किसान भाईयों बदलते हुए समय के साथ मिट्टी, हवा, पानी और तापमान आदि सभी कुछ बदल रहा है. ऐसे में ये जरूरी है कि आप नए तकनीकों को जाने, समझे और बेहतर लगने पर उसे अपनाएं. खैर इस बात में कोई दो राय नहीं है कि नए तकनीकों के सहारे आप कम श्रम, समय एवं लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इस काम में पॉली हाउस आपकी बहुत मदद कर सकता है.
कृषि जागरण की पॉली हाउस पर विशेष श्रृंखला (Krishi Jagran's special series on Poly House)
पॉलीघर या पॉलीहाउस के बारे में आप सबने कुछ न कुछ तो सुना ही होगा, लेकिन संभवतः अधिकांश किसानों के मन में इसे लेकर कई तरह के सवाल होंगे. आप द्वारा मिल रहे अधिकतर संदेशों में पॉलीघर पर आर्टिकल लिखने की गुजारिश की जाती है, जिसको ध्यान में रखते हुए हमने इस श्रंख्ला की शुरूवात की है. आज से समय-समय पर हम आपको पॉलीहाउस खेती से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात बताते रहेंगें. चलिए आज बहुत बेसिक से समझते हैं कि आखिर पॉलीहाउस खेती क्यों खास है.
प्रतिकुल जलवायु में सहायक (Helpful in adverse climate)
पॉलीहाउस की जरूरत संरक्षित खेती को करने के लिए होती है, जिससे कि प्रतिकुल जलवायु में भी मनचाहे फसलों का उत्पादन किया जा सके. इसमें सिंचाई के लिए ड्रिप पद्धति का उपयोग होता है, जिससे कि तापमान व आद्रताफसलों के मुताबिक रहती है. ये कहना गलत नहीं होगा कि पॉलीहाउस की मदद से आप साल में कभी भी मनपसंद फसलोंकी खेती कर अच्छीपैदावार कर सकते हैं.
पॉली हाउस की संरचना (Poly House Structure)
इसके ढांचे की बनावट के आधार पर हम पॉलीहाउस को कई वर्गों में बांट सकते हैं, जैसे- रूपान्तरित गुफानुमा, झोपड़ीनुमा यागुम्बदाकारगुफानुमा आदि. अगर आप पहाड़ी क्षेत्रों पर इस तकनीक से खेती करना चाहते हैं, तो आपके लिए रूपान्तरित गुफानुमा या झोपड़ीनुमा डिजायन का पॉली हाउस अधिक फायदेमंद है.
ढांचा निर्माण (Structure building)
ढांचे कोखड़ा करने के लिए सामान्य तौर पर जीआई पाइप या एंगिल आयरन वाले पाइपों का उपयोग किया जाता है. इन पाइपों को उपयोग करने का खास कारण, इनकी मजबूतीका होना है. हालांकि इन पाइपों के अभाव में ढ़ांचे को खड़ा करने के लिए आप बांस का भी उपयोग कर सकते हैं.
प्लास्टिक शीट (Plastic sheet)
वहीं आवरण के लिए 600 से 800 मोटी माइक्रोन पराबैगनी प्रकाश प्रतिरोधी प्लास्टिक शीट की जरूरत पड़ती है. हालांकि अलग-अलग फसलों के लिए प्लास्टिक शीट भी अलग-अलग तरह के होते हैं. आम तौर पर इनका आकार 500-4000 वर्गमीटर के मध्य रखना फायदेमंद होता है.