स्वीट पोटैटो यानि शकरकंद (Sweet Potato) सुनते ही आपके मुंह में पानी जरूर आ जाता होगा, लेकिन आपने कभी सोचा है कि इसकी खेती कैसे की जाती है? इससे कितनी कमाई की जा सकती है? वैसे तो यह फसल मुख्य रूप से अपने मीठे स्वाद और स्टार्चयुक्त जड़ों के कारण उगाई जाती है. यह बीटा-कैरोटीन का समृद्ध स्रोत हैं और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में उपयोग किया जाता है. यह एक शाकाहारी बारहमासी कंद है जिसमें दिल के आकार के पत्ते होते हैं.
भारत में भारी मात्रा में शकरकंद की खेती होती है. यह खाने योग्य, चिकनी त्वचा और आकर में लम्बी और थोड़ी मोटी होती हैं. गहरे लाल रंग वाली स्वादिष्ट शकरकंद आमतौर पर दक्षिणी क्षेत्रों में उगाई जाती हैं, क्योंकि उन्हें चार महीने के गर्म मौसम की आवश्यकता होती है. बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा भारत के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं. तो चलिए हम इस आर्टिकल में आपको शकरकंदी की खेती (Sweet Potato Farming) कैसे करें इसकी पूरी जानकारी देने जा रहे हैं.
मिट्टी (Soil for Sweet Potato)
यह रेतीली से लेकर दोमट मिट्टी तक विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन उच्च उर्वरता और अच्छी जल निकासी प्रणाली वाली बलुई दोमट मिट्टी में उगाए जाने पर यह सबसे अच्छा परिणाम देता है. बहुत हल्की रेतीली और भारी चिकनी मिट्टी में शकरकंद की खेती से बचें, क्योंकि यह कंद के विकास के लिए अच्छा नहीं है. शकरकंद की खेती के लिए इसका पीएच 5.8-6.7 के बीच होना सबसे अच्छा माना जाता है.
बुवाई का समय (Sowing time of Sweet Potato)
अधिकतम उपज के लिए कंदों को जनवरी से फरवरी के महीने में बोना चाहिए.
बुवाई गहराई (Sowing Length)
एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति की दूरी 60 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी रखें. कंद रोपण के लिए 20-25 सेमी की गहराई का प्रयोग करें.
बुवाई (Process of sowing Sweet Potato)
मुख्य रूप से प्रवर्धन कंद या बेल की कलमों द्वारा किया जाता है. बेल काटने की विधि (आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली) में कंदों को पुरानी लताओं से लिया जाता है. इसके साथ ही तैयार नर्सरी बेड पर लगाया जाता है. मुख्य रूप से बेलों को मेड़ों में या तैयार समतल क्यारियों में लगाया जाता है. देखा गया है कि टर्मिनल कटिंग बेहतर परिणाम देती है. मेजबान संयंत्र में कम से कम 4 नोड होने चाहिए. पंक्ति में 60 सेमी और पंक्ति के भीतर 30 सेमी की दूरी का उपयोग किया जाता है. रोपण से पहले कटिंग को 8-10 मिनट के लिए डीडीटी 50% घोल से उपचारित करना बेहतर होता है.
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सिंचाई (Irrigation)
रोपण के बाद 2 दिनों में एक बार 10 दिनों की अवधि के लिए सिंचाई की जाती है. उसके बाद 7-10 दिनों में एक बार सिंचाई की जाती है. कटाई के 3 सप्ताह पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए, लेकिन कटाई के 2 दिन पहले एक सिंचाई आवश्यक है.
कीट और नियंत्रण (Diseases & Cure of Sweet Potato)
ज़्यादातर नील सर वाले कीड़े अपने अंडे देने के लिए तने और कंदों को निवास करते हैं. जबकि वयस्क आमतौर पर लताओं और पत्तियों पर हमला करते हैं. वो मिट्टी के पास तनों पर और तने के सिरे पर भूरे से काले क्षेत्र बना देते हैं. इसका उपाय यह है की संक्रमित पौधों और उनकी जड़ों को नष्ट कर दें, या सीलबंद कंटेनरों में रखें और घरेलू कचरे के साथ उनका निपटान करें.