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Updated on: 16 November, 2024 3:56 PM IST
गेहूं की उन्नत किस्में (Image Source: Pinterest)

Gehun ki kheti: भारत में गेहूं खेती का अत्यधिक महत्व है, विशेष रूप से उत्तरी राज्यों में, जहां इसे मुख्य खाद्यान्न के रूप में उगाया जाता है. सही किस्म का चयन और खेती की उचित विधियों का पालन करना किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है, क्योंकि इससे न केवल पैदावार में वृद्धि होती है बल्कि गुणवत्ता में भी सुधार होता है. यहां कुछ प्रमुख गेहूं की उन्नत किस्मों के बारे में बताया गया है, जो विभिन्न कृषि स्थितियों और जलवायु क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है.

गेहूं की उन्नत किस्म HD 3226

विवरण:  HD 3226 किस्म को उत्तर-पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के लिए विकसित किया गया है. यह विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर मंडल को छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी मंडल को छोड़कर), जम्मू और काठुआ जिला (जम्मू-कश्मीर), हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला और पौंटा घाटी, और उत्तराखंड के लिए उपयुक्त है.

खेती:  तराई क्षेत्र में सिंचित और समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त.

उपज: औसतन 57.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर, लेकिन यदि सही समय पर बुवाई और उचित कृषि प्रबंधन किया जाए तो यह 79.60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन दे सकती है.

लाभ:  यह किस्म किसानों को समय पर बुवाई और बेहतर कृषि प्रबंधन के साथ अधिकतम उपज देने की क्षमता रखती है.

गेहूं की उन्नत किस्म HD 3086 (पूसा गौतमी)

विवरण: HD 3086 या पूसा गौतमी, उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है. इस किस्म में पीले और भूरे रतुए रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी है, जिससे यह रोग प्रभावित क्षेत्रों में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकती है.

खेती: समय पर बुवाई और सिंचित अवस्था के लिए उपयुक्त.

उपज:

  - उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में औसत 54.6 क्विंटल/हेक्टेयर, अधिकतम 81 क्विंटल/हेक्टेयर.

  - उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र में औसत 50.1 क्विंटल/हेक्टेयर.

परिपक्वता: उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में 145 दिन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में 121 दिन.

क्षेत्र: पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड.

गेहूं की उन्नत किस्म HD 2967

विवरण:  HD 2967, उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र के लिए विशेष रूप से विकसित किस्म है. यह उच्च प्रोटीन, आयरन, और जिंक से भरपूर है, जिससे यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है और रोटी और ब्रेड बनाने में उपयुक्त मानी जाती है.

खेती:  समय पर बुवाई और सिंचित अवस्था में बेहतरीन प्रदर्शन.

उपज:  औसत 45.5 क्विंटल/हेक्टेयर, अधिकतम 65.5 क्विंटल/हेक्टेयर.

परिपक्वता: 122 दिन.

मुख्य विशेषताएं: पीले और भूरे रतुए रोगों के प्रति प्रतिरोधी, गोलाकार दाना (वजन 39 ग्राम प्रति 1000 दाने), प्रोटीन की मात्रा 2%, आयरन 7 PPM और जिंक 46.8 PPM.

क्षेत्र:  बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, और उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदान.

गेहूं की उन्नत किस्म HD 3118 (पूसा वत्सला)

विवरण:  HD 3118, जिसे पूसा वत्सला भी कहा जाता है, विशेष रूप से देर से बुवाई और सिंचित स्थिति के लिए उन्नत किस्म है. यह किस्म जल्दी परिपक्व होती है और उच्च गुणवत्ता की चपाती उत्पादन के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है.

खेती:  देर से बुवाई और सिंचित अवस्था में उपयुक्त.

उपज:  औसत 41.7 क्विंटल/हेक्टेयर, अधिकतम 66.4 क्विंटल/हेक्टेयर.

परिपक्वता: 112 दिन.

मुख्य विशेषताएं:  पीले और भूरे रतुए रोगों के प्रति प्रतिरोधी, 8% गीला ग्लूटेन, चपाती गुणवत्ता (वैल्यू 7.5).

क्षेत्र: पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल (पहाड़ियों को छोड़कर), और उत्तर पूर्वी राज्यों के मैदानी क्षेत्रों में.

निष्कर्ष:

गेहूं की उन्नत किस्मों का चयन कर किसान न केवल अपनी उपज को बढ़ा सकते हैं बल्कि अपने उत्पादन की गुणवत्ता को भी सुधार सकते हैं. समय पर बुवाई, उचित सिंचाई, और कृषि प्रबंधन के अन्य उपायों का पालन कर किसान इन किस्मों से उच्च पैदावार और रोग-प्रतिरोधक फसलें प्राप्त कर सकते हैं.

English Summary: Gehun ki kheti improved varieties for wheat cultivation
Published on: 16 November 2024, 04:01 PM IST

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