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Updated on: 29 October, 2020 12:26 PM IST

पशुओं के संतुलित आहार व्यवस्था के लिए सूखा और गीला चारा एक निश्चित अनुपात में देना चाहिए. सूखा चारा तो साल भर उपलब्ध हो सकता है किन्तु हरे चारे की उपलब्धता साल भर एक जैसी नहीं रहती है, कभी पशुओं के लिए पर्याप्त हरा चारा मिल जाता है अतः गीले चारे को ही सूखाकर पशुओं को खिलाया जाता है जिससे उसके पोषक तत्वों में कमी आ जाती है. हरे चारे को वैज्ञानिक विधि से भण्डारण कर साइलेज बना कर पशुओं को सालभर समुचित पौष्टिक आहार  दिया जा सकता है. हरा चारा जिसमें नमी की पर्याप्त मात्रा होती है को हवा की अनुपस्थिति में जब किसी गड्ढे में दबाया जाता है तो किण्वन की क्रिया से वह चारा कुछ समय बाद संरक्षित हो जाता है जिसे साइलेज कहते हैं. हरे चारे की कमी होने पर साइलेज का प्रयोग पशुओं को खिलाने के लिए किया जाता है. पशु आहार में साइलेज शामिल करने पर पशुओं का विकास व दुधारू पशुओं में दूध की मात्रा में वृद्धि होती है. 

साइलेज बनाने योग्य फसलें

दानेवाली फसलें जैसे मक्का, ज्वार बाजरा, जई, बरसीम, नैपियर घास आदि साइलेज बनाने के लिए उत्तम है.साइलेज बनाने के लिए उन फसलों का चुनाव करना चाहिए घुलनशील कार्बोहाईड्रेटस अधिक मात्रा में होते हैं जैसे कि ज्वार, बाजरा, मक्का, गिन्नी घास, नैपियर घास, बरसीम, ज्वार, जई आदि साइलेज बनाने के लिए उपयुक्त फसलें होती है. फलीदार फसलों जिनमें कार्बोहाइड्रेटस कम तथा नमी अधिक होती है, को अधिक कार्बोहाइड्रेटस वाली फसलों के साथ मिलाकर अथवा 3-5 प्रतिशत शीरा मिलाकर उत्तम किस्म का साइलेज तैयार कर सकते हैं. साइलेज बनाने के लिए चारे में नमी की मात्रा 55% होनी चाहिए.

साइलेज बनाने के साइलोपिट या साइलेज गड्ढे

साइलेज जिन गड्ढों में भरा बनाया जाता है उन्हें साइलोपिट या साइलेज गड्ढे कहते है. साइलोपिट कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे ट्रेन्च साइलो बनाने में सस्ते व आसान होते हैं. आठ फुट गहराई वाले गड्ढे में 4 पशुओं के लिए तीन माह तक का साइलेज बनाया जा सकता है. गड्ढा ऊँचा होना चाहिए तथा इसे भली प्रकार से कूटकर सख्त बना लेना चाहिए. साइलो के फर्श व दीवारें पक्की बनानी चाहिए या दीवारों की लिपाई भी की जा सकती है. 

साइलेज बनाने की विधि

  • दानेवाली फ़सलों जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, जई आदि को साईलेज बनाने के लिए जब दाने दूधि्या अवस्था में हो तो छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें. 

  • काटे गए हरे चारे के टुकड़ों को जमीन पर कुछ घंटे के लिए फैला देना दे जिससे अधिक पानी की कुछ मात्रा उड़ जाए.

  • अब कटे हुए चारे को पहले से तैयार साइलोपिट या साइलेज गड्ढों में डाल दें. 

  • गड्ढे में चारे को पैरों या ट्रैक्टर से अच्छे से दबाकर भर दे जिससे चारे के बीच की हवा निकल जाए. साइलेज बनाते समय हवा नहीं  रखनी चाहिए क्योंकि किण्वन की प्रक्रिया अच्छे से नहीं हो पाती है.

  • गड्ढे को पूरी तरह भरने के बाद उसे ऊपर से मोटी पॉलिथीन डालकर अच्छी तरह से सील कर दें. सील करने के लिए गीली चिकनी मिट्टी लगाई जा सकती है. 

  • इसके बाद पॉलीथिन कवर के ऊपर से मिट्टी की लगभग एक फीट मोटी परत चढ़ा दें जिससे हवा अंदर ना जा सके.

  • साइलोपिट या साइलेज गड्ढों में भंडारित किए गए हरे चारे के टुकड़ों से साइलेज बनने लगता है, क्योंकि हवा और पानी के न होने से दबाए गए चारे में लैक्टिक अम्ल बनता है, जिस से चारा लंबे समय तक खराब नहीं होता है.

  • चारे की आवश्यकतानुसार गड्ढों को कम से कम 45 दिनों के बाद पशुओं को खिलाने के लिए खोलें. 

English Summary: Know why silage is important for animals
Published on: 29 October 2020, 12:33 PM IST

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