देश के अधिकतर किसान खरीफ सीजन में मक्का की खेती करते हैं. यह धान के बाद मुख्य खरीफ फसल मानी जाती है. इसकी खेती दाने, भुट्टे और हरे चारे के लिए होती है. मक्का अन्य फसलों की मुकाबले में कम समय में पककर तैयार हो जाती है और पैदावार भी देने लगती है.
अगर किसान आधुनिक तकनीक को अपनाकर मक्का की खेती करें, तो इससे उन्हें बहुत अच्छी पैदावार प्राप्त हो सकती है.इसकी खेती उष्ण और आर्द जलवायु में आसानी से कर सकते हैं. बस इसके खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. बता दें कि किसानों को मक्का की खेती कृषि वैज्ञानिक की सलाह के अनुसार ही करनी चाहिए, ताकि फसल से अच्छा उत्पादन मिल पाए.
कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक (According to agricultural scientist)
किसानों को गेहूं की कटाई के बाद प्रति हेक्टेयर खेत में करीब 200 क्विंटल गोबर की खाद मिला देना चाहिए. इससे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ती है. किसानों के लिए मक्का की बुवाई का उचित समय मध्य मई से लेकर जून तक का होता है. ऐसे में किसानों को वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार मक्का की खेती करनी चाहिए, ताकि इससे बंपर पैदावार का उत्पादन हो सके.
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि कई बार किसान फसल की अच्छी और उन्नत किस्मों का चुनाव नहीं करते हैं, जिससे फसल का उत्पादन घट जाता है. इसके अलावा खेती में उवर्रक प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान नहीं देते हैं. इससे मक्का की फसल और तना में चोटी भेदक कीट, पत्तियों के रस चूसने वाले कीट और फफूंद जनित बीमारियां लगती हैं. इसका पूरा प्रभाव फसल की गुणवत्ता पर पड़ता है.
बुवाई के समय पर बीज का उपचार (Seed treatment at the time of sowing)
कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि जब किसान मक्का की बुवाई करें, तो सबसे पहले बीज को उपचारित करना अति आवश्यक होता है. इसके लिए किसानों को प्रति किलो बीज में करीब 2 ग्राम कार्बेंडाजिम और 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड का टीका अवश्य लगा लेना चाहिए.
इसके बाद प्रति एकड़ खेत में रखे गए बीजों में करीब 200 मिलीलीटर एजोटोबेक्टर और 200 मिलीलीटर पीएसबी मिला देना चाहिए. इसके अलावा किसान प्रति हेक्टेयर उर्वरकों की मात्र में नत्रजन, फॉस्फोरस, पोटाश, जिंक सल्फेट का उपयोग भी कर सकते हैं.
बुवाई के इन बातों का रखें ख्याल (Keep these things in mind while sowing)
अगर किसान पर्वतीय क्षेत्रों में असिंचित भूमि पर मक्का की खेती कर रहे हैं, तो वहां पर उर्वरकों को आधी मात्रा में उपयोग करने की सलाह दी जाती है. किसान ध्यान दें कि मक्का की बुवाई के तुरंत बाद आवश्यकतानुसार अतराजीन और पेंदीमैथलीन को पानी में मिलाकर खेत में छिड़क दें. इससे खेत में खरपतवार लगने का खतरा पूरी तरह से टल जाता है.
ध्यान दें कि मक्का की फसल में झुलसा रोग लगने की संभावना भी ज्यादा रहती है, इसलिए मक्का की खड़ी फसल में कवकनाशी कार्बेंडाजिम का छिड़काव करना चाहिए. मक्का को कार्बोहाईड्रेट को उत्तम स्त्रोत माना जाता है. इसके साथ ही यह एक स्वादिष्ट फसल भी है. इस कारण फसल में कीट लगने की समस्या अधिक होती है.
इस फसल में धब्बेदार, तनाबेधक, गुलाबी तनाबेधक कीट अधिक लगते हैं. ऐसे में किसानों को प्रतिरोधी उन्नत क़िस्मों का चुनाव करना चाहिए.
आपको बता दें कि मक्का एक ऐसी फ़सल है, जिसके साथ किसान अंतरवर्ती फसलों की खेती भी कर सकते हैं. जैसे उड़द, मूंग,सोयाबीन, तिल, सेम आदि. किसान मौसम के अनुसार अंतरवर्ती सब्जियों को उगा सकते है, जिससे किसानों की बेहतर आमदनी हो पाएगी.