दोमट भूमि जिसमें गन्ने की खेती सामान्यत: की जाती है, में 12 से 15 प्रतिशत मृदा नमी अच्छे जमाव के लिये उपयुक्त है. यदि मृदा नमी में कमी हो तो इसे बुवाई से पूर्व पलेवा करके पूरा किया जा सकता है.
ओट आने पर मिट्टी पलटने वाले हल से एक गहरी जुताई तथा 2-3 उथली जुताइयॉं करके खेत में पाटा लगा देना चाहिये. खेत में हरी खाद देने की स्थिति में खाद को सड़ने के लिये पर्याप्त समय (लगभग एक से डेढ़ माह) देना चाहिये.
गन्ने की बुवाई का समय (Sugarcane sowing time)
गन्ने के सर्वोत्तम जमाव के लिये 30-35 डिग्री से0 वातावरण तापक्रम उपयुक्त है. उपोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में तापक्रम वर्ष में दो बार सितम्बर-अक्टूबर एवं फरवरी, मार्च आता है.
1.शरद - 15 सितम्बर से अक्टूबर
2.बसन्त
1) पूर्वी क्षेत्र - 15 जनवरी से फरवरी
2) मध्य क्षेत्र- 15 फरवरी से मार्च
3) पश्चिमी क्षेत्र- 15 फरवरी से मार्च
गन्ने के रोग एवं उपचार (Sugarcane diseases and treatment)
रोग और उपचार
1.लाल सड़न रोग (रेड रॉट)
गन्ने की बुवाई के पहले बीज (सेट्स) का किसी पारायुक्त कवकनाशी जैसे एगलाल या एरिटान के 0.25 प्रतिशत घोल उपचार करना.
प्रभावित पौधों को खेतो से बाहर निकालकर जला देना.
प्रभावित फसल की पेड़ी न लेना.
2.कण्डुआ (स्मट)
इस रोग के लिए कोई रासायनिक उपचार नही है इससे बचाव के लिए कण्डुआ रहित बीज बुआई के लिए प्रयोग करना चाहिए.
कण्डुआरोधी प्रजातियों का चयन.
प्रभावित फसल की पेड़ी न लेना.
3.बिज्ट
बुवाई से पहले 0.25 प्रतिशत एगलाल या एरिटान के घोल से बीज उपचार.
प्रभावित फसल की पत्तियों एवं जड़ों को जलाकर नष्ट करना.
प्रभावित फसल की पेड़ी न लेना.
4.ग्रासीसूट : एल्बिनो
अवरोधी प्रजातियों का चयन.
गर्म जलवायु शोधन 54 डिग्री सेग्रे0 पर 8 घंटे तक.
प्रभावित फसल की पेड़ी न लेना.
5.रैट्न स्टन्टिंग
स्वस्थ्य बीज का उपयोग.
गर्म जलवायु शोधन 54 डिग्री सेग्रे0 ताप तथा 99 प्रतिशत आद्र्रता पर 2-3 घंटे तक.
प्रभावित फसल की पेड़ी न लेना.
विलम्बित समय- अप्रैल से 16 मई
फरवरी-मार्च में बोये गन्ने में सिंचाई उपरान्त 50 किग्रा0 नत्रजन/है0 (110 किग्रा0 यूरिया) की जड़ के पास टापड्रेसिंग करें तथा गुड़ाई करें.
शरदकालीन गन्ने में सिंचाई करें तथा यदि उर्वरक न दिये हों तो अंतिम टापड्रेसिंग करें.
चोटीबेधक व अंकुरबेधक कीटों के अण्ड समूहों को पत्ती सहित एकत्र कर नष्ट करें. इन कीटों से ग्रसित पौधों को भूमि सतह से काटकर नष्ट करें या चारे में प्रयोग करे.
पेड़ी गन्ना में यदि काला चिकटा कीट का आपतन हो तो इन्डोसल्फान 35 ई0सी0 का 670 मिली0 दवा/है0 5 : यरिया के घोल में मिलाकर छिड़काव के समय खेत में नमी रहना आवश्यक है.
देर से बोये गये गन्ने में सिंचाई करें खरपतवार हेतु गुड़ाई करें.
उर्वरक की बचत के साथ-साथ 10-12 : अधिक गन्ना उपज की प्राप्त होती है.