आज के दौर में कृषि उत्पादकता को बढ़ाना एक चनौती जैसा है. कृषि वैज्ञानिकों (Agricultural scientists) के लिए भी ये एक बड़ी समस्या है. किसान कम समय में ज्यादा उपज लेने के लिए रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं लेकिन इसका मिट्टी की गुणवत्ता पर गलत असर भी पड़ रहा है. यही वजह है कि सघन खेती से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी धीरे-धीरे बढ़ रही है. गौरजलब है कि जल्दी फसल लेने के लिए ज्यादातर किसान बताई गई मात्रा की तुलना में रासायनिक उर्वरकों (Chemical fertilizers) की मात्रा खेत में ज्यादा डालते हैं.
इसलिए रासायनिक उर्वरकों से होने वाला लाभ घट रहा है और मिट्टी स्वास्थ्य (Soil health) पर विपरीत पर प्रभाव पड़ रहा है. फसलों द्वारा जमीन से लिए जाने वाले मुख्य प्राथमिक पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस एंव पोटाश हैं, इनमें से नाइट्रोजन का सर्वाधिक उपयोग पौधे द्वारा किया जाता है. इन पोषक तत्वों का 50-60 % भाग वायुमंडल में डिनाइट्रीफिकेशन के रूप में या जमीन में ही अस्थायी रूप में बेकार हो जाता है. आज की परिस्थितियों मे नाइट्रोजन का वैकल्पिक स्त्रोत का उपयोग न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि मिट्टी की उर्वराशक्ति को बनाए रखनें के लिए आवश्यक है. ऐसी स्थिति में जैव उर्वरकों का इस्तेमाल (Use of Biofertilizer) करना ही एकमात्र विकल्प है.
जैव उर्वरक क्या है (What is Biofertilizer)
जैव उर्वरक विशिष्ट प्रकार के जीवाणुओं का समूह है जो तरल या कम्पोस्ट के रूप में पौधों को दिया जाता है. यह मिट्टी में पौधों को अनुपलब्ध अवस्था से उपलब्ध अवस्था में बदल देता है. जैव उर्वरक के प्रयोग से रासायनिक उर्वरकों की एक तिहाई मात्रा तक की बचत हो जाती है. नाइट्रोजन पूर्ति करने वाले ये जैव उर्वरक प्राकृतिक रूप से सभी दलहनी फसलों और सोयाबीन, मूंगफली आदि की जड़ों में छोटी-छोटी गांठो में पाए आते हैं. जो सहजीवन के रूप में कार्य करते हुए वायुमंडल में मौजूद नाइट्रोजन को पौधों तक पहुंचाते हैं.
जैव उर्वरकों से बीज उपचार करने का तरीका (How to treat seeds with biofertilizers)
जैव उर्वरकों के प्रयोग की यह सबसे आसान और उत्तम विधि है. इस विधि में एक लीटर पानी में लगभग 100 ग्राम गुड़ मिलाकार अच्छी तरह उबालकर (Boil) घोल बनाया जाता है. इस घोल को ठंडा होने पर बीजों पर समान रूप से अच्छी हल्की परत चढ़ाई जाती है. इसके बाद बीजों को छायादार स्थान पर सूखने के तुरन्त बाद बुवाई (Sowing) करना उचित रहता है.
पौध जड़ उपचार विधि कैसे करें (How to do seedling root treatment method)
चावल और सब्जी वाली फसलों में यह विधि काम में ली जाती है. इस विधि में पौधों की जड़ों को जैव उर्वरक से उपचारित किया जाता है, इसके लिए किसी बर्तन या बाल्टी में 5-7 लीटर पानी में एक किलो जैव उर्वरक मिलाया जाता है. नर्सरी से पौधों को उखाड़ कर इनकी जड़ों को मिट्टी साफ करने के बाद 50- 100 पौधा का बंडल में बांधकर 10 मिनट तक डूबो कर रखा जाता है. इसके बाद ही रोपाई की जाती है. यह कार्य शाम के समय करना उचित रहता है.
कन्द उपचार विधि (Bulb treatment method)
यह विधि आलू (Potato), अदरक जैसी कंद द्वारा बोई जाने वाली फसलों में किया जाता है. एक किलोग्राम जैव उर्वरक को 20-30 लीटर पानी में घोलकर मिला दिया जाता है. इन कंद को 10 मिनट तक घोल (Solution) में डुबोकर रखने के बाद बुवाई के काम में लिया जाता है.
मृदा उपचार विधि (Soil treatment method)
मृदा उपचार के लिए 4-6 किलो जैव उर्वरक को कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद में मिलाया जाता है. फिर इस मिश्रण (Mixture) को अन्तिम जुताई के समय खेत में मिला दें. खड़ी फसल में भी इसका उपयोग किया जा सकता है, इसके लिए कल्चर को कम्पोस्ट में मिलाकर पौधों की जड़ों के पास बिखेर दें. ध्यान रखें खेत में नमी रहना आवश्यक है.
जैव उर्वरकों के प्रयोग में सावधानियां (Precautions in the use of bio fertilizers)
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जैव उर्वरकों धूप या गर्मी से बचाकर रखना चाहिए और कल्चर पैकेट उपयोग के समय ही खोलें.
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बायोफर्टिलाइजर का प्रयोग फसलों में शाम के समय या दिन में कम तापमान के समय ही करना चाहिए.
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बायोफर्टिलाइजर का इस्तेमाल करने के 5-10 दिन पहले या बाद किसी भी रसायनिक फफूंदनाशी या जीवाणुनाशी का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
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जैव उर्वरक खरीदते समय उर्वरक का नाम, बनाने की तिथि और फसल का नाम इत्यादि ध्यान से देख लें. जैव उर्वरक का प्रयोग समाप्ति की तिथि के पश्चात न करें.