जहां देश में किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए हर तरह की कोशिश सरकार कर रही है, वहीं किसान भी इसी कोशिश में पीछे नहीं हैं. आंध्र प्रदेश के किसानों ने भी इसी कड़ी में आधुनिक और वैज्ञानिक खेती का चयन किया.
भारत के इस राज्य में लगभग 400 से अधिक किसानों ने सब्जी उत्पादन के लिए ग्राफ्ट तकनीक का इस्तेमाल किया है. इस तकनीक के जरिए किसान सब्जी उत्पादन (vegetable cultivation) बखूबी कर रहे हैं और अच्छा उत्पादन ले रहे हैं. जहां वे पहले बिना ग्राफ्टिंग तकनीक से सामान्य उत्पादन पाते थे वहीं इसके बाद उन्हें फसलों की पैदावार में बढ़ोत्तरी भी मिली है.
सब्जी उत्पादकों ने ग्राफ्टेड सब्जी की खेती आय दोगुनी करने की कोशिश में की है. आपको बता दें कि किसान पारंपरिक किस्मों की तुलना में ग्राफ्ट की हुईं अधिक प्रचलित किस्मों का इस्तेमाल कर रहे हैं. किसानों के मुताबिक इस ग्राफ्टेड किस्म की खेती से पैदावार में लगभग 40% से 50% की वृद्धि होती है.
आपको बता दें कि चितूर जिले (Chitoor district) के कुप्पम (Kuppam) शहर के गांवों के किसानों को ग्राफ्टेड पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं. ये पौधे ICRISAT की अगुवाई वाली परियोजना के हिस्से के रूप में किसानों को उपलब्ध कराए गए हैं. किसानों को टमाटर, शिमला मिर्च, मिर्च, करेला, ककड़ी और लौकी जैसी सब्जियों के प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाता है. ख़ास बात यह है कि खराब मौसम के बावजूद, grafted variety के पौधों से तैयार हुई फसल को कोई नुकसान नहीं होता है. ऐसे में किसान ज़्यादा उत्पादन से अपनी कमाई भी बढ़ा सकते हैं.
जहां अभी तक केवल बहुवर्षीय फलों, फूलों के साथ वृक्षों की ही ग्राफ्टिंग (grafting) की जाती थी, वहीं अब सब्जियों में भी ग्राफ्टिंग संभव है. आपको बता दें कि बहुवर्षीय फल और वृक्षों की तुलना में सब्जियों में ग्राफ्टिंग का उपयोग बहुत ही लाभदायक है.
अच्छे उत्पादन और गुणवत्ता की क्षमता वाली व्यावसायिक किस्में वैसे तो आपको सही उत्पादन देती हैं लेकिन अगर परिस्थिति अनुकूल न हो तो उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है. बाद में इस उत्पादन का खामियाज़ा किसान को भुगतना पड़ता है. ऐसे में ग्राफ्टिंग तकनीक बड़े काम की है.