यह ग्रीष्म मौसम चल रहा है. इसमें सूरज की रोशनी सीधी धरती पर पड़ती है, जिससे भूमि का ताप कई गुना बढ़ जाता है. खेती में इस मौसम का भी बड़ा महत्व है. कई किसान इस समय खेत को खाली कर के गहरी जुताई से या मिट्टी को पॉलीथीन शीट से ढक कर भूमि का तापमान बढ़ा देते है. तो आइये जानते हैं इसकी प्रक्रिया और इसका महत्व-
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गर्मी में जब तेज धूप और तापमान अधिक हो (15 अप्रैल से 15 मई) तब मिट्टी सोलेराइजेशन का उत्तम समय होता है.
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भूमि का ताप बढ़ाने के लिए सर्वप्रथम मिट्टी को पानी से गीला करें, या पानी से संतृप्त करें.
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इन क्यारियों को पारदर्शी 200 गेज (50 माइक्रोन) पॉलीथीन शीट से ढक कर गर्मियों में 5-6 सप्ताह के लिए फैला कर उसके चारों तरफ के किनारों को मिट्टी से अच्छी तरह से दबा दिया जाता है ताकि हवा अंदर प्रवेश ना कर सके.
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इस प्रक्रिया में सूर्य की गर्मी से पॉलीथिन शीट के नीचे मिट्टी का तापमान सामान्य की अपेक्षा 8-10 डिग्री सेन्टीग्रेट बढ़ जाता है. जिससे क्यारी में मौजूद हानिकारक कीट, रोगों के बीजाणु, निमेटोड तथा कुछ खरपतवारों के बीज भी नष्ट हो जाते हैं.
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5-6 सप्ताह बाद इस पॉलीथीन शीट को हटा देना चाहिए.
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यह विधि नर्सरी के लिए बहुत ही लाभदायक एवं कम खर्चीली है और इससे विभिन्न प्रकार के खरपतवार के बीज/प्रकन्द (कुछ को छोड़कर जैसे मोथा एवं हिरनखुरी इत्यादि) नष्ट हो जाते हैं.
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परजीवी खरपतवार ओरोबंकी, सूत्रकृमि एवं मिट्टी से होने वाली बीमारियों के जीवाणु इत्यादि भी नष्ट हो जाते हैं. यह विधि किसानों के लिए काफी व्यवहारिक एवं सफल है.
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इस तरह से मिट्टी में बिना कुछ डाले मिट्टी का उपचार किया जा सकता है.
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दूसरी विधि में खेत की गहरी जुताई देशी हल या मिट्टी पलटने वाले डिस्क प्लाऊ से की जाती है. ताकि भूमि में रहने वाले हानिकारक कीट जैसे दीमक, सफेद लट्ट के साथ साथ इनके अंडों का भी सफाया हो जाता है.
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गहरी जुताई से मिट्टी भुरभुरी हो जाती है जिससे मिट्टी की संरचना में सुधार होता है और बारिश के बाद मिट्टी में अधिक पानी ग्रहण करने की क्षमता भी बढ़ जाती है.
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मिट्टी के भुरभुरी होने से फसल की जड़ गहरी जा पाती है और फसल अधिक बढ़वार लिए स्वस्थ्य देखने को मिलती है, जिससे अधिक उपज मिलना स्वाभाविक है.
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मृदाजनित कीटों के न होने या कम होने कृषि रसायनों के उपयोग में कमी आएगी जिससे लागत में कमी सीधी देखी जा सकती है.