भारत में कटहल एक सदाबहार वृक्ष होता है, जो करीब 8 सेंटीमीटर ऊंचा और गहरे हरे पत्ते वाले इस बहुशाखीय वृक्ष की खेती किसानों के लिए आय की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी खेती से बहुत अच्छा मुनाफ़ा होता है.
कटहल कच्चा हो या पका हुआ, इसको दोनों प्रकार से उपयोगी माना जाता है, इसलिए बाजार में इसकी मांग ज्यादा होती है. इसकी बागवानी यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत के कई राज्यों में होती है, तो आइए आज आपको कटहल की खेती की पूरी जानकारी देते हैं.
कटहल की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी (Suitable climate and soil for jackfruit cultivation)
कटहल की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में हो जाती है, लेकिन फिर भी इसकी बागवानी के लिए गहरी दोमट और बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त है. इसकी खेती में अच्छा जल विकास होना चाहिए. इसके अलावा कटहल उष्ण कटिबन्धीय फल है, इसलिए इसको शुष्क और नम, दोनों प्रकार की जलवायु में उगाया जा सकता है.
कटहल की किस्में (Jackfruit Varieties)
कटहल की खेती अधिकतर बीज से होती है. बता दें कि एक ही किस्म के बीज से कई तरह के पौधों को तैयार किया जाता है. इसकी कई प्रमुख किस्में रसदार, खजवा, सिंगापुरी, गुलाबी, रुद्राक्षी आदि हैं.
कटहल की खेती के लिए खेत को तैयार करना (Preparation of the field for jackfruit cultivation)
इसका पौधा कई सालों तक उत्पादन देता है, इसलिए खेत को अच्छी तरह तैयार करना चाहिए. इसकी खेती के लिए एक बार अच्छी जुताई करके खेत को समतल कर देना चाहिए. इसके बाद खेत में करीब 10 मी. की दूरी पर एक मीटर चौड़ा और गहरा खड्डा बना दें. ध्यान दें कि इन खड्डों को पौध लगाने के 1 महीने पहले तैयार कर दें. इसके करीब 15 दिन बाद गड्डों में गोबर की खाद और उर्वरक डाल दें और खेत को खुला छोड़ दें. इस तरह करीब 15 दिन बाद में पौध लगा सकते हैं.
कटहल के पौध तैयार करना (Planting of jackfruit)
बीज से पौधे को उगाने के करीब 5 से 6 साल बाद फल लगने लगते हैं. इसके लिए बीजों को कटहल से निकालते ही मिट्टी में उगा देना चाहिए. इसकी पौध बनाने के लिए दो विधि का उपयोग होता है.
-
गूटी विधि
-
ग्राफ्टिंग विधि
गूटी बांधना
अगर कटहल की खेती गूटी विधि से कर रहें हैं, तो पौधा 3 साल बाद फल देना लगेगा. इस विधि में पौध पेड़ की डालियों पर ही तैयार होती हैं. इसके लिए पेड़ की डालियों पर गोल छल्ला बनाया जाता है. इसके बाद छाल हटा देते हैं, जिससे डाली के अंदर वाला भाग दिखाई दे. अब इस भाग पर रूटीन हार्मोन लगाकर उस पर गोबर मिलाई मिट्टी लगाकर पॉलीथीन से ढक दें.
कटहल के पौधे रोपाई का समय और तरीका (Jackfruit planting time and method)
जब पौधे की कलम तैयार हो जाए, तो उन्हें खेतों में लगा देना चाहिए. इसके लिए खड्डों में खाद और मिट्टी को अच्छे से मिला दें, जो पहले से तैयार करके रखें हैं. इसके बाद पौधे को खड्डों में लगाकर उन्हें मिट्टी से करीब 2 से 4 सेंटीमीटर तक ढक दें. ध्यान दें कि इन पौधों को ज्यादातर बारिश के मौसम में लगाना चाहिए. इससे पौधे का विकास अच्छे से होता है. इसके पौधों को जून या जुलाई के महीने में लगाना अच्छा रहता है.
कटहल के पौधे की सिंचाई (Irrigation of jackfruit plant)
इसकी खेती में ज्यादा पानी की ज़रूरत नहीं पड़ती है, इसलिए अगर बारिश का मौसम है, तो पौधे को पानी न दें. अगर बारिश न हो, तो पौधों को ज़रूरत के हिसाब से पानी देना चाहिए. अगर बारिश का मौसम नहीं है, तो पौधों को करीब 15 से 20 दिन के अंतराल में पानी दें.
कटहल की निकाई-गुड़ाई (Jackfruit ploughing)
इसकी खेती में निकाई-गुड़ाई करने के बाद पौधे के थाले साफ़ रखने चाहिए. अगर बड़े पेड़ों का बाग है, तो साल में 2 बार जुताई कर दें. ध्यान दें कि कटहल के बाग़ में बारिश का पानी जमने न दें.
कटहल की पैदावार (Jackfruit Yields)
बाज़ार में कटहल की अच्छी कीमत होती है. अगर एक हेक्टेयर में करीब 150 से ज्यादा पौधे लगाए हैं, तो साल में 3 से 4 लाख तक की पैदावार हो सकती है. कटहल का पौधा 3 से 4 साल में पैदावार देने लगता है. इसकी पैदावार अलग-अलग किस्मों के आधार पर होती है.