Pest in Maize Crop: भारत की मुख्य फसलों में से एक मक्का की फसल है. इसका इस्तेमाल उपयोग मानव आहार, पशुओं को खिलाने वाले दाने एवं भूसा के रूप में सबसे अधिक किया जाता है. वैसे तो किसानों के लिए मक्का की फसल बेहद लाभकारी है. अगर किसान मक्के में लगने वाले खतरनाक कीट और रोग से फसल का बचाव कर सके. मक्का की फसल में फॉल आर्मीवर्म कीट/ Fall Armyworm Pest in Maize Crop लगने की संभावना सबसे अधिक रहते हैं.
बता दें कि यह एक ऐसा हानिकारक कीट है, जो मक्का सहित कई फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है. फॉल आर्मीवर्म कीट/Fall Armyworm Pest फसल में तेजी के साथ फैलता है. खासतौर पर मक्का की फसल/Maize harvest में यह कीट तेजी से फैलता है. ऐसे में आज हम आपके लिए किसानों के लिए मक्का फसल में फॉल आर्मीवर्म कीट की पहचान एवं इसके प्रबंधन से जुड़ी जरूरी जानकारी लेकर आए हैं.
फॉल आर्मीवर्म कीट की पहचान एवं प्रबंधन
पहचान: कीट के लार्वा हल्के गुलाबी या भूरे रंग के होते हैं, प्रत्येक उदर खंड में चार काला धब्बा तथा नौवें खंड पर समलम्ब आकार में धब्बे होते हैं. सिर पर आंखों के बीच में उल्टा Y आकार की सफेद संरचना होती है.
प्रबंधन:-
- वयस्क कीट नियंत्रण हेतु 10 फेरोमोन फंदा/हेक्टेयर का प्रयोग करें.
- कीट के लार्वा की तीसरी और चौथी अवस्था के द्वारा नुकसान होने पर नियंत्रण हेतु निम्नाकित में से किसी कीटनाशी की छिड़काव करें.
- स्पिनेटोरम 7 प्रतिशत एश.सी. @0.5मि.ली/लीटर पानी.
- क्लोरेंट्रोनिलिप्रोएल 5 एस.सी.@0.4मिल.ली./लीटर पानी.
- थियामेथोक्साम 6 प्रतिशत+लैम्बडा साइहैलोथ्रीन 9.5 प्रतिशत जेड सी @0.25मिल.ली/लीटर पानी
- इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रतिशत एस.जी.@0.4 ग्राम/लीटर पानी
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पांचवें एवं छठे अवस्था के लार्वा बड़े पैमाने पर पत्तियों को खाते हैं और बड़ी मात्रा में मल पदार्थ का उत्सर्जन करते हैं. इस स्तर पर केवल विशेष चारा ही एक प्रभावी उपाय है. इसके लिए 2-3 लीटर पानी में 10 किलो चावल की भूसी और 2 किलो गुड़ मिलायें और मिश्रण को 24 घंटे तक के लिए रखें. खेतों में प्रयोग करने से आधे घंटे पहले थार्योडिकार्ब 75 प्रतिशत WP का 100 ग्राम मिलाएं और 0.5-1 से.मी. व्यास के आकार की गोलियां तैयार करें. इन गोलियों को शाम के समय पौधे की गम्भा में डालें. यह मिश्रण एक एकड़ क्षेत्र के लिए पर्याप्त होता है.
नोट: इस संदर्भ में अधिक जानकारी के लिए किसान कॉल सेंटर के ट्राल फ्री नं0. 18001801551 पर या अपने जिले के सहायक निदेशक पौधा संरक्षण के संपर्क कर सकते हैं.