बढ़ती आबादी और महंगाई को देखते हुए भारत में ज्यादा से ज्यादा सब्जियां उगाने की जरूरत है. लेकिन जमीन की कमी हो तो इनकी पैदावार कैसे बढ़ाएं ये सबसे बड़ा सवाल है. अगर वैज्ञानिक तरीकों से खेती की जाए तो ज्यादा उत्पादन संभव है. इसलिए ग्रीन हाउस सब्जियों को उगाने के साथ पॉली हाउस में फूलों को उगाने की तकनीक के बारे में सूखना बहुत जरूरी है. ग्रीन हाउस में सब्जी के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कृषि संस्थान और वैज्ञानिक विभिन्न उन्नत किस्मों को विकसित कर रहे हैं. इसी बीच हरियाणा ने एक बार फिर अहम पहल की है, जिससे सब्जी उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा. दरअसल, राज्य में किसानों की उन्नति के लिए हाइटेक ग्रीन हाउस तैयार किए जा रहे हैं. हरियाणा के करनाल में स्थित महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय और इसके क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र ग्रीन हाउस तैयार कर रहे हैं.
बिना मिट्टी के कैसे करें नर्सरी तैयार?(Soilless method for seedling)
आपको बता दें कि इन केंद्रों पर खारी, शिमला मिर्च, रंगीन शिमला मिर्च और टमाटर समेत कई सब्जियों की उच्च तकनीक से पौध तैयार की जाएगी. बताया जा रहा है कि पौध तैयार करने में सॉयल लैस विधि का इस्तेमाल होगा. इस विधि द्वारा उच्च गुणवत्ता की पौध तैयार करके किसानों को प्रदान की जाएगी. जब पौध अच्छी गुणवत्ता की होगी, तो न केवल सब्जियों का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आय भी दोगुनी होगी.
अब की पौध के लिए भटकने की जरूरत नहीं (No need to wander for plants anymore)
अच्छी बात यह है कि अब राज्य के किसानों को अपने क्षेत्र में सब्जियों की पौध के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. बता दें कि बागवानी विश्वविद्यालय अंजनथली-करनाल, इसके क्षेत्रीय मशरूम केंद्र मुरथल और झज्जर जिले के रैया स्थित केंद्रों पर हाइटेक ग्रीन हाउस को बनाने का काम तेजी कर रहे हैं.
यहां के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि उच्च गुणवत्ता वाली पौध का असर सीधा फसल के उत्पादन पर पड़ेगा, जिससे किसानों की आय बढे़गी, साथ ही उपभोक्ता के लिए ताजी सब्जियां मिल सकेंगी. इसके अलावा बागवानी विश्वविद्यालय के अनुसंधान केंद्रों के पास किसानों को फलों की पौध उपलब्ध करवाने की भी योजना है.
बता दें कि हरियाणा में अमरूद की हिसार सफेदा और हिसार सुरखा किस्म की अच्छी मांग रहती है. इसके साथ ही झज्जर के रैया स्थित विश्वविद्यालय के अनुसंधान केंद्र में अनार की अलग-अलग किस्मों लगाई गई हैं. इतना ही नहीं, हरियाणा की जलवायु की भी स्क्रीनिंग की जा रही है. इसके बाद जो किस्म अच्छी चलेगी, उस किस्म को बढ़ावा दिया जाएगा. बता दें कि बागवानी क्षेत्र के लिए यह एक बड़ा कदम है.