मानसून में धान की फसल (Paddy Crop) में कई तरह के कीटों का प्रकोप हो जाता है. इस कारण फसल काफी प्रभावित होकर कम उपज देती है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को आवश्यक उपाय बताए हैं, जिससे फसल में लगने वाले कीटों से मुक्ति मिल सकती है. अगर किसान सही समय पर फसल को कीटों और रोगों से बचाते हैं, तो फसल की अच्छी पैदावार प्राप्त हो सकती है.
धान की फसल का अच्छा प्रबंधन (Good management of paddy crop)
किसानों को फसल का सबसे अच्छा प्रबंधन करना होगा. अक्सर वर्षा होने पर धान की फसल में कई तरह के कीट लगते हैं, जिससे फसल को भारी नुकसान होता है. अगर धान की फसल में ज्यादा खरपतवार हो, तो उसकी निराई-गुड़ाई करनी चाहिए, साथ ही कीटनाशक दवा को प्रति एकड़ के अनुसार लगभग 100 लीटर पानी में मिलाकर छिड़क देना चाहिए.
मानसून के मौसम में धान की फसल में दीमक भी लग जाती है. इसका सबसे ज्यादा प्रकोप असिंचित क्षेत्र में होता है. यह कीट पौधों की जड़ काट देता है, जिससे पौधा सूखने लगता है और आसानी से उखड़ जाता है. किसान इसकी रोकथाम के लिए क्लोरोपायरीफॉस 20 ई सी 4 से 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर सकते हैं.
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इसके अलावा धान की फसल में जीवाणु झुलसा रोग का प्रकोप भी जाता है. इस रोग में पत्तियां नोक और किनारों से सूख जाती हैं. इसकी रोकथाम के लिए किसानों को खेत का पानी निकाल देना चाहिए, साथ ही 15 ग्राम स्टप्टोसाइक्लीन और कॉपर आक्सीक्लोराइड का 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर देना चाहिए.
धान की फसल में फफूंदी का प्रकोप भी हो जाता है. इसके लिए 1 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा दवा प्रति एकड़ की दर से छिड़क सकते हैं.