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Updated on: 15 January, 2019 5:14 PM IST

विभिन्न राज्य सरकारें किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं चलाती हैं. इसके लिए कुछ नए और अनूठे तरीक भी अमल में लाए जाते हैं. ऐसी ही एक अनोखी पहल राजस्थान के चुरू जिला कृषि विभाग ने की है. विभाग के मुताबिक जैविक खेती करने वाले किसान अब खुद के नाम से गेंहू-बाजरा जैसे कृषि उत्पाद बेच सकेंगे. यह योजना आगामी फसल वर्ष से शुरू की जाएगी. अपने ही ब्रांड से बेचने के कारण गेहूं-बाजरा के करीब तीना गुना अधिक भाव मिल जाने से किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी. इसके लिए रज्य के कृषि विभाग ने परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत किसानों से वृहद स्तर पर जैविक खेती करवाने का काम अपने हाथ में ले लिया है.

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क्लस्टर योजना से हो रहा विकास

योजना के तहत जिलें में 300 क्लस्टर बनाकर किसानों को जैविक खेती का कार्य कराया जाएगा. प्रत्येक क्लस्टर 20 हेक्टेयर का होगा. इसके अलावा जिलेभर में कुल 6 हजार हेक्टेयर में जैविक बाजरा, गेहूं, चना, सरसों व अन्य फसलों की खेती कराई जाएगी. कृषि अधिकारियों का कहना है कि जैविक खेती से किसानों को कम लागत में उत्तम गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त होती है इसलिए जिले के किसानों में जैविक खेती की ओर रूझान बढ़ता जा रहा है.

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कृषि विभाग देगा सर्टिफिकेट

कृषि विभाग की निगरानी में जैविक खेती करने के तीन साल बाद विभाग, किसानों को जैविक उत्पाद तैयार करने का सार्टिफिकेट देगा. इसके बाद किसान अपनी फसल का ब्रांड बनाकर बाजार में आसानी से बेच सकेगा. इस योजना के तहत विभाग की ओर से जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को जैविक खाद, कीटनाशक, प्रशिक्षण भी नि:शुल्क मुहैया कराया जाएगा. किसानों को अपने खेत में ही वर्मी कंपोस्ट यूनिट तैयार करनी होगी. इसके लिए विभाग की ओर से पांच हजार रुपए का अनुदान दिया जाएगा. जैविक खेती के दौरान तीन साल तक प्रति वर्ष क्लस्टर की मिट्टी व पौधों की जांच की जाएगी. इससे जैविक खेती शुरू करने से पहले डाले गए रासायनिक उर्वरकों की मात्रा में आने वाली गिरावट का स्तर पता चलेगा. बता दें कि किसी भी मिट्टी में रासायनिक उर्वरक का असर तीन साल तक रहता है.

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English Summary: Farmers will sell their name-wheat-millet in this state
Published on: 15 January 2019, 05:19 PM IST

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