जायटॉनिक टेक्नोलॉजी: क्यों है खेती का समग्र और स्थायी समाधान? सम्राट और सोनपरी नस्लें: बकरी पालक किसानों के लिए समृद्धि की नई राह गेंदा फूल की खेती से किसानों की बढ़ेगी आमदनी, मिलेगा प्रति हेक्टेयर 40,000 रुपये तक का अनुदान! किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 30 March, 2019 3:40 PM IST
Sugarcane Farming

उत्तर प्रदेश के बिजनौर में गन्ने की खेती से किसानों का मोहभंग करने के लिए उन्हें बागवानी की ओर प्रेरित किया जा रहा है. अमरूद की खेती इसका एक बेहतर विकल्प साबित हुआ है. दरअसल राज्य के उद्यान विभाग को पहली बार शासन की ओर से 20 हेक्टेयर जमीन में अमरूद बोने का लक्ष्य दिया गया था.

इसके सहारे किसानों को काफी फायदा होगा. दरअसल अमरूद की नई प्रजातियां श्वेता, ललित, हिसार आदि किसानों को मालामाल करने का कार्य करेगी. इस जिले के किसानों ने गन्ना उत्पादन में रिकॉर्ड कायम कर दिया है.

किसान कर रहे बंपर पैदावार (Farmers are producing bumper)

गन्ने के किसानों (Sugarcane Farmers) ने बंपर पैदावार करके काफी मुनाफा कमा लिया है. चीनी के दाम गिर चुके है और किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है. चीनी मिलों को भी चीनी बेचने के लिए काफी समस्याओं का समाना करना पड़ रहा है. शासन की मंशा यह है कि किसानों को दूसरी फसलों विशेषकर की बागवानी के लिए प्रेरित किया जाए. इसलिए शासन ने किसानों को सबसे पहले यहां पर केले, अमरूद, आदि उगाने के लिए प्रेरित किया है.

प्रति हेक्टेयर लगते हैं 1667 पौधे (It takes 1667 plants per hectare)

परंपरागत बागवानी की बात करें तो इसमें एक हेक्टेयर जमीन में कुल 278 पेड़ लगाए जाते थे. इसमें आपस में कुल छह मीटर तक का अंतर होता है. नई प्रजाति में अमरूद की लाइन की दूरी तीन मीटर और आपस में कुल दो मीटर तक भी रखी जाती है. परंपरागत खेती में एक पेड़ पर एक क्विंटल तक अमरूद भी आ जाते है.

सघन पद्धति (Intensive method)

परंपरागत बागवानी में अमरूद के पेड़ की छटाई नहीं होती है. पेड़ के बढ़ने पर इसकी जड़ों से लिया जाने वाला पोषण पूरे ही पेड़ में बंटता है और फल का आकार धीरे-धीरे बहुत घट जाता है. सघन पद्धति में पेड़ की छटाई होती है.

English Summary: Guava farming gives more profit than sugarcane
Published on: 30 March 2019, 03:44 PM IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now