बचाना होगा. ध्यान रहे कि यह पेड़ रेतीले और बर्फीले क्षेत्रों को छोड़कर किसी भी क्षेत्र में उग सकते हैं.

लाल चंदन की खेती करने के प्रकार (Types of cultivation of red sandalwood)

चंदन को जैविक (Organic) और पारंपरिक (Traditional) दोनों तरह से उगाया जा सकता है. जैविक चंदन के पेड़ों को विकसित होने में लगभग 10 से 15 साल लगते हैं, जबकि पारंपरिक चंदन के पेड़ों को विकसित होने में लगभग 25 से 30 साल लगते हैं.

लाल चंदन के लोकप्रिय नाम (Popular names of red sandalwood)

Laal Chandan के अलग-अलग नाम हैं जैसे अल्मुग, सौंडरवुड, रेड सैंडर्स, रेड सैंडर्सवुड, रेड सॉन्डर्स, रक्त चंदन, लाल चंदन, रागत चंदन, रुखतो चंदन, हार्टवुड आदि.

लाल चंदन की किस्में (Red sandalwood varieties)

लाल चंदन की लहराती धारी और सीधी धारी वाली दो किस्में हैं. लहराती धारी चंदन की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मांग अधिक है. लहराती धारी चंदन का उपयोग मुख्य रूप से वाणिज्यिक चंदन वृक्षारोपण (Commercial Sandalwood Plantation) के लिए किया जाता है.

निष्कर्ष (Conclusion)

भारतीय चंदन को दुनिया की सबसे मूल्यवान व्यावसायिक लकड़ी में से एक माना जा सकता है. वर्तमान में इसकी लकड़ी और तेल के लिए विश्व स्तर पर इसकी सराहना की जाती है. 2001 और 2002 में चंदन उगाने के संबंध में नियमों के उदारीकरण के बाद से पूरे भारत में किसानों और हितधारकों के बीच इस पेड़ की खेती में जबरदस्त रुचि रही है. आपको बता दें कि लाल चंदन को चीन में ऐतिहासिक रूप से महत्व दिया गया है जिन्होंने शास्त्रीय चीनी की शुरुआत की थी.

भारतीय परंपरा में चंदन का एक विशेष स्थान है जहां इसका उपयोग पालने से लेकर दाह संस्कार तक किया जाता है. सौंदर्य प्रसाधन, फार्मास्यूटिकल्स, अरोमाथेरेपी, साबुन उद्योग और इत्र में इसके उपयोग के कारण चंदन और इसके आवश्यक तेल का व्यावसायिक मूल्य बहुत अधिक है.

हालांकि, भारत के कुछ राज्यों ने चंदन की खेती पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया है. अपने क्षेत्र में चंदन की खेती को वैध बनाने के लिए अपने वन, कृषि या प्रजनन विभाग से संपर्क कर सकते हैं.

English Summary: Lal chandan ki kheti, Red Sandalwood is sold in crores, not everyone can grow its tree, know its farming
Published on: 18 July 2022, 05:42 PM IST

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