मैक्सिको मूल की मिर्च भारत में 17वीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा लाई गई थी. मिर्च का उपयोग चटनी, अचार और सब्जियों में किया जाता है. भारत में मिर्ची की खेती महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में प्रमुखता से की जाती है. खरीफ सीजन में मिर्च की खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं वर्षाकालीन मिर्च की खेती की पूरी जानकारी-
जुलाई माह में लगाएं पौधें
वर्षाकालीन मिर्च की खेती के लिए पौधों की रोपाई जुलाई माह में की जाती है. बारिश में मिर्च के पौधे परिपक्व हो जाते हैं. रोपाई के 55 से 60 दिनों बाद मिर्च आना शुरू हो जाती है. वहीं 75 दिनों में मिर्ची की तुड़ाई शुरू हो जाती है. दिसंबर महीने तक मिर्ची की 3-4 बार तुड़ाई कर ली जाती है.
मिर्ची की खेती के लिए मिट्टी
मिर्ची की खेती के लिए हल्की और भारी दोनों तरह की मिट्टी उपयुक्त होती है. हालांकि हल्की मिट्टी में इसका उत्पादन अच्छा होता है. वहीं मिर्ची की खेती के लिए अच्छी जलनिकासी वाली जमीन होना चाहिए. जबकि मिट्टी का पीएचमान 6-7 तक होना चाहिए.
मिर्ची की प्रमुख प्रजातियां
मिर्ची की प्रमुख प्रजातियों में सीएच-1, सीएच-3, सीएच-27, पंजाब सिंदुरी, पंजाब तेज, पंजाब ज्वाला, पूसा सदाबहार, अर्का मेघना, अर्का स्वेता, काशी अर्ली, काशी सुर्ख, काशीअनमोल, पंजाब गुच्छेदार, काशी विश्वनाथ, संकेश्वर, अर्का बसंत, पुसा दीप्ती आदि है.
मिर्ची की खेती के लिए खेत की तैयारी
अच्छे उत्पादन के लिए गर्मी के दिनों में खेत की एक दो गहरी जुताई करना चाहिए. जिसके बाद कल्टीवेटर से एक दो जुताई करके पाटा लगाएं. इसी दौरान खेत में प्रति एकड़ दस टन सड़ी गोबर की खाद डालना चाहिए.
मिर्च की नर्सरी कैसे लगाएं? (How to Prepare a Chilli Nursery?)
मिर्ची की पौध तैयार होने में 30 से 40 दिन का समय लगता है. इसलिए जून माह में ही एक मीटर चौड़ी बेड बनाकर बीजों की बुवाई करना चाहिए. जब तक बीज अंकुरित न हो जाए तब तक सीधे सिंचाई करने के बजाय पानी देने वाले बर्तन से पानी देना दें. जब पौधे 15-20 सेंटीमीटर कद के हो जाए तब पौधों की रोपाई करना चाहिए. बता दें एक एकड़ के लिए लगभग 80 से 100 ग्राम हाइब्रिड की जरूरत होती है. वहीं देसी किस्मों का बीज लगभग 200 ग्राम तक लगता है.
मिर्ची की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक
मिर्ची की बेहतर पैदावार के लिए पर्याप्त पोषक तत्वों की जरूरत होती है. इसलिए प्रति एकड़ नाइट्रोजन 25 किलोग्राम, फास्फोरस 12 किलोग्राम, पोटाश 12 किलोग्राम देना चाहिए. नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा पौधों की रोपाई के दौरान देना चाहिए. जबकि नाइट्रोजन की बची आधी मात्रा पहली तुड़ाई के बाद देना चाहिए.
मिर्ची की खेती के लिए तुड़ाई
75 दिनों के बाद हरी मिर्ची की तुड़ाई की जा सकती है. वहीं अधिक तुड़ाई करने के लिए 10 ग्राम प्रति लीटर यूरिया और 10 ग्राम प्रति लीटर घुलनशील पोटाश का छिड़काव फसल तुड़ाई के 15 दिन पहले करना चाहिए. वहीं लाल मिर्च के लिए तुड़ाई उस समय करें जब मिर्ची पूरी तरह पककर लाल हो गई हो.