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Updated on: 9 December, 2020 9:16 PM IST
Pear fruit

नाशपती को समुंद्र तल से 1,700-2,400 मीटर की ऊंचाई पर उगाया जाता है. यह फल प्रोटीन और विटामिन का मुख्य स्त्रोत है. नाशपाती शीतोष्ण क्षेत्र का फल है. नाशपाती की खेती देश में हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और उप-उष्ण क्षेत्रों में की जा सकती है.

नाशपाती की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव (Selection of soil for Pear cultivation) 

इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है. इसमें गहरी, बढ़िया निकास वाली, उपजाऊ मिट्टी अच्छा उत्पादन दे देती है.  

नाशपाती की किस्में (Varieties of Pear)

पत्थरनाख: इस किस्म के फल कठोर व पेड़ फैलने वाले होते हैं. इसके फल सामान्य आकार के, गोल और हरे रंग के होते हैं, जिन पर बिंदियां बनी होती है. इसमें गुद्दा रसभरा और कुरकुरा होता है. अच्छी गुणवत्ता के कारण ज्यादा समय के लिए स्टोर किया जा सकता है तथा अधिक दूरी वाले स्थानों पर आसानी से भेजा जा सकता है. यह किस्म जुलाई के आखिरी हफ्ते में पक कर तैयार हो जाती है. इस किस्म की औसतन पैदावार 150 किलो प्रति वृक्ष होती है.

पंजाब नाख: यह किस्म पठारनख से विकसित की गई है. इसके फल अंडाकार, हल्के पीले रंग के होते हैं तथा इनका गुद्दा रसभरा और कुरकुरा होता है. यह किस्म जुलाई के अन्तिम सप्ताह में पक कर तैयार हो जाती है. इस किस्म की औसतन पैदावार 190 किलो प्रति वृक्ष होती है.

पंजाब गोल्ड: इसके फल बड़े, सामान्य नरम, सुनहरी-पीले रंग के और सफेद गुद्दे वाले होते हैं. यह किस्म जुलाई के आखिरी सप्ताह में पक कर तैयार हो जाती है. यह किस्म से कई और उत्पाद बनाने के लिए जानी जाती है. इस किस्म की औसतन उपज 80 किलो प्रति वृक्ष होती है.

पंजाब नेक्टर: इसके फल सामान्य से बड़े आकार के, पीले-हरे रंग के ओर सफेद गुद्दे वाले सामान्य नरम के होते हैं तथा वृक्ष मध्यम कद का होता है. पकने पर इनका गुद्दा बहुत रसीले हो जाता हैं. यह किस्म जुलाई के अंत तक पक कर तैयार हो जाती है. इस किस्म की औसतन पैदावार 80 किलो फल प्रति वृक्ष होती है.

पंजाब बियूटी: इसके फल सामान्य से बढ़े आकार के, पीले-हरे रंग के और सफेद गुद्दे वाले होते हैं. फल जुलाई के तीसरे सप्ताह में पक जाते हैं. इस किस्म की औसतन पैदावार 80 किलो फल प्रति वृक्ष होती है.

बागुगोशा: इसके फल सामान्य नरम के हरे-पीले रंग के होते हैं, जिसका गुद्दा मीठा और सफेद रंग का होता है. इसके फल अगस्त के पहले सप्ताह तक पक कर तैयार हो जाते हैं. यह दूरी वाले स्थानों पर ले जाने के लिए अच्छी किस्म है. इस किस्म की औसतन पैदावार 60 किलो फल प्रति वृक्ष होती है.

इसके अलावा ले कोनटे, निगिसिकी, पंजाब सॉफ्ट, चाइना पियर, थंब पीयर, विक्टोरिया, किफर किस्में हैं.

नर्सरी तैयार करना और बुवाई करना (Nursery preparation and sowing)

बीज लगाने के लिए अधिक उपज वाले पेड़ का चुनाव कर उसका पक्का हुआ फल से बीज प्राप्त करें. बीजों को निकाल कर दिसंबर माह में 30 दिनों तक लकड़ी के बक्सों में रेत डालकर रखें और पानी से सिंचित कर दें. जनवरी महीने में बीजों को नर्सरी में बो दे तथा 10 दिनों के भीतर बीज अंकुरण हो जाते है. इन पौधों को अगले साल के जनवरी महीने तक कलम लगाने के लिए तैयार हो जाते हैं.

नाशपाती के भागों की टी-बडिंग (T-budding) या टंग ग्राफ्टिंग करके कैंथ वृक्ष के निचले भागों को प्रयोग में लाया जाता है. ग्राफ्टिंग दिसंबर-जनवरी महीने में की जाती है और टी-बडिंग मई-जून महीने में की जाती है. जब तक पेड़ फल देने लायक नहीं हो जाते तब तक खरीफ ऋतु में उड़द, मूंग, तोरियों जैसे फसलें और रब्बी में गेंहू, मटर, चने आदि फसलें अंतर-फसली के रूप में खेती की जा सकती है.

नाशपाती में पौध रोपाई (Transplanting in Pear)

पौधा लगाने के लिए जनवरी महिना श्रेष्ठ है. पौधा लगाने के लिए एक साल पुराने पौधों का प्रयोग किया जाता है. पौधों के बीच 6-7 मीटर की दूरी कर पौधे उगाये जाते है. पौधा लगाने के लिए 1x1x1 मीटर आकार के गड्डे खोदे और रोपाई के एक महीना पहले नवंबर में मिट्टी के साथ 500 ग्राम गोबर की खाद से भर कर छोड़ दें. पौधे लगाते समय 500 ग्राम सिंगल सुपर फासफेट उर्वरक की मात्रा डालें. पौधे को लगाने के बाद हल्की सिंचाई भी कर दें. पेड़ लगाने के लिए वर्गाकार या आयताकार विधि अपनाई जाती है मगर पहाड़ी क्षेत्रों में ढलान विधि का प्रयोग किया जाता है.

नाशपाती में पौध संरक्षण (Plant protection of Pear)

मकड़ी (Mite): यह कीट पत्तों से रस चूसते है, जिस से पत्तें पीले पड़ने शुरू हो जाते हैं. नियंत्रण के लिए घुलनशील सल्फर 1.5 ग्राम या प्रोपरगाइट 1 मिली दवा को एक लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें.

फुदका (Plant hopper): इसका हमला होने पर फूल चिप चिपे हो जाते है और प्रभावित भागों पर काले रंग की फंगस जम जाती है. रोकथाम के लिए डाईमेथोएट 1.5 मिली दवा एक लीटर पानी में मिला कर स्प्रे करें.

चेपा और थ्रिप्स (Aphid & Thrips): यह पत्तों का रस चूसते है, जिससे पत्ते पीले पड़ जाते हैं. यह शहद जैसा पदार्थ छोड़ते हैं, जिस कारण प्रभावित भागों पर काले रंग की फंगस बन जाती है. इसकी रोकथाम के फरवरी के आखिरी हफ्ते जब पत्ते झड़ना शुरू हो तो इमीडाक्लोप्रिड 60 मिली या थायोमेथोक्सोम 80 ग्राम को 200 लीटर पानी में डालकर स्प्रे करें.

पत्ती धब्बा रोग (Leaf spot disease): इस बीमारी मे पत्तों और फलों पर काले धब्बे दिखाई देते हैं. बाद में यह धब्बे स्लेटी रंग में बदल जाते है. इसकी रोकथाम के लिए मेंकोजेब 75 डबल्यूपी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर दें.

जड़ गलन (Root Rot disease): अधिक बारिश में और उचित जल निकासी नहीं होंने पर यह रोग होता है. इस रोग में जड़ गल जाती है और पौधे की छाल भूरे रंग की हो जाती है. प्रभावित पौधे सूखना शुरू हो जाते है. इससे बचाव के लिए कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 WP 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिला कर मार्च महीने में स्प्रे करें तथा दूसरा स्प्रे जून महीने में दोहराये. रोग हो जाने की स्थिति में थियोफिनेट मिथाइल 70 WP 2 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर जड़ों के पास डेंचिंग करें.

शीतकालीन नाशपाती की खेती में खाद एवं उर्वरक (Manure & Fertilizer of Pear farming)

जब पेड़ 3 साल का हो जाये तो 10 किलो गोबर की खाद, 100-300 ग्राम यूरिया, 200-300 ग्राम सिंगल फासफेट और 200-450 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति वृक्ष की दर से मिट्टी में मिला दें और सिंचाई कर दें. 4-6 साल के वृक्ष हो जाने पर 25-35 किलो गोबर खाद, 400-600 ग्राम यूरिया, 800-1200  ग्राम सिंगल फासफेट (SSP), 600-900 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश प्रति वृक्ष को डालें. 7-9 साल के पेड़ में 40-60 किलो गोबर खाद, 700-900 ग्राम यूरिया,1400-1800 ग्राम सिंगल फासफेट, 1 किलो म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (MOP) प्रति वृक्ष की दर से डालें.

गोबर खाद, सिंगल सुपर फासफेट और म्यूरेट ऑफ़ पोटाश की पूरी मात्रा दिसंबर के महीने में डालें. यूरिया की आधी मात्रा फूल निकलने से पहले फरवरी के शुरू में और बाकी की आधी मात्रा फल निकालने के बाद अप्रैल के महीने में डालनी चाहिए.

नाशपाती में सिंचाई व्यवस्था (Irrigation management in Pear)

पौध रोपण के समय, मिट्टी में एक सिंचाई दी जानी चाहिए. गर्मियों में 5 से 7 दिनों के अंतराल पर जबकि सर्दियों में 15 दिनों के फासले पर सिंचाई करें. सिंचाई मिट्टी की नमी और मौसम देख कर करें. पानी के अधिक देर तक खेत में ठहरने से फल रंग और गुणवत्ता को प्रभावित करेगा तथा रोग की संभावना को बढ़ाएगा. इसलिए जल निकासी बेहतर करें.

नाशपाती में खरपतवार प्रबंधन (Weed management in Pear tree)

पेड़ो के आसपास खरपतवार बढ़ने से कीट व रोगों की समस्या बढ़ जाती है. हाथ या कृषि यंत्र से खरपतवार को नष्ट किया जा सकता है. रसायनिक तरीके से खरपतवार हटाने के लिए ग्लाइफोसेट 1.2 लीटर प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिला के प्रति एकड़ में स्प्रे करें.

कटाई और छंटाई (Training and Pruning)

पौधे की शाखाओं को मज़बूत, अधिक पैदावार और बढ़िया गुणवत्ता के फल के लिए कंटाई- छंटाई की जाती है. इसके लिए बीमारी-ग्रस्त, नष्ट हो चुकी, टूटी हुई और कमज़ोर शाखा की टहनियों को काट दिया जाता है.

नाशपाती फसल की तुड़ाई और उपज (Yield and Crop harvesting of Pear) 

नाशपाती के प्रति पेड़ से औसतन 4-5 क्विंटल के बीच पैदावार होती है. सीजन पर 20 से 25 रुपये किलो के हिसाब से बिक्री हो जाती है. तुड़ाई जून के प्रथम सप्ताह से सितम्बर के मध्य तोड़े जाते हैं. नज़दीकी मंडियों में फल पूरी तरह से पकने के बाद और दूरी वाले स्थानों पर ले जाने के लिए हरे फल तोड़े जाते हैं. नाशपाती की कठोर किस्म के पकने के लिए लगभग 145 दिनों की जरूरत होती है, जबकि सामान्य नरम किस्म के लिए 135-140 दिनों की जरूरत होती है.

नाशपाती का भंडारण (Pear fruit Storage)

कटाई के बाद फलों की छंटाई (Grading) करें. फिर फलों को फाइबर बॉक्स में स्टोर करके मंडी ले जाया जा सकता है. फलों को 1000 ppm एथेफोन के साथ 4-5 मिन्ट के लिए उपचार करें जिससे कच्चे फल भी पक्क जाये. या इनको 24 घंटों के लिए 100 ppm इथाइलीन गैस में रखें और फिर 20° सेंटीग्रेट पर स्टोर करें दें. फलों को 0-1 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान और 90-95 % नमी वाले स्टोर में 60 दिन तक रखा जा सकता है.

लागत और शुद्ध लाभ (Cost and net profit)

एक एकड़ नाशपाती की खेती में 25-31 हजार रुपये की लागत आती है. अगर पैदावार अच्छी हुई तो एक एकड़ खेत से कम से कम 1 लाख 50 हजार रुपये की आय प्राप्त हो जाती है.

सरकारी बागवानी संस्थान के सम्पर्क सूत्र (Contact of Government Horticulture Institute)

श्रीनगर में स्थित केन्द्रीय शीतोष्ण बागवानी अनुसंधान संस्थान (Central Institute of Temperate Horticulture) में जाकर या 01942305044 या 09858776364, 09419089596, 09419761786, 05942-286027 पर फोन करके भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है.

English Summary: How to get maximum yield from a Pear tree
Published on: 09 December 2020, 09:41 PM IST

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