आलू समशीतोष्ण जलवायु की फसल है. देश के कई राज्यों में इसकी खेती उपोष्णीय जलवायु की दशाओं में रबी के मौसम में की जाती है. इसकी अच्छी खेती के लिए फसल अवधि के दौरान दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए, तो वहीं रात का तापमान 4 से 15 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. फसल में कंद बनते समय लगभग 18 से 20 डिग्री सेल्सियस तापकम सर्वोत्तम होता है.
इसकी खेती में जलवायु और किस्मों का बहुत महत्व है. अगर आलू की किस्मों की बात करें, तो चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के शाक-भाजी शोध केंद्र ने केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र शिमला के साथ मिलकर आलू की नई किस्म 'कुफरी नीलकंठ' विकसित कर रखी है. इस किस्म की बुवाई से दूसरी किस्मों की तुलना में उत्पादन अधिक मिलता है.
आलू की नई किस्म 'कुफरी नीलकंठ' (New variety of potato 'Kufri Neelkanth')
आलू की फसल में सबसे ज्यादा झुलसा रोग का प्रकोप होता है, लेकिन ये किस्म पछेती झुलसा के प्रति सहनशील होती है. इस किस्म के आलू का छिलका हल्का बैंगनी और गूदा क्रीमी सफेद रंग का होता है. यह आकार में गोल होता है, जिसका औसत वजन 60 से 80 ग्राम है. इसमें एंटी ऑक्सीडेंट एंथोसाइनिंन पिग्मेंट होते हैं. इस कारण यह शरीर में अत्याधिक प्रतिक्रियाशील अणु को नियंत्रित करने की क्षमता रखता है. इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
'कुफरी नीलकंठ' किस्म की बुवाई (Sowing of variety 'Kufri Neelkanth')
इस किस्म की बुवाई 15 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच की जाती है. इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ में होती है. यह किस्म लगभग 90 से 100 दिन में फसल तैयार कर देती है. बता दें कि अब तक सीपीआरआई ने कई जलवायु क्षेत्रों के लिए लगभग 51 आलू की प्रजातियां विकसित की हैं. इन प्रजातियों की देश के अलग-अलग क्षेत्रों में बुवाई की जाती है.
'कुफरी नीलकंठ' किस्म से उत्पादन (Production from variety 'Kufri Neelkanth')
इस किस्म की बुवाई से प्रति हेक्टेयर लगभग 400 से 450 क्विंटल पैदावार प्राप्त हो सकती है, जबकि कुफरी जवाहर, कुफरी बहार, चिपसोना, लाल आलू जैसी किस्में प्रति हेक्टेयर लगभग 300 क्विंटलर तक
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ज़रूरी बात
अगर किसान इस किस्म की बुवाई करना चाहते हैं, तो चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के शाक-भाजी शोध केंद्र या केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र शिमला से संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा अपने क्षेत्र की निजी खाद बीज कंपनी से बातचीत कर सकते हैं.