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Updated on: 23 March, 2020 3:31 PM IST
Moong Cultivation

भारत में मूंग की खेती (Moong Cultivation) ग्रीष्म और खरीफ, दोनों मौसम में होती है. यह कम समय में पकने वाली मुख्य दलहनी फसल है. इसका उपयोग मुख्य रूप से पोषक आहार के रुप में किया जाता है. इसके साथ ही यह देश की महत्वपूर्ण दलहनी फसल भी है. किसान इसकी खेती से काफी अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं. अगर मूंग की खेती से अच्छी पैदावार चाहिए, तो जरूरी है कि किसान इसकी उन्नत किस्मों का चुनाव ही करें.  

मूंग की उन्नत किस्में (Advanced varieties of moong)

एम.यू.एम 2

मूंग की इस किस्म का पौधा ऊंचाई में करीब 85 सेंटीमीटर का होता है. यह गुंथे हुए भी होते हैं. इस किस्म के दाने आकार में मध्यम और चमकदार लगते हैं. यह 80-85 दिन में पक जाती है, जो प्रति हेक्टेयर 20-22 क्विंटल पैदावार देती है.

आर एम जी 268

मूंग की यह उन्नत किस्म कम बारिश और सामान्य क्षेत्रों के लिए होती है. यह सूखे के लिए प्रतिरोधी है. इस किस्म से आप फसल से करीब 20 प्रतिशत ज्यादा पैदावार ले सकते हैं.

पूसा विशाल

यह किस्म 70-75 दिन में पक जाती है. इसको जायद और खरीफ, दोनों मौसम में लगा सकते हैं. इससे प्रति हेक्टेयर 15-20 क्विंटल पैदावार मिल सकती है.

पंत मूंग 1

मूंग की यह उन्नत किस्म जायद के मौसम में फसल को 75 दिन में पका देती है. इसके अलावा जायद के मौसम में फसल को 65 दिन में पता सकती है. इसके दाने छोटे होते हैं. इससे प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल पैदावार मिल जाती है.

वर्षा

मूंग की यह अगेती किस्म है. इस किस्म का पौधा छोटा और झाड़ीनुमा होता है. इससे  प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल की पैदावार मिलती है.

सुनैना

इस किस्म का बीज हरे रंग का और चमकीला होता है. इससे प्रति हेक्टेयर 12-15 क्विंटल पैदावार देने की क्षमता रखता है.  

अमृत

मूंग की इस किस्म की बुवाई खरीफ मौसम में करना अच्छा माना जाता है. इसमें पीला मोजैक वायरस रोग को सहन करने की क्षमता होती है. इससे 10-12 क्विंटल पैदावार मिल सकती है.

कृष्णा 11

यह भी मूंग की उन्नत अगेती किस्म है. इसको उत्तर प्रदेश के लिए काफी उपयुक्त माना जाता है. यह किस्म फसल को 65-70 दिन में पका देती है. यह फसल की 10-12 क्विंटल पैदावार दे सकती है.

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यह किस्म लगाने से फसल 60-65 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसका पौधा सीधा, लम्बा बढ़ता है. इसके पैदावार की क्षमता प्रति हेक्टेयर 10-15 क्विंटल की होती है. यह बारिश और ग्रीष्म, दोनों मौसम में उपयुक्त रहती है.

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इस किस्म की बुवाई जायद और खरीफ, दोनों मौसम में होती है. इसका तना काफी मजबूत होता है. इसकी फलियां नीचे की तरफ गुच्छे के रूप में झुकी होती हैं. इस किस्म के दाने मोटे होते हैं. इसके 1 हजार दानों का वजन करीब 58-63 ग्राम होता है. यह जल्दी पककर तैयार होने वाली किस्म है, जिससे प्रति हेक्टेयर 15-20 क्विंटल तक की पैदावार मिल जाती है.

मोहिनी

मूंग की इस किस्म में पीला मोजैक वायरस को सहन करने की क्षमता होती है. यह 70-75 दिन में पक जाती है. इसका पौधा सीधा फैलता है, साथ ही इसकी हर फली में 10-12 बीज और दाने छोटे होते हैं. इससे प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल पैदावार मिलती है.

शीला

यह किस्म उत्तर भारत के मौसम के लिए बहुत उपयुक्त मानी जाती है. इससे फसल 75-80 दिन में पक जाती है. इसका पौधा भी एकदम सीधा बढ़ता है, जो लम्बा होता है. इससे  प्रति हेक्टेयर 15-20 क्विंटल पैदावार मिल सकती है.

English Summary: knowledge of advanced varieties of moong
Published on: 23 March 2020, 03:38 PM IST

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