सहजन भारत में प्रसिद्ध सब्जियों की फसल में से एक है, जिसे आमतौर पर मोरिंगा के नाम से जाना जाता है. आमतौर पर इसकी पत्तियों, बीज की फली या पेरिकार्प के लिए उगाया जाता है. पत्तियों का सब्जी में किया इस्तेमाल किया जाता है और कई स्वादिष्ट व्यंजनों में फली भी डाली जाती है. सहजन की उत्पत्ति भारत में हुई, लेकिन इसके चिकित्सीय उपयोगों के कारण यह अन्य देशों में भी पहुंच गई है.
सहजन का पेड़, मोरिंगा अपनी बहुउद्देशीय विशेषताओं, व्यापक अनुकूलन क्षमता और स्थापना में आसानी के लिए जाना जाता है. इसके पत्ते, फली और फूल सभी मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिए लाभदायक होते हैं, क्योकि इनमें पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.
सहजन की खेती के लिए जलवायु (Climate for drumstick cultivation)
सहजन की विशेषता यह है कि इसकी खेती ऐसे क्षेत्रों में भी किया जा सकता है जहां पर पानी की कमी है. यह गर्म और नम जलवायु में वृद्धि के लिए उपयुक्त होता है और शुष्क जलवायु फूल आने के लिए उपयुक्त होती है. सहजन में फूल आने के समय 25-30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है
सहजन की खेती के लिए मिट्टी (Soil for drumstick cultivation)
सहजन की खेती अच्छी तरह से जल निकासी वाली रेतीली या दोमट मिट्टी में होती है एंव इसकी अच्छी बढत के लिए मिट्टी का पीएच 6.2 से 7.0 के बीच सबसे अच्छा माना जाता है.
सहजन के खेत की तैयारी (Drumstick farm preparation)
सहजन की खेती के लिए इस बात का ध्यान रखना होगा कि खेत में पहले की बची हुई फसल को अच्छे से हटा देना चाहिए. इसके बाद खेत की एक गहरी जुताई करके उसमें रोटावेटर चला देना चाहिए. ऐसा करने से जमीन समतल और भुरभुरी हो जाती है. इसके बाद खेत में तीन मीटर की दूरी रखते हुए एक लाईन में एक फीट गहराई के गढ्ढे तैयार हो जाते हैं. इसके बाद गढ्ढों में पर्याप्त मात्रा में खाद को पानी में मिलाकर तैयार किया जाता है बता दें कि इन गढ्ढों को पौधे की रोपाई के 10 दिन पहले तैयार किया जाता है.
सहजन के पौध की नर्सरी उगाना (Drumstick Plant Nursery Growing)
सहजन की खेती में यदि आप नर्सरी का उपयोग करना चाहते हैं, तो लगभग 18 सेमी ऊंचाई और 12 सेमी व्यास वाले पॉली बैग का उपयोग करें. थैलियों के लिए मिट्टी का मिश्रण हल्का होना चाहिए यानी 3 भाग मिट्टी से एक भाग रेत होनी चाहिए, प्रत्येक थैली में दो या तीन बीज एक से दो सेंटीमीटर गहराई के साथ रोपने चाहिए. इसमे 5-12 दिनों के बीच अंकुरण हो जाता है. यह पौध जुलाई से सितंबर माह के बीच लगाना चाहिए क्योंकि बारिश के मौसम में इसमें विकास अच्छे से होता है साथ ही इसमें सिचाई की जरुरत नही पड़ती.
सहजन के पौधे की सिंचाई (Drumstick Plant Irrigation)
सहजन के पौधे को ज्यादा पानी देने की जरूरत नहीं होती. बहुत शुष्क परिस्थितियों में,पहले दो महीनों के लिए नियमित रूप से पानी दें और उसके बाद तभी जब पेड़ स्पष्ट रूप से पीड़ित हो,इनमें जब भी पर्याप्त पानी उपलब्ध होता है, तो इसके पेड़ फूल और फली पैदावर करते है. यह फसल काफी कठोर होती है और शुष्क मौसम के दौरान दो सप्ताह में एक बार सिंचाई की आवश्यकता होती है और व्यावसायिक खेती के लिए, ड्रिप सिंचाई को गर्मियों के दौरान प्रति पेड़ 12 से 16 लीटर पानी की दैनिक दर से और अन्य मौसमों के दौरान इस दर से आधी दर से अपनाना चाहिए.
छंटाई-पौध की कटाई का अभ्यास पौध रोपण के डेढ़ वर्ष बाद सर्दियों के महीनों के साथ लगभग 3 फीट की ऊंचाई पर किया जा सकता है और प्रति पेड़ 4-5 शाखाएं भू स्तर से दो फीट ऊपर होनी चाहिए.
कटाई-जब इसके उपभोग के लिए फली की कटाई करते हैं, जब फली परिपक्व हो एंव आसानी से टूट जाए.
सहजन की उन्नत किस्में (Improved varieties of drumstick)
रोहित 1-
पहली उपज रोपण के चार से छह महीने बाद शुरू होती है और 10 साल तक व्यावसायिक उपज देती है, ये गहरे और हरे रंग के होते हैं, लंबाई में 40 से 60 सेमी, गूदा नरम और स्वादिष्ट होता है, गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है. एक पौधे से, लगभग 3 से 10 किग्रा की 40 -135 सहजन प्राप्त की जा सकती हैं.
कोयम्बटूर 2
ये पौधे की रोपाई के लगभग 1 साल के बाद फसल की पैदावर शुरु करते है एवं 3-5 साल तक यह फसल की पैदावर करता है. इसकी पौध पर होने वाली फलियों की लंबाई एक फीट की होती है. हम इसकी एक पौध से 200-375 पलियां प्राप्त कर सकते है. यह फलियां गहरे हरे रंग की होती हैं.
पी.के.एम – 1
इस किस्म के पौधे की लंबाई 5 फीच होती है. जो की पौधे की रोपाई के 8-9 महीने बाद पैदावर शुरु कर देता है. इससे साल में 2 बार उपज प्राप्त कि जा सकती है, वहीं इससे 200-350 फलियां मिलती हैं.